[बिग ब्रेकिंग] 10,000 करोड़ रुपये के मुआवजे के मामले में प्रकाश पोहरे की ऐतिहासिक जीत। कोर्ट ने वैक्सीन कंपनी के झूठ को खारिज किया। कोर्ट का फैसला प्रकाश पोहरे के पक्ष में।
कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड के दुष्परिणामों से हो रही मौतों को छुपाने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने वैक्सीन किंग अदार पूनावाला, सायरस पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट को धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोपी घोषित करते हुए उनके खिलाफ कोर्ट से धोखाधड़ी का केस दर्ज करने का आदेश दिया।
अवेकन इंडिया मूवमेंट का हर सदस्य करोड़पति बनने की राह पर। सीरम इंस्टीट्यूट के भागीदार बिल गेट्स भी बनेगे आरोपी।
आरोपियों का बचाव झूठा साबित होने और बॉम्बे हाई कोर्ट के Tiscon Realty (P) Ltd. v. C. G Edifice, 2023 SCC OnLine Bom 1154 के फैसले की वजह से प्रकाश पोहरेजी को 10,000 करोड़ रुपये का मुआवजा मिलने का रास्ता साफ हुआ।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ द्वारा Naveen Singh v. State of U.P., (2021) 6 SCC 191 के तहत अदार पूनावाला, सायरस पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी के सभी पदाधिकारियों को जेल में रखकर केस चलाया जाने का अंदेशा है क्योंकि कोर्ट (अदालत) से धोखाधड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत नहीं देने का आदेश पारित किया है।
मुंबई: वैक्सीन किंग और देश-दुनिया के जाने-माने अरबपति अदार पूनावाला, सायरस पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट को 2 अगस्त 2024 को बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनके खिलाफ 10,000 करोड़ रुपये के मुआवजे के केस में वादी प्रकाश पोहरे द्वारा दिए गए सबूत और तर्क को सही पाते हुए कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन के जानलेवा और अन्य गंभीर दुष्परिणामों को छुपाने तथा अवेकन इंडिया मूवमेंट के सदस्यों को बदनाम करने के मामले में सीरम इंस्टीट्यूट का शपथ पत्र झूठा और कोर्ट को गुमराह करने वाला पाते हुए उन्हें फ्रॉड और जालसाज घोषित करते हुए। उन्हें कोर्ट से धोखाधड़ी का आरोपी बनाकर उनके खिलाफ IPC की धारा 181, 182, 193, 196, 199, 200, 209, 465, 471, 474, 120(B) और 34 के तहत केस दर्ज करने का आदेश कोर्ट के रजिस्ट्रार को दिया है। इसमें कोर्ट फरियादी रहेगा और सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, अदार पूनावाला और सायरस पूनावाला के साथ कंपनी के अन्य अधिकारी आरोपी रहेंगे।
कोरोना काल में लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए वैक्सीन कंपनियों ने अपनी जानलेवा और कोरोना से सुरक्षा दिलाने में असमर्थ वैक्सीन को झूठ बोलकर आम जनता को दी। हलांकि सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन के जानलेवा दुष्परिणामों की वजह से उस पर 21 यूरोपीयन देशों में पाबंदी लगा दी गई थी, लेकिन इस बात को भारत की जनता से छिपाकर उन्हें झूठ बोलकर और दबाव डालकर वैक्सीन को सुरक्षित और असरदार बताकर दी गई, जिससे कई लोगों की जान गई और कई लोग उम्रभर के लिए अपाहिज हो गए। डॉ. स्नेहल लुणावत और अन्य कई लोगों की मौत कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्परिणाम से होने की बात भारत सरकार की AEFI समिति ने अपनी रिपोर्ट में मानी है।
शोध में यह भी पाया गया कि जिन देशों में या स्थानों पर ज्यादा वैक्सीन दी गई, वहां ज्यादा मौतें हुईं।
The research had proved that the countries/districts/areas having people with less or no vaccination were more safe than the countries/districts/areas having vaccinated people. It shows that the areas with more vaccinated people are having more corona waves and more deaths.
शोध में यह सिद्ध हुआ है कि जिन देशों/जिलों/क्षेत्रों में लोगों को कम या कोई वैक्सीन नहीं दी गई, वे देशों/जिलों/क्षेत्रों की तुलना में अधिक सुरक्षित थे, जहां लोगों को वैक्सीन दी गई थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि जिन क्षेत्रों में अधिक लोगों को वैक्सीन दी गई थी, वहां अधिक कोरोना लहरें और अधिक मौतें हो रही हैं।
That there is a tremendous increase of deaths amongst young vaccinated people due to heart attacks. Said heart attack is also called as myocarditis. The research had proved that it is due to side effects of covid vaccines.
यह भी पाया गया कि युवा वैक्सीनेटेड लोगों में दिल के दौरे के कारण मौतों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है। इस दिल के दौरे को मायोकार्डिटिस भी कहा जाता है। शोध ने सिद्ध किया है कि यह कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के कारण है।
Link: https://expose-news.com/2022/05/17/covid-jabs-increase-risk-heart-attack-death-young-adults/ )
Tittle: “Ethically Unjustifiable” – Scientists from Harvard & Johns Hopkins Found Covid-19 Vaccines 98 Times Worse Than the Virus
शीर्षक: “नैतिक रूप से अनुचित” – हार्वर्ड और जॉन्स हॉपकिन्स के वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड-19 वैक्सीन वायरस से 98 गुना अधिक खराब है।
The third research relied by the counsel for Plaintiff shows that the vaccine increases the chances of cancer by 10,000%.
तीसरे शोध, जिसे वादी के वकील द्वारा प्रस्तुत किया गया है, से पता चलता है कि वैक्सीन से कैंसर होने की संभावना 10,000% बढ़ जाती है।
इसके बावजूद, अदार पूनावाला, सायरस पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट ये सभी लोग मिलकर एक षड्यंत्र के तहत खुद का करोड़ों का फायदा करवाने के लिए झूठ बोलकर उस गलत वैक्सीन को सुरक्षित बताकर बेच रहे थे। उन्होंने कुछ भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, नेताओं और मंत्रियों के साथ मिलकर गैरकानूनी नियम बनाकर जबरदस्ती से लोगों को वैक्सीन लेने पर मजबूर किया, जिससे अदार पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी को लाखों करोड़ रुपये का फायदा हुआ। लेकिन इसकी वजह से कई लोगों की जानें गईं और कई लोग अपाहिज हो गए, कईयों के रोजगार छिन गए।
आज भी कई युवाओं में वैक्सीन के दुष्परिणामों की वजह से दिल का दौरा पड़ने की वजह से मौतें हो रही हैं। इस बारे में अवेकन इंडिया मूवमेंट (AIM) नामक NGO, इंडियन बार एसोसिएशन (IBA), यूनिवर्सल हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (UHO) और अन्य कई समविचारी संगठनों ने मिलकर जन जागरण अभियान चलाकर वैक्सीन के दुष्परिणाम और वैक्सीन फार्मा माफियाओं का षड्यंत्र (न्यू वर्ल्ड ऑर्डर) को उजागर किया। उन्होंने अपने अभियान में देश और दुनिया के जाने-माने डॉक्टर्स और शोधकर्ताओं को जोड़ा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा सच को जनता के सामने रखा।
इस अभियान का असर यह हुआ कि करीब 20 करोड़ लोगों ने कोरोना वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लिया और 80 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वैक्सीन का बूस्टर डोज लेने से मना कर दिया, जिससे सीरम कंपनी को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ।
इन सब बातों से चिढ़कर और अक्टूबर 2022 में डॉक्टर स्नेहल लुणावत के कोर्ट के आदेशों के संबंध में आयोजित एक मोर्चे को लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ने एक झूठी पुलिस शिकायत की और अवेकन इंडिया मूवमेंट के सदस्यों की बदनामी शुरू कर दी। इस वजह से अवेकन इंडिया मूवमेंट के वरिष्ठ सदस्य श्री प्रकाश पोहरे ने नागपुर की वरिष्ठ अदालत में सीरम इंस्टीट्यूट, अदार पूनावाला और सायरस पूनावाला के खिलाफ 10,000 करोड़ रुपये के मुआवजे का केस दायर किया [Case No. Suit/ 417/2023]।
उस केस का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने सीरम कंपनी और पूनावाला को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
उसके जवाब में सीरम कंपनी और पूनावाला ने अपना शपथ पत्र दायर किया और उसमें झूठ लिखा कि उनकी वैक्सीन से मौत नहीं होती है और उन्होंने सरकार की विभिन्न रिपोर्टों को भी मानने से मना कर दिया। उन्होंने यह भी नकारा कि डॉक्टर स्नेहल लुणावत की मौत कोविशील्ड से हुई है और कोविशील्ड वैक्सीन पर यूरोपियन देशों में जानलेवा दुष्परिणामों के चलते पाबंदी लगाई गई थी। याचिकाकर्ता प्रकाश पोहरे ने ठोस एवं पुख्ता सबूत पेश करते हुए सीरम इंस्टीट्यूट का झूठ उजागर कर दिया और कोर्ट में झूठा शपथ पत्र देने के मामले में सीरम इंस्टीट्यूट, अदार पूनावाला और सायरस पूनावाला के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
कोर्ट ने Cr.P.C. 340 के तहत मामले की जाँच की और उसमें पाया कि सीरम कंपनी का शपथ पत्र झूठा है और उन्होंने कोर्ट से जालसाजी, धोखाधड़ी की है।
कोर्ट ने सीरम इंस्टीट्यूट, अदार पूनावाला और सायरस पूनावाला इत्यादी लोगों के खिलाफ IPC की धारा 181, 182, 193, 196, 199, 200, 209, 465, 471, 474, 120(B) और 34 के तहत केस दर्ज करने का आदेश कोर्ट के रजिस्ट्रार को दिया है। इस मामले में कोर्ट फरियादी रहेगा और सीरम कंपनी, अदार पूनावाला तथा सायरस पूनावाला समेत सीरम कंपनी के सभी अधिकारी आरोपी रहेंगे।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ द्वारा Naveen Singh v. State of U.P., (2021) 6 SCC 191 मामले में बनाए गए कानून के तहत आरोपी अदार पूनावाला, सायरस पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी के सभी पदाधिकारियों को जेल में रखकर केस चलाया जाने का अंदेशा है क्योंकि कोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में जमानत नहीं देने का आदेश पारित किया है।
इस ऐतिहासिक फैसले से प्रकाश पोहरे और अवेकन इंडिया मूवमेंट के सदस्यों को बड़ी जीत मिली है। कोर्ट के इस फैसले से यह साबित हो गया कि बड़े और प्रभावशाली लोग भी कानून से ऊपर नहीं हैं। यह एक महत्वपूर्ण मिसाल बनेगा, जिससे आम जनता को न्याय पाने की उम्मीद मिलेगी।
प्रकाश पोहरे और उनकी टीम ने एक लंबी लड़ाई लड़ी, जिसमें उन्होंने वैक्सीन के दुष्परिणामों और फार्मा कंपनियों की अनैतिक गतिविधियों को उजागर किया। उनकी इस जीत से वैक्सीन से प्रभावित लोगों को न्याय मिल सकेगा और भविष्य में ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त होगा।
कोर्ट के आदेश के बाद, यह उम्मीद है कि इस मामले में दोषियों को सजा मिलेगी और उन्हें उनके कृत्यों की सजा भुगतनी पड़ेगी। इससे वैक्सीन कंपनियों और अन्य प्रभावशाली संस्थानों को यह संदेश जाएगा कि वे अपनी गलतियों से नहीं बच सकते और उन्हें अपने कृत्यों का जवाब देना होगा।
आगे की राह
प्रकाश पोहरे और अवेकन इंडिया मूवमेंट के सदस्यों ने यह स्पष्ट किया है कि वे इस जीत के बाद भी अपने अभियान को जारी रखेंगे। वे लोगों को जागरूक करते रहेंगे और वैक्सीन के दुष्परिणामों से प्रभावित लोगों की मदद के लिए तत्पर रहेंगे। उनके इस अभियान से भविष्य में वैक्सीन और दवाओं के क्षेत्र में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।
सारांश
प्रकाश पोहरे और अवेकन इंडिया मूवमेंट की इस ऐतिहासिक जीत ने यह साबित कर दिया कि सत्य और न्याय की राह में कितनी भी कठिनाइयां आएं, अंत में जीत उसी की होती है। यह फैसला न केवल प्रभावित लोगों के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि भविष्य में अन्याय और धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ने वालों के लिए प्रेरणा भी है।
इस ऐतिहासिक फैसले से यह भी उम्मीद जगी है कि वैक्सीन और दवाओं के क्षेत्र में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी, जिससे आम जनता का विश्वास बना रहे और वे सुरक्षित रह सकें।
1. आप याचिका (Suit) की कॉपी डाउनलोड कर सकते है।
2. आप सिरम इंस्टीट्यूट ने दायर किया हूवा झूठा शपथ पत्र डाउनलोड कर सकते है।
3. आप परजूरी आवेदन (Perjury Application) की प्रति यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।
4. आप न्यायालय द्वारा पारित आदेश (Order Copy) की प्रति यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।
आपको और पुरी टीम को सलाम.कोर्ट के फैसले से ये मालुम पडता हे की जनता के साथ धोखाघडी हुई है.
वंदे मातरम्
जागो देशवासीयों जागो.
बहुत खुशी हुई सभी टीम के सदस्य बधाई के पात्र, निलेश ओझा जी और साथियों का बहुत बड़ा योगदान, वो झोले वाले सेवक,चौकीदार,दिव्य पुरुष को क्लीन चिट मिलेगी या सजा,हृदय को सकून तभी मिलेगा उनको शांति जिनके घर उजड़े,छोड़ो मत अब परिवर्तन के बेला
आखीरका सत्यकी विजय हूयी ! विजयका श्रेय ऐडव्होकेट निलेश ओझाजी ,मा. प्रकाश पोह२ेजी अंबर कोहीलीजी मा.टेंगराजी अवेकन इंडीया मुव्हमेंटके सभी सदस्य सभीने जीजानसे मेहनत की उसका फल पूरे वर्ड को मिला है ! सभीका अभीनंदन ! Good AIM सत्य की जय हो !!
Thanks for awaken India movement and Advocate Nilesh Ojha Sir