सीरम कंपनी और अदार पूणावाला का बयान झूठा साबित होने की वजह से श्री प्रकाश पोहरे के और से 10,000 करोड रुपये की डिक्री के आदेश पारीत करने के लिये कोर्ट में आवेदन पेश।
आरोपी सीरम कंपनी, अदार पूनावाला द्वारा हाई कोर्ट से धोखाधडी और जज के खिलाफ बेबुनियाद और झूठे आरोप करने के मामले में उनके खिलाफ कारवाई की नई याचिका दायर।
उच्च न्यायालय ने उस नई याचिका को बोर्ड पर लेते हुए सीरम कंपनी और अदार पूणावाला को उन आरोपो पर 4 हप्ते के अंदर जबाब दाखिल करने का आदेश 26 अगस्त 2024 पारित किया है।
मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होंगी।
ऐसे ही बदनामी के मामले HDFC बैंक और भाजपा ने भी 10,000 करोड रुपये का दावा पेश किया था. HDFC बैंक के दावे को उच्च न्यायालय ने योग्य पाया। [HDFC v. Sureshchandra 2014 SCC OnLine Guj 1975]
श्री. प्रकाश पोहरे का मानहानी का 10,000 करोड़ का दावा देश का तीसरा दावा है।
नागपूर :- विशेष संवाददाता :- अव्हेंकन इंडिया मुव्हमेंट (AIM) नामक NGO ने इंडियन बार एसोसिएशन (IBA), युनिव्हर्सल हेल्थ आर्गेनाइजेशन (UHO) जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन, मास्क, लॉकडाऊन और अन्य पाबंदियो के पीछे का षड्यंत्र उजागर करके वैक्सीन के जानलेवा दुष्परीणामों को जनता तक पहुचाया, तथा हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से आदेश प्राप्त किये और वैक्सीन से मरने वाले तथा अन्य गंभीर दुष्परीणामों से पिडीतो को न्याय दिलाने में सहयोग दिया।
इसका असर यह हुवा की वो पाबंदीया हटने के बाद, करीब 70 करोड लोगों ने वैक्सीन का बुस्टर डोज लेने से मना कर दीया, जिसकी वजह से कोरोना की कोई नई लहर भी नहीं आई और कोई लॉकडाऊन नहीं लगा तथा देश में मौते भी कम हुई। जिससे आम आदमी के रोजगार पर कोई आंच नहीं आई।
डॉ स्नेहल लुणावत की मौत कोविशील्ड वैक्सीन से होने की बात भारत सरकार की AEFI टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहीं। जिसकी वजह से डॉक्टर स्नेहल के पिता श्री. दिलीप लुणावत ने सिरम कंपनी के खिलाफ 1000 करोड रुपए का मुआवजा पाने के लिए हाई कोर्ट में रीट पिटीशन दायर की। हाई कोर्ट के वरिष्ठ खंडपीठ ने उस याचिका को सुनवाई योग्य पाते हुए श्री. आदार पूनावाला, श्री. बिल गेट्स को नोटिस जारी किया और उस नोटिस को याचिकाकर्ता श्री. दिलीप लुणावत के हाथ में देकर आरोपी आदार पूनावाला पर उस रिट समन्स को पुणे कोर्ट के अधिकारियों के द्वारा देने के निर्देश दिए।
उस नोटिस को देने के लिए श्री दिलीप लुणावत और अव्हेकन इंडिया मूवमेंट ((AIM) के सदस्य पुणे पहुंचे। उन्होंने 28.9.2022 को पहले ही पुलिस को लिखित निवेदन देकर अपने काम की जानकारी दी थी। इस बात से चिढकर आदार पूनावाला और सिरम कंपनी ने पुणे के हडपसर पुलिस स्टेशन में दो दिन बाद 01.10. 2022 को लिखित शिकायत दी जिसमें कई झूठे, बेबुनियाद और बदनामीकारक (मानहानीकारक) आरोप लगाए की अव्हेकन इंडिया मूवमेंट (AIM) के लोग दंगा फसाद करने सीरम कंपनी की तोड़फोड़ करने के लिए पुणे आ रहे हैं इसलिए अव्हेकन इंडिया मूवमेंट और उनके सदस्यों के खिलाफ (FIR) एफआईआर दर्ज करके उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
पूणे पुलिस ने सीरम कंपनी की शिकायत को झूठा पाते हुए उसे खारिज कर दिया।
बाद में कोर्ट के बिलीफ के द्वारा आदार पूनावाला और सीरम कंपनी पर कोर्ट की नोटिस देने की प्रक्रिया कानूनी तरीके से पूरी की गई।
इसके बावजूद सिरम कंपनी ने सब तरफ उनकी 1 अक्टूबर 2022 की झूठी शिकायत को फैलाकरअव्हेकन इंडिया मूवमेंट और उनके सदस्यों की मानहाणी (बदनामी) करना जारी रखा।
जिसकी वजह से अव्हेकन इंडिया मूवमेंट के वरिष्ठ सदस्य श्री प्रकाश पोहरे ने नागपुर के वरिष्ठ दीवानी अदालत में 10,000 करोड़ रूपये का (दावा) केस दायर किया। उस केस का कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए आरोपी प्रतिवादी सिरम कंपनी और आदार पूनावाला को नोटिस जारी किया ।
उस केस से अपने को बचाने के लिए सिरम कंपनी और आदार पूनावाला ने अपने जबाब में शपथपत्र पर झूठा बचाव पेश किया. जिसके खिलाफ श्री प्रकाश पोहरे ने क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 340 के तहत आवेदन देकर सिरम कंपनी, आदार पूनावाला और सायरस पूणावाला समेत कंपनी के सभी पदाधिकारीयो के खिलाफ कोर्ट अवमानना और IPC 191, 192, 193, 115, 199, 200, 465,466, 471, 474, 120(B), 34 और ड्रग्स अँड कॉस्मेटीक्स ॲक्ट की धारा 27 तथा ड्रग्स अँड मैजीक रिमेडीज ॲक्ट की धारा 4, 7 और 9 के तहत कारवाई कर उन पर 50 करोड रूपये का दंड लगाने की मांग की।
उस मामले में कोर्ट ने गवाहो की गवाही और कोर्ट रिकॉर्ड की जांच करके पाया की सीरम कंपनी और अदार पूणावाला ने कोर्ट में झूठा शपथपत्र दायर करके कोर्ट से धोखाधड़ी की है और उनका जबाब (बचाव) पूर्णतः झूठा है।
बाद में कोर्ट ने खुद शिकायतकर्ता बनने का निर्णय लेकर कोर्ट के प्रबंधक (Suprintendant) को 02.08.2022 को आदेश दिया की वो सीरम कंपनी, अदार पूणावाला, और विवेक प्रधान के खिलाफ IPC की धाराऐ 181, 182, 193, 196, 199, 200, 209, 465, 471, 4 74, 120(B) और 34 के तहत केस दर्ज करे।
न्यायालय के उस ओदश से चीढकर सीरम कंपनी और आदार पूनावाला ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। [Cri. W.P. No.625 of 2024, Nagpur Bench]
उस याचिका में दिये गये शपथपत्र में सीरम और आदार पूनावाला ने जजो के खिलाफ झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाये। उनके आरोपो का झूठ कोर्ट रिकॉर्ड से ही साबित हो गया। इसलिए सीरम कंपनी औरआदार पूनावाला के खिलाफ कोर्ट अवमानना कानून 1971 और IPC की धाराए 191, 192, 193, 199, 200, 201 209, 469,471,474, 120(B), 34 के तहत नया केस दर्ज करने की नई याचिका हाई कोर्ट में दायर की गई। [cri. Application No. 133 of 2024]
उस नयी याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सीरम कंपनी और आदार पूनावाला को चार हफ्ते के अंदर जबाब दाखिल करने का आदेश 26.08.2024 को पारीत किया।
इस बीच 23.08.2024 वरीष्ठ दीवाणी अदालत में प्रकाश पोहरे के वकिल श्री. निलेश ओझा ने लिखीत में आवेदन दिया है की आरोपी सीरम कंपनी का बचाव झूठा और बेबुनियाद साबित होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा बनाये गये कानून और दीवाणी प्रक्रीया संहीता (CPC) की ऑर्डर 12 रुल 6 के तहत 10,000 करोड रुपये की मनी डिक्री के आदेश पारीत कर आरोपी सीरम कंपनी और अदार पूणावाला को निर्देश दिया जाए, की वे तुरंत 10,000 करोड रूपये की राशी वादी प्रकाश पोहरे को दे, साथ में बदनामी के दिन से हर साल 12% ब्याज भी दे। उस नियम से श्री. प्रकश पोहरे को प्रतिमाह १०० करोड़ रूपये ब्याज मिलने की संभावना है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने बनाया कानून वादी श्री. प्रकाश पोहरे के पक्ष में है। [Axis Nirman Industries Ltd. v. Rajendra Kumar, 2022 SCC OnLine Del 2115, Tiscon Realty (P) Ltd. v. C.G. Edifice, 2023 SCC OnLine Bom 1154]
ऐसे ही एक मागले में केवल 15 मिनट के लिए आरोपी जज की जगह सेवानिवृत्त जज श्री.पी.बी. सावंत का फोटो दिखाने के मामले में पूणे की वरीष्ठ दीवाणी अदालत ने ‘टाईम्स नाऊ’, कंपनी के खिलाफ 100 करोड रुपये की मनी डिक्री पारीत करने के आदेश दिये थे। उस आदेश को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सही पाया और आगे की कोई भी सुनवाई से पहले 20 करोड नगद और 80 करोड रुपये की बैंक गॅरंटी कोर्ट मे जमा करने का आदेश दिया था। [Times Global Broadcasting Co. Ltd. v. Parshuram Babaram Sawant, 2011 SCC OnLine Bom 1762, Times Global Broadcasting Co. Ltd. v. Parshuram Babaram Sawant, (2014) 1 SCC 703] वैसा ही आदेश श्री. प्रकाश पोहरे के पक्ष में आने की प्रबल संभावना है ऐसा कानूनी जानकारो का मानना है।