हायकोर्ट के साथ धोखा करने के मामले में मुंबई कमिश्नर इकबाल चहल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की याचिका दायर।
खुद के व्यक्तिगत केस के लिए सरकार के वकील की सेवा लेकर जनता के पैसों का दुरुपयोग करने के मामले में हो सकती है उम्रकैद की सजा।
झूठे शपथपत्र मामले में उन्हें गिरफ्तार करने के हेतु दण्ड प्रक्रिया संहिता (Cr. P. C.) की धारा 340 के तहत याचिका दायर।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों को छुपाकर झूठे शपथपत्र के आधार पर खुद को बचाने का प्रयास उजागर ।
खुद के द्वारा लिखीत किताब की वजह से शपथ पत्र का झूठ उजागर।
भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) के अंतर्गत और कोर्ट अवमानना की कारवाई करने की मांग।
मुंबई:- मुंबई में करना कोरोना काल में कोवीड वैक्सीन नहीं लेने वाले लोगों के खिलाफ गैरकानूनी निर्बंध लगाकर उन्हें जानलेवा टीका लेने पर मजबूर कर उनकी जान माल धोके धोखे में डालने के मामले में म्यूंसिपल–कमिश्नर इकबाल चहल को आरोपी बनाते हुए मुंबई की मेट्रोपोलिटन अदालत ने भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) के 166, 167, 304-A, 420, 120(B) आदि धाराओं के तहत समन्स जारी किए थे। इनमें अन्य आरोपी सीताराम कुंटे (मुख्य सचिव) और सुरेश काकाणी अपर आयुक्त थे।
इकबाल चहल ने कोर्ट के उस आदेश को उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। उस याचिका के शपथपत्र में इकबाल चहल ने निम्नलिखित झूठी बातें लिखी थी ।
(i) कोविड टीका न लेनेवाले लोगों के खिलाफ निर्बंध के मामले में उनका कोई हाथ नहीं है और वें सिर्फ मुख्य सचिव सीताराम कुंटे द्वारा परीत आदेशों का पालन कर रहे थे।
(ii) सीताराम कुंटे के 11 अगस्त 2021 आदेश अभी तक वापस नहीं लिए गये है और उसका पालन करना बंधनकारक है।
इकबाल चहल के शपथपत्र का झूठ बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से ही साफ हो गया। सीताराम कुंटे के गैरकानूनी आदेशों को मार्च 2022 में हाईकोर्ट ने आदेश पर सरकार ने वापस ले लिया था। [Feroze Mithiborwala Vs. State of Maharashtra 2022 SCC OnLine Bom 457].
सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने 2 मई 2022 के आदेश में ऐसे सभी गैरकानूनी आदेश वापस लेने का आदेश दिया था। [Jacob Puliyel Vs. UOI 2022 SCC OnLine SC 533].
इसके अलावा मुंबई में कोवीड टीका नहीं लेने वाले लोगों को लोकल ट्रेन, मॉल, ऑफिस आदी कई जगहों पर पाबंदी लाने वाली सलाह इकबाल चहल ने ही तक के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को देख कर खुद को अमल में लाया ऐसा उनके कहने पर ‘मिनाझ मर्चेंट’ द्वारा लिखी गई किताब ‘इकबाल चहल द कोरोना वारियर‘ में कहा गया है। इसके आलावा अन्य कई सरकारी दस्तावेज भी है। जो उनके शपथपत्र का झूठ उजागर करते है।
इसके अलावा इकबाल चहल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते समय बीएमसी के वकीलों द्वारा याचिका दायर की और याचिका के लीगल विभाग के ऑफिस का और जनता के पैसों का दुरुपयोग किया।
हाई कोर्ट द्वारा स्पष्ट कानून बनाया गया है की सरकारी वकील किसी भी आरोपी अधिकारी की केस में उनके तरफ से अपनी सेवाएं नहीं दे सकते । [Sudhir M. Vora Vs. Commissioner of Police for Greater Bombay 2004 SCC OnLine Bom 1209].
ऐसा गैरकानूनी काम करने वाले दोषी अधिकारीयों को IPC 409 में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
इस मामले में शिकायतकर्ता अंबर कोईरी के वकिल श्री. निलेश ओझा ने मा. उच्च न्यायालय में इकबाल चहल के खिलाफ याचिका दायर कर करवाई की मांग की है।
झूठे शपथपत्र देने वाले किसी भी व्यक्ति या अधिकारीयों को IPC 191, 192, 193, 199, 200, 201, 218, 465, 466, 471, 474, 120 (B), 34 आदि धाराओं में 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। साथ में 6 माह की सजा का प्रावधान है।
झूठा शपथपत्र मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर समेत कई पुलिस अधिकारीयों को 1 वर्ष 6 महीने के लिए जेल में भेजा था। [Afzal Vs. State of Haryana AIR 1996 SC 2326].
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