[बड़ी खबर] मुख्य न्यायाधीश ने आदित्य ठाकरे के हस्तक्षेप पर जताई आपत्ति, आरोपी होने के नाते ठाकरे को जनहित याचिका में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं।

मुंबई, 23 जनवरी 2025 – हाई कोर्ट ने आज सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियान हत्या मामले में दायर जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणियां की। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने आरोपी आदित्य ठाकरे की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका पर सख्त रुख अपनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि एक आरोपी के रूप में आदित्य ठाकरे को इस जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने या आपत्ति दर्ज कराने का कोई अधिकार नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने आदित्य ठाकरे के वकील सुदीप पासबोला को याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए मामले के कानूनों का अध्ययन करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई के लिए पूरी तैयारी के साथ उपस्थित होने को कहा।
यह मामला दिशा सालियान के सामूहिक बलात्कार और हत्या से जुड़ा है, साथ ही सुशांत सिंह राजपूत की हत्या से संबंधित है, और इसमें मुख्य आरोपी आदित्य ठाकरे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विजय कुर्ले ने अदालत को सूचित किया कि जनहित याचिका (PIL) दाखिल होने के बाद राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। हालांकि, उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि SIT अपना कार्य सही तरीके से नहीं कर रही है, इसलिए कथित अपराधों, जिसमें सामूहिक बलात्कार और हत्या शामिल हैं, की निष्पक्ष और विस्तृत जांच सुनिश्चित करने के लिए आगे न्यायिक निर्देशों की आवश्यकता है।
आज यह मामला न्यायालय की सूची में आइटम नंबर 37 के रूप में दर्ज था। हालांकि, याचिकाकर्ता के प्रमुख तर्क प्रस्तुत करने वाले वकील अनुपस्थित होने के कारण केवल सीमित दलीलें दी गईं। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विजय कुर्ले और हानिया शेख पेश हुए। अदालत ने इस जनहित याचिका की अगली सुनवाई 5 फरवरी 2025 को तय की है।
सीबीआई ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई
सुनवाई के दौरान, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अदालत से याचिका की प्रति प्रदान करने का अनुरोध किया। यह संकेत करता है कि अब सीबीआई इस मामले में गहन भूमिका निभा सकती है।
याचिका में आरोप और अदालत के निर्देश
इस जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट लिटिगेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राशिद खान पठान ने दायर किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिशा सालियान की हत्या 8 जून 2020 को हुई और आदित्य ठाकरे के मोबाइल टॉवर लोकेशन ने घटना स्थल पर उनकी मौजूदगी को साबित किया।
आदित्य ठाकरे ने बचाव में दावा किया था कि वे उस दिन अपने नाना के निधन के कारण अस्पताल में थे। लेकिन याचिकाकर्ता ने यह साबित किया कि उनके नाना का निधन 14 जून 2020 को हुआ था, न कि 8 जून को।
जांच और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि मामले की जांच में गंभीर अनियमितताएं हुईं, जिनमें:
- आईपीएस अधिकारी विनय तिवारी को कोविड प्रोटोकॉल का बहाना बनाकर मुंबई नगर निगम अधिकारियों द्वारा हिरासत में लेना।
- मुंबई पुलिस द्वारा बिहार पुलिस को दिशा सालियान की मौत से संबंधित कागजात न सौंपना।
- इन प्रयासोंको उद्धव ठाकरे (तत्कालीन मुख्यमंत्री) और आदित्य ठाकरे (तत्कालीन मंत्री) के राजनीतिक प्रभाव का परिणाम बताया गया।
झूठी गवाही और न्यायालय की अवमानना पर याचिका
याचिकाकर्ता ने एक अलग आवेदन में आदित्य ठाकरे और उनके वकील राहुल अरोते के खिलाफ झूठी गवाही और न्यायालय को गुमराह करने के आरोपों में अवमानना कार्यवाही की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि इस तरह के कृत्य न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं।
अगली सुनवाई पर नजर
हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को 5 फरवरी 2025 की सुनवाई के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है।
यह मामला, जिसमें राजनीति और शक्ति के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं, न्यायिक प्रणाली की साख के लिए एक बड़ा परीक्षण साबित हो रहा है। आने वाले दिनों में और अधिक खुलासों की संभावना है।