[बिग ब्रेकिंग] बुरे फसे ॲड. अभिषेक मनु सिंघवी।
हायकोर्ट जज के खिलफ बेबुनियाद और झुठे आरोपो के लिए ॲड. अभिषेक मनु
सिंघवी और अन्य के खिलाफ कोर्ट अवमानना याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर।
ममता बॅनर्जी के भांजे अभिषेक बॅनर्जी भी बने आरोपी।
याचिकाकर्ता के और से इंडियन बार असोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड. निलेश ओझा के अलावा अँड. तनवीर निझाम, अँड. ईश्वरलाल अग्रवाल, अँड. आनंद जोंधले और अन्य सदस्य पैरवी करने वाले हें।
ॲड. सिंघवी का सिनीअर वकिल का दर्जा वापिस लेकर उन्हें वकिल का काम करने के लिए आजीवन पाबंदी लगाने की मांग।
इसके पहले वरीष्ठ अधिवक्ता आर. के. आनंद को सजा देकर उनका सिनिअर वकिल का दर्जा वापस लेकर उन्हें कोर्ट में हाजिर होकर केस लढ़ने पर पाबंदी लगा दी गई थी। और बाद में उन्हें 21 लाख रूपये का जुर्माना भी ठोका गया था।
इंडियन लॉयर्स ॲड ह्युमन राईट्स ॲक्टीव्हीट्स एसोसिएशन के मूर्सलीन शेख ने दायर की याचिका।
इसी मामले मे इंडियन बार एसोसिएशन ने भी चीफ जस्टीस ऑफ़ इंडिया श्री.डी.वाय. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर अँड.अभिषेक मनू सिंघवी के अलावा कलकत्ता हायकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुनव घोष तथा अन्य कुछ वकिलो के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कारवाई करने की मांग की है।
इंडियन बार एसोसिएशन का आरोप है की कुछ वकिलो द्वारा आरोपी और भ्रष्ट नेताओ को बचाने के लिए तृणमूल कॉंग्रेस सरकार का भ्रष्टाचार उजागर करनेवाले जजेस के खिलाफ एक सुनियोजित तरीके से षड़यंत्र चलाकर उनके खिलाफ धरना, मोर्चा, बेबुनियाद आरोप कर उन्हे अपने कर्तव्य के निर्वहन करने से परावृत्त्त करने की साजिश के तहत यह सब किया गया है ।
नई दिल्ली : कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय (गांगुली) के खिलाफ झूठे और बेबुनियाद आरोप करने के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, शपथपत्र देनेवाले तृणमूल कॉंग्रेस के सांसद तथा ममता बॅनर्जी के भांजे अभिषेक बॅनर्जी और ॲडव्होकेट ऑन रिकॉर्ड उदयादित्य बॅनर्जी के खिलाफ कोर्ट अवमानना कानून 1971 की धारा 12 के तहत सजा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है। उस धारा में 6 महिने कारावास की सजा का प्रावधान है।
यह याचिका इंडियन लॉयर्स ॲड ह्युमन राईट्स ॲक्टीव्हीट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष मूर्सलीन शेख ने दायर की है।
मामला यह है की, अभिषेक बॅनर्जी और ममता बॅनर्जी के पार्टी के मंत्रीयो के खिलाफ कई भ्रष्टाचार के आरोप है और ऐसे ही एक मामले में हायकोर्ट जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने सीबीआय द्वारा जाँच के आदेश दिए है। उस आदेश के खिलाफ आरोपी अभिषेक बॅनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। उस अपील में बॅनर्जी ने जज गंगोपाध्याय के खिलाफ यह आरोप लगाया की जज ने दुर्भावना से प्रेरीत होकर गैरकानूनी आदेश पारीत किये है। लेकिन इस बारे में कोई भी सबूत उन्होंने पेश नहीं किये।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाये गये नियमो अनुसार अगर कोई भी व्यक्ती बिना किसी सबूत के अगर किसी जज के खिलाफ दुर्भावना, भ्रष्ट आचरण जैसे अवमाननाजनक आरोप करता है तो ऐसा याचिकाकर्ता और उसके वकिल कोर्ट अवमानना मामले में सजा के हक़दार है।
हाल ही में Municipal Council Tikamgarh v. Matsya Udyog Sahkari Samiti, 2022 SCC OnLine SC 1900 और Mohan Chandra 2022 Live Law (SC) 952 मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता समेत उनके वकिलो को भी कोर्ट अवमानना के तहत कारण बताओ नोटीस जारी किया है।
हायकोर्ट रजिस्ट्री के खिलाफ बेबुनियाद आरोप करने के मामले मे वरिष्ठ अधिवक्ता यतीन ओझा को भी कोर्ट अवमानना के तहत सजा देकर उनका सिनीअर कौन्सिल (वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा वापिस ले लिया गया था।
दुसरे वरिष्ठ अधिवक्ता अँड. आर.के. आनंद को भी झुठी गवाही तयार करने के मामले मे दिल्ली उच्च न्यायालयने कोर्ट अवमानना के तहत सजा देकर उनका वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा निकालकर उन्हें निश्चित अवधि तक कोर्ट में वकिल का काम करने के लिए पाबंदी लगा दी गई थी।
जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुचा तब सुप्रीम कोर्ट ने आर.के. आनंद को सजा बढ़ाने का नोटिस देकर उनपर 21 लाख रूपये का जुर्माना और 1 साल तक गरीब लोगो की केसेस बिना किसी फीस के मुफ्त चलाने का आदेश दिया था।
ऐसी ही सजा अँड. अभिषेक मनू सिंघवी को देने की मांग याचिका मे की गई है।
इसी मामले मे इंडियन बार एसोसिएशन ने भी चीफ जस्टीस ऑफ़ इंडिया श्री.डी.वाय. चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर अँड.अभिषेक मनू सिंघवी के अलावा कलकत्ता हायकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुनव घोष तथा अन्य कुछ वकिलो के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कारवाई करने की मांग की है।
इंडियन बार एसोसिएशन का आरोप है की कुछ वकिलो द्वारा आरोपी और भ्रष्ट नेताओ को बचाने के लिए तृणमूल कॉंग्रेस सरकार का भ्रष्टाचार उजागर करनेवाले जजेस के खिलाफ एक सुनियोजित तरीके से षड़यंत्र चलाकर उनके खिलाफ धरना, मोर्चा, बेबुनियाद आरोप कर उन्हे अपने कर्तव्य के निर्वहन करने से परावृत्त्त करने की साजिश के तहत यह सब किया गया है ।
मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिका पर जल्द ही सुनवाई होने की संभावना है।
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