- 27 अगस्त तक जवाब दाखिलकरने का आदेश।
- पीड़ित युवक ने मुआवजेके तौर पर पांचकरोड़ रुपये की मांग अदालतमें की है।
- विभिन्न आपराधिक धाराओं, अनु जाति अत्याचारअधिनियम और न्यायालय कीअवमानना (Contempt of Court) के तहत कार्रवाई कीमांग।
मुंबई: केंद्रसरकार के निर्देश औरकानून के प्रावधानों केअनुसार किसी के लिएभी कोरोना का टीका लगवानाअनिवार्य नहीं है। वैक्सीनके दुष्प्रभाव से व्यक्ती कीमृत्यु हो सकती है, और इससे अंधापन, हृदयरोग, लकवा तथा बहरापनऔर आदि जानलेवा दुष्परीणामहो सकते है।
टीका लेने केबाद भी इस बातकी कोई गॅरंटी नहींहै कि, कोरोना सेबचाव होगा और कोरोनानहीं होगा। ऐसे कई केसेसहै जिसमे कोरोना के दोनों टीकेलेने के बावजूद कईनागरिकों और डॉक्टरों कीमृत्यु कोरोना से हो चुकीहै।
लेकिन वैक्सीन कंपनियों ने षड़यंत्र रचकरविभिन्न सरकारी अधिकारियों और निजी कंपनियोंको रिश्वत देकर टीका कंपनियोंको हजारों करोड़ो रुपयों का फायदा पहुंचानेके लिए गैर कानूनीनियम बनाकर मॉल में, ऑफिसमे, दुकानों को खोलने केलिए तथा स्कूल मेशिक्षकों को और छात्रोंको टीका लगवाने केलिए मजबूर किया।
ऐसी जबरदस्ती करकेकिसी को टीका (वेक्सीन) लेने के लिए मजबूरकरने वाले सभी अधिकारीडॉक्टर्स या लोग राष्ट्रीयआपत्ती व्यवस्थापन कानून (National Disaster Management Act, 2005) कीधारा 51(b) के तहत सजाके हकदार है।
सरकार के ऐसे कईअसंवैधानिक और गैर कानूनीआदेश को मा. उच्चन्यायालय ने खारिज करदिया है।
हाल ही मेंमुंबई लोकल रेल्वे मेंयात्रा के लिए इसीतरह के नियम बनानेको लेकर महाराष्ट्र सरकारके संबंधित अधिकारीयों के खिलाफ मुंबईहाईकोर्ट में याचिका दायरकी गई है।
Link:https://drive.google.com/file/d/1dxeGLPcqHOal3S3DUPF2n23sQZhIVpeV/view?usp=sharing
ऐसे ही एकमामले मे आरोपितों कोजेल भेजने के दौरान उनकीमर्जी के खिलाफ जबरनटीका लगाने की साजिश तथावैक्सीन कंपनी को फायदा पहुचानेका आपराधिक षड़यंत्र कई दिनों सेचल रहा है। लेकिनएक दलित युवक कोऐसा करने के लिएमजबूर करना पुलिस अधिकारियोंऔर डॉक्टरों को बहुत महंगापड़ा।
पीड़ित युवक के वकीलऔर इंडियन बार एसोसिएशन केराष्ट्रीय अध्यक्ष, अॅड. नीलेश ओझाने जबरन टीका लगानेके लिए जिम्मेदार संबंधितडॉक्टरों और पुलिस अधिकारियोंको सजा दिलाने केलिए पिटीशन दायर की है।उस पिटीशन मे दोषी डॉक्टर्सऔर पुलिस के खिलाफ महाराष्ट्रपुलिस अधिनियम की धारा 145 (2), अत्याचारअधिनियम, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियमकी धारा 51, 54, 55, 56, 58 आदि के तहतकार्रवाई के लिए याचिका/ अर्जी दायर की है।
मुंबई के सेशंस कोर्टमे 24 अगस्त को याचिका परबहस के वक्त पिड़ीतआरोपी के वकील अॅड. नीलेश ओझा ने अदालतको कानूनी प्रावधानों और उनके संबंधितकेस लॉ देकर संबंधीतडॉक्टर्स और पुलिस द्वाराकिये गये अपराधो कोउजागर कर उन परकठोर कारवाई की मांग की।सुनवाई के बाद कोर्टने जेल अधीक्षक (Jail superintendent) को नोटिस जारीकर शुक्रवार 27 अगस्त तक जवाब दाखिलकरने का निर्देश दिया।
किसी भी व्यक्तितथा आरोपी का मूलभूत अथवामौलिक अधिकारों का उल्लंघन होनेके बाद उनको सरकारके तरफ से मुआवजादिया जाये ऐसा स्पष्टकानून है। इस मामलेमे पीड़ित युवक ने महाराष्ट्रसरकार से 5 करोड़ रुपयेके अग्रिम मुआवजे की मांग कीहै।
याचिकाकर्ता ने अपने आवेदनमें अदालत से अनुरोध कियाहै कि, वैक्सीन कादूसरा टीका लेने केलिए उस पर दबावनहीं डाला जाना चाहिए। और यदि वैक्सीनके साइड इफेक्ट केकारण उसकी मृत्यु होजाती है, तो संबंधितडॉक्टरों, पुलिस अधिकारियों और अन्य षड़यंत्रकारियोंको खिलाफ याचिकाकर्ता के मृत्यु केजिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ धारा302, 120(B) के तहत केस दर्जकिया जाए और याचिकाकर्ताकी याचिका को ही उसकामृत्यु पूर्व बयान (Dying Declaration) माना जाए औरउसके आधार पर आरोपियोंको सजा दी जाए।
इस मामले मेंयाचिकाकर्ता के लिए अॅड. निलेश ओझा, अॅड. तनवीरनिजाम, अॅड. विजय कुर्ले, अॅड. दिपाली ओझा, अॅड. पार्थोसरकार, अॅड. निकी पोकर, अॅड. प्रतीक सरकार, अॅड. संदीप शेरेगर, अॅड. अभिषेक मिश्रा, अॅड. मंगेश डोंगरे, अॅड. दीपिका जायसवाल, अॅड. पूनम राजभर, अॅड. सिद्धी धामणस्कर, अॅड. प्रतीक जैन, कु. स्नेहल सुर्वे, अॅड. विकास पवारऔर इंडियन बार असोसिएशन केसदस्य बड़ी संख्या मेंउपस्थित थे।
याचिका की कॉपी औरकोर्ट के ऑर्डर नीचेदी गई लिंक परप्राप्त करे: