दिशा सालियन केस की सुनवाई 30 अप्रैल को

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी सख्त टिप्पणी, कहा: “मामला बेहद गंभीर है, पूरी सुनवाई होगी”
मुंबई ब्यूरो | विशेष संवाददाता
बॉलीवुड से जुड़ी मनीजर दिशा सालियन की सामूहिक बलात्कार और हत्या” के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आखिरकार गंभीर रुख अपनाया है। जस्टिस सारंग वी. कोतवाल की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने इस मामले को 30 अप्रैल 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा — “मामला बेहद गंभीर है, हम इसे पूरी गंभीरता से सुनेंगे।”
आज सुबह की सुनवाई में दिशा सालियन के पिता श्री सतीश सालियन की ओर से पेश हुए एडवोकेट तनवीर निज़ाम ने मामले की तुरंत सुनवाई की मांग की थी। अदालत ने इस मांग पर सहमति जताते हुए रजिस्ट्री को आदेश दिया कि याचिका को 30 अप्रैल को सुने जाने के लिए लिस्ट किया जाए।
बलात्कार, हत्या और सबूत नष्ट करने का संगठित प्रयास
याचिका में बेहद चौंकाने वाले आरोप लगाए गए हैं — जिनमें सामूहिक बलात्कार, हत्या, और उसके बाद ‘कवर-अप’ और सबूत मिटाने का संगठित प्रयास शामिल हैं। एडवोकेट निज़ाम ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने भले ही SIT बनाई हो, लेकिन अब तक FIR तक दर्ज नहीं की गई है, जो कि कानून का घोर उल्लंघन है।
याचिका में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य पुलिस की SIT पर भरोसा नहीं किया जा सकता, इसलिए CBI और स्वतंत्र, ईमानदार अधिकारियों की कोर्ट-निगरानी में SIT बनाई जाए। इसके लिए श्री. सदानंद दाते और श्री समीर वानखेडे जैसे अधिकारियों के नाम भी सुझाए गए हैं।
मामले में प्रस्तुत प्रमुख दस्तावेज:
1. श्री सतीश सालियन की मूल विस्तृत याचिका
2. 15 अप्रैल 2025 को दाखिल 285 पन्नों की अंतरिम याचिका (IA), जिसमें शामिल हैं:
o 166 पन्नों का शपथपत्र
o याचिका के बाद की नई घटनाएं
o महत्वपूर्ण सबूत
o और विस्तृत फॉरेंसिक रिपोर्ट, जो पूर्व नियोजित साजिश और सबूतों को नष्ट करने की मंशा को उजागर करती है।
मीडिया को दी गई जानकारी:
मूल याचिका की प्रति पहले ही कई प्रमुख मीडिया हाउसों को दी जा चुकी है। वहीं, 285 पन्नों की IA और शपथपत्र की प्रति कुछ चुनिंदा पत्रकारों को श्री सतीश सालियन की अनुमति के बाद उपलब्ध कराई गई है।
केंद्र में है आदित्य ठाकरे का नाम — गहराता सियासी विवाद
इस केस में सीधे आरोपी के तौर पर नाम सामने आया है आदित्य ठाकरे का। उनके साथ कुछ अन्य प्रभावशाली ‘सो कॉल्ड हाई प्रोफाइल’ लोगों के नाम भी याचिका में शामिल हैं। आरोप है कि पिछले जांच में इन्हें बचाने के लिए संगठित प्रयास किए गए।
पुलिस जांच में बार-बार सामने आई विसंगतियां, राजनीतिक दबाव में अचानक गायब हुई फाइलें, गवाहों को डराने की कोशिश, और सबूत नष्ट करने की रणनीति — अब सब खुलकर सामने आ रहे हैं।
यह सिर्फ एक सुनवाई नहीं, न्यायिक व्यवस्था की अग्निपरीक्षा है!
यह मामला सिर्फ एक कोर्ट केस नहीं है — यह सच और सत्ता के बीच सीधी टक्कर है।
अब देखना यह है कि क्या ‘तत्कालीन सत्ता पक्ष के दबाव’ में एक बार फिर सच को कुचलने की कोशिश होती है, या इस बार सच्चाई की जीत होती है।
न्याय होना ही चाहिए — यही अब पूरे देश की एकजुट आवाज़ है।
“सच बनाम सत्ता – पैसा और पावर जीतेंगे या इस बार न्याय बोलेगा?”
अब पूरा देश देख रहा है — क्या ‘तत्कालीन सत्ता पक्ष के दबाव’ में सच को कुचलने की कोशिश करने वालों को इस बार कानून सज़ा देगा? या वे एक बार फिर अपने पैसे और पावर की ढाल लेकर बच निकलेंगे?
30 अप्रैल 2025 के बाद की हर अपडेट, हर मोड़, हर खुलासा… हम आप तक पहुँचाते रहेंगे।