CBI की रिपोर्ट ने खोला झूठ की परतों का पिटारा — रिया चक्रवर्ती की FIR फर्जी साबित, अब उद्धव ठाकरे, अनिल देशमुख समेत पुलिस अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी!

मुंबई, 20 मार्च 2025 | विशेष संवाददाता: देशभर में सनसनी फैलाने वाले सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले में अब एक बड़ा और निर्णायक मोड़ आ गया है। CBI की रिपोर्ट नं. 06/2025, जो बांद्रा मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में दाखिल की गई, ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती द्वारा दर्ज कराई गई FIR झूठ का पुलिंदा थी।
अब न केवल रिया के खिलाफ, बल्कि उस समय के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख, और मामले से जुड़े कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश और न्याय में बाधा उत्पन्न करने के आरोपों में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
क्या था रिया चक्रवर्ती का आरोप? और कैसे हुआ उसका पर्दाफाश?
रिया ने 7 सितंबर 2020 को FIR नं. 576/2020 के तहत आरोप लगाया था कि:
- सुशांत की बहनें प्रियंका सिंह और मीतू सिंह, उनके आर्थिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही थीं;
- उन्होंने एम्स के डॉक्टर तरुण कुमार के साथ मिलकर नकली मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन तैयार किया;
- और उस नकली प्रिस्क्रिप्शन से मिली दवाओं के ज़रिए सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाया गया।
लेकिन अब CBI ने इन आरोपों को बेबुनियाद, झूठा और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि FIR का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ जांच को भटकाना और असली अपराधियों को बचाना था।
हाई कोर्ट भी पहले ही बोल चुका था — आरोपों में दम नहीं!
CBI की रिपोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले के आदेश का भी हवाला दिया है, जिसमें कहा गया था कि FIR में लगाए गए आरोप केवल शंकाओं पर आधारित हैं, कोई ठोस साक्ष्य नहीं है”
अब रिया ही नहीं, उद्धव और देशमुख भी घिर चुके हैं कानून के शिकंजे में!
CBI की रिपोर्ट को आधार मानते हुए, अब जिन लोगों के खिलाफ गंभीर आपराधिक धाराओं में कार्यवाही शुरू हो रही है, उनमें शामिल हैं:
- रिया चक्रवर्ती
- तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
- पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख
- जिम्मेदार पुलिस अधिकारी जिन्होंने इस झूठी FIR को दर्ज करने में भूमिका निभाई।
इन पर लगे IPC की धाराएं हैं:
- धारा 211 – किसी निर्दोष व्यक्ति पर जानबूझकर झूठा केस थोपना
- धारा 195 – झूठे दस्तावेज या सबूत तैयार करना
- धारा 166, 167 – लोक सेवक द्वारा अपने पद का दुरुपयोग
- धारा 409 – जनता के विश्वास का उल्लंघन
- धारा 120B, 107, 109, 34 – आपराधिक साजिश और साझा दोष
दिशा सालियान के पिता ने ठोकी याचिका — अब चाहिए गिरफ़्तारी वारंट!
श्री सतीश सालियान, जो दिवंगत दिशा सालियान के पिता हैं, उन्होंने CrPC की धारा 379 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले Arvinder Singh Bagga बनाम पंजाब राज्य (1998) 6 SCC 352 का हवाला देते हुए माँग की गई है:
- सभी आरोपियों के खिलाफ तुरंत गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाएं
- हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार के माध्यम से अलग से मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही शुरू की जाए
SC के निर्देश — ऐसे मामलों में बेल का कोई अधिकार नहीं!
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के इन दो फैसलों का जिक्र किया गया है:
- Ashok Saraogi v. State of Maharashtra (2016 ALL MR (Cri.) 3400)
- Naveen Singh v. State of U.P. (2021) 6 SCC 191
इन फैसलों में साफ कहा गया है कि जहां झूठे आरोप और नकली दस्तावेजों से न्याय को प्रभावित करने की कोशिश हो, वहाँ जमानत नहीं दी जा सकती, और अभियुक्तों को हिरासत में रखकर ट्रायल चलाया जाना चाहिए।
टीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी भी बनी मिसाल
याचिका में टीस्ता सीतलवाड़ के मामले का भी उल्लेख है, जिन्हें गुजरात दंगों के संबंध में फर्जी आरोप लगाने और सबूत गढ़ने के लिए जेल भेजा गया था। वहां भी कोर्ट ने बेल देने से इनकार कर दिया था।
सुशांत-दिशा केस में न्याय की रौशनी अब नजदीक?
CBI की रिपोर्ट और कोर्ट में शुरू हुई कार्रवाई ने एक नई उम्मीद को जन्म दिया है। अब जब न्याय की प्रक्रिया उन पर केंद्रित हो रही है जिन्होंने झूठ की दीवार खड़ी की थी, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि सच्चाई सामने आने की शुरुआत हो चुकी है।
“अब न कोई बच सकेगा, न कोई छुप सकेगा — झूठ के महल ढहेंगे, और न्याय के दीप फिर से जलेंगे!”