सुशांत सिंह राजपूत – दिशा सालीयन केस: CBI केस रिकॉर्ड और हाई कोर्ट ऑर्डर से रिया का झूठ बेनकाब! अब जेल तय – रिया के बचने के सारे रास्ते बंद ।

CBI केस रिकॉर्ड और हाई कोर्ट ऑर्डर से यह सिद्ध हो गया है कि रिया चक्रवर्ती ने जानबूझकर SSR की बहनों के खिलाफ झूठी FIR दर्ज कराई।
जांच रिपोर्टों में उसकी भूमिका स्पष्ट है। अब जेल जाना तय है, बचने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं।
SSR केस में ‘क्लीन चिट’ की साजिश का पर्दाफाश: रिया, उद्धव, आदित्य, CBI अधिकारी और मीडिया पर गिरफ्तारी की मांग
बॉम्बे हाई कोर्ट में दायर याचिका में खुलासा — सुशांत की बहनों को झूठे केस में फंसाया, हाई कोर्ट और CBI रिपोर्ट में रिया दोषी पाई गई; मीडिया ने झूठ फैलाया।
बॉम्बे हाईकोर्ट में — 379 BNSS के तहत सीधा मुकदमा शुरू। आरोपीयो के खिलाफ गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट की मांग
सुशांत की पुण्यतिथि पर न्यायिक शंखनाद: अब शुरू होगा “न्याय का महासंग्राम”!
बॉम्बे हाईकोर्ट में हुआ बड़ा विस्फोटक खुलासा — CBI, नेताओं और पत्रकारों ने रची क्लीन चिट की साज़िश!
CBI के अफसरों ने चार्जशीट से क्लीन चिट बनाने का षड्यंत्र रचा — अब वही अफसर बने आरोपी!
कानूनी कार्रवाई की ठोस मांग — आरोपियों को जमानत मिलने की कोई संभावना नहीं!
CBI की पुरानी करतूत दोहराई गई — जैसे अनिल देशमुख को बचाते पकड़े गए थे तीन अफसर और एक वकील, वैसे ही अब फिर पर्दाफाश!
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी CBI के निदेशक नागेश्वर राव और लीगल एडवाइज़र को अवमानना में जेल भेजा था। अब फिर वैसा ही मामला सामने!
CBI के अंदर से मिली रिपोर्ट्स और कोर्ट में पेश दस्तावेज़ों ने खोली साजिश की परतें!
BBC, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस, मिड डे, द हिंदू, राजदीप सरदेसाई, शम्स ताहिर खान सहित कई पत्रकार इस साज़िश में सक्रिय रूप से लिप्त पाए गए — ठोस सबूत कोर्ट में पेश!
इन पत्रकारों ने न केवल झूठी खबरें फैलाईं, बल्कि आरोपी पक्ष को पीड़ित और पीड़ितों को आरोपी के रूप में प्रस्तुत करने का सुनियोजित प्रयास किया — जो अब पूरी तरह उजागर हो चुका है।
इन पत्रकारों के खिलाफ भी जल्द ही गिरफ्तारी वारंट जारी होने की संभावना जताई गई है — न्यायालय से कार्रवाई की मांग तेज!
SSR केस: रिया का झूठ बेनकाब! अब जेल तय – रिया के बचने के सारे रास्ते बंद. अब जेल जाना तय, कोई रास्ता नहीं बचा।
जांच रिपोर्ट और कोर्ट के आदेश में रिया की भूमिका स्पष्ट। हाईकोर्ट और CBI के रिकॉर्ड से हुआ खुलासा — रिया चक्रवर्ती ने SSR की बहनों को झूठे केस में फँसाया।
अब न क्लीन चिट, न कोई बचाव — रिया के खिलाफ गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट की मांग, अब जेल तय! झूठी FIR, साज़िश, और CBI की निष्क्रियता — अब सब पर कार्रवाई का वक्त!
SSR को मिला न्याय – झूठ की हार, सच की जीत!
4 साल बाद सच आया सामने। हाईकोर्ट और याचिका से स्पष्ट — SSR को आत्महत्या के लिए उकसाने वाली थ्योरी फर्जी थी।
अब झूठ फैलाने वालों की बारी है — न्याय की मशाल फिर से जली है।
रिया फँसी – हाईकोर्ट और CBI रिपोर्ट में दोषी!
CBI केस रिकॉर्ड और कोर्ट ऑर्डर से साफ — रिया ने फर्जी FIR दर्ज कर SSR की बहनों को किया बदनाम। अब अदालत से मांग: दोषियों की गिरफ्तारी और सज़ा तय की जाए।
रिया पर कानून का शिकंजा कस गया है!
अब न कोई राजनीतिक संरक्षण, न मीडिया की ढाल काम आने वाली है।
साज़िश रचने वालों को बचाने वाले भी आएंगे घेरे में — कानून का शिकंजा मजबूत हो चुका है।
रिया निर्दोष नहीं! अब होगी गिरफ्तारी!
‘क्लीन चिट’ का झूठ अब नहीं चलेगा — हाईकोर्ट ने माना रिया ने SSR की बहनों को झूठे केस में फँसाया। अब कोर्ट से सीधी मांग — गैरजमानती वारंट जारी हो!
अब जेल तय – रिया के बचने के सारे रास्ते बंद
जांच रिपोर्ट और कोर्ट के आदेश में रिया की भूमिका स्पष्ट।
झूठी FIR, साज़िश, और CBI की निष्क्रियता — अब सब पर कार्रवाई का वक्त!
अब जेल जाना तय, कोई रास्ता नहीं बचा।
झूठी FIR, साजिश, और अब सज़ा – रिया की उलटी गिनती शुरू!
SSR केस में सबसे बड़ा मोड़ — याचिका ने खोली साज़िश की परतें।
अब CBI, मीडिया और राजनीतिक संरक्षण देने वाले भी सवालों के घेरे में।
रिया के लिए कानून का काउंटडाउन शुरू हो चुका है।
14 जून की पुण्यतिथि से पूर्व SSR केस में न्यायिक विस्फोट – बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका ने ‘क्लीन चिट’ की झूठी कहानी की परतें उधेड़ीं
याचिका में मीडिया चेहरों सहित कई ताकतवर आरोपियों पर कार्रवाई की अपील वरिष्ठ अधिवक्ताओं की टीम मैदान में:
एडवोकेट निलेश ओझा, एडवोकेट ईश्वरलाल अग्रवाल, एडवोकेट तनवीर निज़ाम, एडवोकेट विवेक रामटेके सहित अनेक अनुभवी वकीलों की टीम करेगी पैरवी।
याचिकाकर्ता:
श्री सतीश सालियन, श्री मुरसलीन शेख (इंडियन लॉयर्स एंड ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स एसोसिएशन) व अन्य देशभक्त नागरिक।
“क्लीन चिट” कोई सच्चाई नहीं, बल्कि जनता को गुमराह करने वाला आपराधिक छलावा है। सच्चाई हाई कोर्ट और CBI रिकॉर्ड में है — और हमने उसे अदालत में प्रस्तुत कर दिया है।”
विस्तारीत न्यूज़: –
चार्जशीट को क्लीन चिट बनाने वाले CBI के अधिकारियों का भंडाफोड़!
CBI की आंतरिक जांच रिपोर्ट तथा बॉम्बे हाईकोर्ट के स्पष्ट और बाध्यकारी निर्देशों के अनुसार
रिया चक्रवर्ती, आदित्य ठाकरे, उद्धव ठाकरे, अनिल देशमुख, मुंबई पुलिस के कुछ भ्रष्ट अधिकारी,तथा राजदीप सरदेसाई और इंडिया टुडे जैसे मीडिया संस्थानों के खिलाफ IPC की धाराओं — 195, 211, 409, 218, 466, 120(B), 34, 107 के तहत आपराधिक कार्रवाई किया जाना CBI अधिकारियों के लिए कानूनी रूप से अनिवार्य था।
लेकिन CBI अधिकारियों ने इन प्रभावशाली आरोपियों को बचाने की नीयत से रिपोर्ट में तथ्यात्मक हेरफेर की, और जानबूझकर ऐसी रिपोर्ट तैयार की जिससे आरोपी पक्ष को “क्लीन चिट” जैसी राहत प्राप्त हो सके।
लेकिन अब वहीं रिपोर्ट, कोर्ट में पेश दस्तावेज़, और हाईकोर्ट की टिप्पणियाँ, इन अधिकारियों के भ्रष्टाचार और कर्तव्यच्युत आचरण का पर्दाफाश कर चुकी हैं।यह न सिर्फ कर्तव्य की अवहेलना है, बल्कि एक संगठित आपराधिक षड्यंत्र है, जिसका उद्देश्य था
अपराधियों को बचाना, न्यायिक प्रक्रिया को निष्क्रिय करना, और लोकतंत्र में जनता के विश्वास को गिराना।
अब यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि ऐसे अधिकारियों को न केवल तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाए, बल्कि उनके खिलाफ अभियोजन शुरू हो, और उन्हें न्यायिक अवमानना, आपराधिक कदाचार और साक्ष्य के साथ धोखाधड़ी के लिए सख्त सजा दी जाए।
पूर्व में जब महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को गिरफ्तारी से बचाने के लिए प्रयास हो रहे थे, तब CBI के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने जानबूझकर जाँच को कमजोर किया।
जब यह घोटाला सामने आया, CBI ने स्वयं अपने तीन अधिकारियों और एक अधिवक्ता को गिरफ्तार किया, जिन पर अनिल देशमुख की अवैध मदद करने के आरोप थे।
इतना ही नहीं — CBI के तत्कालीन निदेशक एम. नागेश्वर राव और CBI के लीगल हेड को सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी, क्योंकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों का उल्लंघन किया था।
कठोर कानूनी कार्यवाही की स्पष्ट मांग — कोई जमानत नहीं!
SSR वॉरियर्स ने अंधेरे में सिर्फ एक दीप नहीं जलाया, बल्कि अन्याय के खिलाफ न्याय का मशाल जलाया है — जो अब थमेगा नहीं!” अब सच्चाई का उजाला ही न्याय का रास्ता रोशन करेगा!”
13 जून 2025 — आज अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की चौथी पुण्यतिथि पर न्याय के लिए देशभर में एक निर्णायक कदम उठाया गया। दिशा सालियन के पिता श्री सतीश सालियन और सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट लिटिगेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री रशीद खान पठान ने रिया चक्रवर्ती, आदित्य ठाकरे, उद्धव ठाकरे, और CBI के चार वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में ऐतिहासिक याचिका दाखिल की है।
“यह याचिका कुछ ईमानदार वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दिए गए सबूतों और मशवरे पर दाखिल की गई है। याचिका में CBI के रिकॉर्ड्स के ही आधार पर बताया गया है कि कैसे CBI के ही कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने रिया, अनिल देशमुख , उद्धव और आदित्य को मदद करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया है और कोर्ट से धोखा किया है।”
बॉम्बे हाईकोर्ट में एक निर्णायक मुकदमा दाखिल किया गया है, जिसमें मुख्य रूप से आरोप लगाया गया है कि:
· रिया चक्रवर्ती,
· आदित्य ठाकरे,
· उद्धव ठाकरे,
· कुछ प्रभावशाली मीडिया प्रतिनिधि,
· मुंबई पुलिस के उच्च पदस्थ अधिकारी, और
· CBI के भ्रष्ट अधिकारी —
इन सभी ने मिलकर एक संगठित अपराध और साजिश को अंजाम दिया, जिसका उद्देश्य था:
· दिशा सालियन और सुशांत सिंह राजपूत की मौतों के पीछे की सच्चाई को छुपाना,
· सबूतों को नष्ट करना या छुपाना,
· निर्दोषों को फँसाना और असली अपराधियों को बचाना,
· न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करना, और
· मीडिया के ज़रिए जनता को भटकाना।
याचिका में CBI के ही रिकॉर्ड्स और जांच दस्तावेज़ों के आधार पर यह दिखाया गया है कि किस प्रकार उच्च अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर अपराधियों को संरक्षण प्रदान किया।
वर्तमान CBI अधिकारी भी फंसे — दस्तावेज़ों से प्रमाणित षड्यंत्र याचिका में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि CBI के चार वर्तमान अधिकारी —
- SP सुहैल शर्मा,
- Addl. SP आलोक कुमार सिंह,
- PI अमित शेरावत, और
- PP जयंती महाला —
इन चारों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जो रिपोर्ट (2025) पेश की, उसमें जानबूझकर कई महत्त्वपूर्ण सबूतों को छिपाया गया।
साक्ष्य बताते हैं कि इन अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों की सीधी अवमानना की है, और आरोपियों को बचाने की गहरी साजिश में भागीदारी निभाई है।
यह याचिका कोई भावनात्मक आरोप या बिना प्रमाण की शिकायत नहीं है, बल्कि यह देश के भीतर कार्यरत कुछ ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा प्रदान किए गए ठोस दस्तावेज़ी सबूतों और कानूनी सलाह पर आधारित है।
याचिका में प्रस्तुत सभी आरोप CBI के आधिकारिक रिकॉर्ड्स, रिपोर्ट्स, और फाइलिंग्स पर आधारित हैं — यानि कि साक्ष्य उन्हीं अधिकारियों की फाइलों में मौजूद हैं जिनपर आरोप लगाए गए हैं।
याचिका में विस्तार से दिखाया गया है कि:
कैसे CBI के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने संवैधानिक पद और शक्तियों का गंभीर दुरुपयोग करते हुए, रिया चक्रवर्ती, उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे जैसे प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तियों की अवैध रूप से रक्षा की,
और कैसे उन्होंने अदालत के सामने अधूरी, पक्षपाती और भ्रामक रिपोर्ट प्रस्तुत करके न्यायालय को गुमराह किया।
यह एक सुनियोजित आपराधिक षड्यंत्र है, जिसका उद्देश्य:
- मुख्य आरोपियों को कानून से बचाना,
- साक्ष्यों को दबाना,
- और जांच को गुमराह करके न्याय की पूरी प्रक्रिया को विकृत करना था।
यही नहीं, जो तथ्य याचिका में सामने रखे गए हैं, वे इस बात को प्रमाणित करते हैं कि CBI के कुछ अधिकारी अब खुद आरोपी की भूमिका में हैं, क्योंकि:
- उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों की अवमानना की,
- जांच में जानबूझकर रुकावटें डालीं,
- और जिनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए थी, उन्हें बचाया।
इसीलिए, याचिका में विशेष रूप से इन अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त करने, उनके विरुद्ध आपराधिक मुकदमा चलाने, और उन्हें न्यायालयीन अवमानना सहित कड़ी सज़ा देने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट व्यवस्था है कि ऐसे अधिकारियों को तुरंत सेवा से बर्खास्त करना चाहिए और उनके खिलाफ अभियोजन शुरू कर उन्हें कठोर दंड देना न्याय और संविधान का कर्तव्य है।”
यह याचिका केवल एक कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था और न्यायिक प्रक्रिया की रक्षा के लिए उठाया गया साहसी और तथ्यात्मक कदम है। इसमें यह स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि जब जांच एजेंसियों के कुछ अधिकारी ही सत्ता और प्रभाव के दबाव में आकर अपराधियों के सहयोगी बन जाएं, तो उन्हें बख्शना लोकतंत्र और कानून का अपमान है।
मीडिया के कुछ चेहरे भी बेनकाब — अब नहीं बच पाएंगे!
BBC, इंडिया टुडे, इंडियन एक्सप्रेस, मिड डे, द हिंदू, राजदीप सरदेसाई और शम्स ताहिर खान जैसे पत्रकारों/मीडिया संस्थानों पर भी अब गंभीर आरोप लगे हैं। याचिका में बताया गया है कि:
- इन संस्थानों ने जानबूझकर झूठी खबरें प्रसारित कीं,
- आरोपी पक्ष को क्लीन चिट देने की कोशिश की,
- और न्यायिक कार्यवाही की गलत व्याख्या की।
इन मीडिया संस्थानों को अब “मुख्य आरोपियों” के बराबर का दोषी माना जाए, ऐसा अनुरोध किया गया है।
यह भी मांग की गई है कि इन मीडिया संस्थानों के झूठ फैलाने में हुई आर्थिक लेन-देन की जांच अब सिर्फ CBI नहीं, बल्कि ED (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा की जाए।
कठोर कानूनी कार्यवाही की स्पष्ट मांग — कोई जमानत नहीं!
याचिका में यह भी प्रार्थना की गई है कि:
- सभी अभियुक्तों को अजामीनपात्र गिरफ्तार किया जाए,
- IPC की धाराएँ 192, 193, 195, 211, 409, 120B, 166, 34 और न्यायालयीन अवमानना के तहत मुकदमा चलाया जाए,
- BNSS (पूर्व CrPC 340) के अंतर्गत अदालत के रजिस्ट्रार को अभियोजन की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया जाए,
- और दिशा सालियन की सामूहिक बलात्कार व हत्या की जांच IG या उससे वरिष्ठ स्तर के अधिकारी द्वारा फिर से की जाए।
जनता का आक्रोश और न्याय का संकल्प — अब कोई माफ नहीं होगा!
SSR समर्थकों, दिशा सालियन के परिजनों और न्यायप्रिय नागरिकों ने इस याचिका को “न्याय की मशाल” बताते हुए साफ कहा है:
“अब कोई माफी नहीं — जो भी न्याय को कुचलने का प्रयास करेगा, वह कानून के कठघरे में खड़ा होगा।”
यह याचिका न केवल एक कानूनी दस्तावेज है, बल्कि यह भारत की न्यायपालिका में जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए उठाया गया एक ऐतिहासिक कदम है।
यह स्पष्ट संदेश देती है:
“कोई कितना भी ताक़तवर क्यों न हो — अगर वह न्याय को गुमराह करता है, सच्चाई को दबाता है — तो उसे कानून के अनुसार दंडित किया जाएगा।”
यह याचिका जल्द ही हाईकोर्ट में तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हो सकती है।
Q- Vive और SSR न्याय अभियान की ओर से इस केस की हर जानकारी आम जनता तक पहुँचाई जाती रहेगी।
आज की पुण्यतिथि पर — सुशांत, दिशा और भारत के न्याय के लिए — यह सत्य जन-जन तक पहुँचाइए।
#JusticeForSSR#ExposeCBIConspiracy#DishaSalianMurder#MediaAccountability#SatyamevJayate