सुप्रीम कोर्ट में झूठा शपथ पत्र देकर की गई धोखा–धड़ी मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के खिलाफ कोर्ट अवमानना और I.P.C की धारा 115, 304, 302, 191, 192, 193, 199, 200, 201, 209, 409, 120(B), 34 के तहत कारवाई की याचिका दायर।
इंडियन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष निलेश ओझा और सुप्रीम कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ईश्वरलाल अग्रवाल के साथ अन्य कई वरिष्ठ अधिवक्ता इस मामले मे IMA के खिलाफ अपना पक्ष रखेंगे।
कोव्हीड वैक्सीन के जानलेवा दुष्परीणामो को छुपाने के लिए बाबा रामदेव के खिलाफ झूठे शपथ पत्र के साथ गैरकानूनी याचिका दायर करने का IMA पर आरोप।
कोव्हीड वैक्सीन के जानलेवा दुष्परिणाम को भारत सरकार के आरोग्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया है, WHO, Harvard विश्वविद्यालय तथा अनेक वैज्ञानिक शोधपत्रों में कोव्हिड वैक्सीन लगाने और उसकी तरफदारी करने को बेवकूफाना बताया है. जिन देशो ने ज्यादा वैक्सीन दी और ज्यादा बुस्टर डोज लगाये उन देशो मे ज्यादा मौते हुई और कोरोना के ज्यादा व्हैरीएंट लगातए आते रहे फिर भी IMA ने इन जानलेवा वैक्सीन की तरफदारी करते हुए गैरकानूनी याचिका दायर कर वैक्सीन का भांडाफोड करने वाले बाबा रामदेव को ही डराने की कोशीश की है।
इंडियन लॉयर्स एंड ह्यूमन राईट्स एक्टिव्हीस्त एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर कर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरफसे झूठा शपथपत्र दायर करने वाले और उन्हें इस कामों में मदद करनेवाले सभी पदधिकरियो के खिलाफ कोर्ट अवमानना की धारा 2(c), 12, 15 के तहत और IPC की धारा 115, 304, 302, 191, 192, 193, 199, 200, 201, 209, 409, 120(B), 34 के तहत कारवाई की मांग की है
इन धाराओं में दोषी पाए जाने पर IMA के सदस्यों को उम्रकैद याने आजीवन कारावास से लेकर फांसी तक की सजा हो सकती है।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने IMA पर 5 करोड रुपये जुर्माना लगाकर IMA का रजिस्ट्रेशन भी खारिज करने की मांग की है।
फार्मा माफीया और इंडियन मेडीकल एसोशिएशन द्वारा कोरोना वैक्सीन तथा ऍलोपथी दवाइयों के दुष्परीणामो को दबाने का प्रयास उजागर होने की वजह से उनके खिलाफ देशभर में गुस्सा फूट पडा है। जनता मे भारी आक्रोश है।
1. ॲलोपॅथी कंपनीयो को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए फार्मा माफियाओ के इशारे पर Indian Medical Association (IMA) द्वारा पतंजली आयुर्वेद और रामदेव बाबा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमे ॲलोपॅथी दवाईयो और वैक्सीन के जानलेवा दुष्परिणाम को छुपाकर उन्हे असरदार दिखाकर आयुर्वेदिक, नॅचारोपॅथी जैसी ज्यादा बेहतर, असरदार, हानिरहित तथा सस्ती चिकित्स्ता पद्धत्ति को नीचा दिखाकर उसके द्वारा ईलाज करने वाले डॉक्टर, चिकित्स्क आदि को धमकाकर जनता की सेवा करने से परावृत्त करने का आपराधिक षड्यंत्र रचा गया था।
2. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपने शपथपत्र में कोरोना वैक्सीन के बारे में झूठी जानकारी दी है और बाबा रामदेव ने दी हुई जानकारी दुनियाभर के वैज्ञानिक शोधपत्रों के आधारपर सही पाई गई है।
3. वैज्ञानिक शोधपत्र मे यह पाया गया की कोरोना वैक्सीन से कोरोना महमारी मे कोई भी भरौसेलायक सुरक्षा नही मिलती है बल्कि इस वैक्सीन के जानलेवा दुष्परीणाम है। कोव्हिशील्ड वैक्सीन को मौत के दुष्परीणामो की वजह से 21 युरोपियन देशो मे पाबंदी लगा दी गई थी।
Link: – https://www.aljazeera.com/news/2021/3/15/which-countries-have-halted-use-of-astrazenecas-covid-vaccine
4. शोध मे यह भी पाया गया की ज्यादा वैक्सीन देने वाले देशो मे ज्यादा मौते हुई है और vaccine का खतरा कोरोना से 98 गुना ज्यादा हानिकारक है।
Links: – https://www.thegatewaypundit.com/2022/09/ethically-unjustifiable-new-harvard-johns-hopkins-study-found-covid-19-vaccines-98-times-worse-disease/
5. शोध मे यह भी पाया गया की vaccine लेनेवाले लोगो मे cancer का खतरा 10,000 गुणा बढ़ गया है।
Link: – https://adversereactionreport.org/research/govt-database-shows-10000-increase-in-cancer-reports-due-to-covid-vaccines
6. डॉ. स्नेहल लुणावत की मौत कोव्हीशील्ड वैक्सीन के दुष्परिणामो से खुन की गुठलीया जमने की वजह से हुई भी और उनके पिता द्वारा दायर याचिका मे बॉम्बे हाय कोर्ट ने बिल गेटस, अदार पुणावाला को 1000 करोड़ रूपये जुर्माने का नोटीस जारी किया है।
Link: – https://rashidkhanpathan.com/bill-gates-adar-poonawallas-game-over-bombay-high-court-took-cognizance-issued-notice-in-a-vaccine-murder-case-of-dr-snehal-lunawat-where-interim-compensation-of-rs-1000-crore-is-soug/
7. Universal Declaration on Bioethics & Human Rights, 2005 और Montgomery v. Lanarkshire Health Board (General Medical Council intervening), [2015] 2 WLR 768, मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने दिये गये निर्देशानुसार हर डॉक्टर का यह फर्ज है की वो किसी भी पेशंट को कोई भी दवाई (चिकीत्सा) देने से पहले उसे उस दवाई/वैक्सीन या चिकीत्सा के सारे दुष्परीणामों को पेशेट को समझने वाली भाषा मे बताये और पेशंट को यह भी बताये अगर वो उस दवाई/वैक्सीन या चिकित्सा से ईलाज नहीं करवाना चाहते तो उस पेशंट के पास अन्य कौनसी चिकीत्सा पध्दतीया और दवाईया जैसे आयुर्वेद, नॅचरोपॅथी जैसे पर्याय उपलब्ध है। इन नियमो का उल्लंघन करने वाले डॉक्टर्स का लाइसेंस कैन्सिल हो सकता है और वह डॉक्टर, पिडीत पेशंट और उसके परिवारों को मुआवजा देने के लिए बाध्य है।
सारी दुनिया और भारत मे भी वैक्सीन के दुष्परीणामो से कई मौते हुई है और कई गंभीर दुष्परिणाम भी हुए और इस बात को केन्द्र सरकार की AEFI समीती मे माना है।
लेकिन उसी जानलेवा वैक्सीन को उसके दुष्परीणामो को छुपाकर भारत देश की करोडो जनता को दिया गया। उसके खिलाफ IMA ने कोई आवाज नही उठाई। उसके खिलाफ बाबा रामदेव ने आवाज उठाई, तो IMA ने उस जानलेवा वैक्सीन के समर्थन मे सुप्रीम कोर्ट मे शपथपत्र दिया। इससे यह साबित हो जाता है की IMA को आम आदमी के जान की चिंता नही है बल्कि वे फार्मा माफिया के फायदे के लिए काम कर रहे है।
8. भारतीय संविधान के अनुच्छेद १९ के तहत किसी भी मामले मे हर व्यक्ती को अपनी अलग राय रखने का अधिकार है. चिकीत्सा पद्धतीयो के बारे में भी ऐसा ही कानून संयुक्त राष्ट्र संघ (युनो) ने २००५ मे बनाया है। Universal Declaration on Bioethics & Human Rights, 2005.
9. उसमे यह स्पष्ट किया गया है की हर चिकीत्सा पद्धती और दवाईयों के अच्छे और बुरे परीणामो की चर्चा, आरोप-प्रत्यारोप को बढावा देना चाहिए।
10. हाल ही मे एप्रिल २०२४ को चीफ जस्टीस डी. वाय. चंन्द्रचूड की वरीष्ठ खंड पीठ ने Bloomberg Television Production Services India (P) Ltd. v. Zee Entertainment Enterprises Ltd., 2024 SCC OnLine SC 426 मामले मे स्पष्ट आदेश दिये है की कोई भी व्यक्ती अगर अपनी कोई बात जनता के हित मे रखने का दावा कर रहा है और अगर उसका यह कहना है की उसके पास उसकी बात साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत है तो उस व्यक्ती को अपने विरोधी याचिकाकर्ता के खिलाफ की बाते बोलने से रोकने वाला आदेश कोर्ट नही दे सकती.
11. लेकिन IMA ने उसे आदेश की अवमानना कर एक गैरकानूनी याचिका दायर कर बाबा रामदेव की आवाज को दबाने का प्रयास किया है।