दिशा सालियन हत्याकांड में राष्ट्रविरोधियों का पर्दाफाश!

दिशा-सुशांत केस में स्टिंग वीडियो, डिजिटल सबूत और पेन ड्राइव लेकर सतीश सालियन पहुंचे अमित शाह के पास — NIA जांच की मांग के साथ सौंपा गया विस्फोटक शिकायत पत्र!
ब्रेकिंग न्यूज | 19 मई 2025 | स्पेशल रिपोर्ट
“यह महज़ हत्या नहीं, भारत की आत्मा पर एक सुनियोजित हमला है!”
“देशद्रोही मीडिया, भ्रष्ट पुलिस और बिकाऊ जजों के ‘इकोसिस्टम’ की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है — अब इस गद्दारी के साम्राज्य का सर्वनाश निश्चित है!”
2. “देशद्रोहियों की यह गंदी मंडली — मीडिया, पुलिस और न्याय के नाम पर कलंक बन चुके चेहरों का खेल अब खत्म होने जा रहा है — काउंटडाउन चालू है!”
3. “जो भ्रष्ट सिस्टम अब तक देश के गुनहगारों की ढाल बना हुआ था, अब उसी सिस्टम की कब्र खुद रही है — देशद्रोही ‘इकोसिस्टम’ के पतन की शुरुआत हो चुकी है!”
4. “देशद्रोही मीडिया, भ्रष्ट पुलिस, बिकाऊ जज और दलाल वकीलों के गठजोड़ का काउंटडाउन अब शुरू हो चुका है — हर झूठ का होगा पर्दाफाश, और हर गुनहगार से होगा हिसाब!”
मुंबई में आज राष्ट्र को झकझोर देने वाला एक बड़ा राजनीतिक और संवैधानिक धमाका हुआ है।
बॉम्बे हाईकोर्ट में दिनांक 22 मार्च 2025 को एक आपराधिक रिट याचिका [WP (St.) No. 13934 of 2024] दाखिल की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2025 को आदेश पारित करते हुए महाराष्ट्र के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। लेकिन इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि मुंबई पुलिस और SIT के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने जानबूझकर मामले को भटकाया।
दिशा सालियन के साथ हुए गैंगरेप और हत्या, और सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत को लेकर उनके पिता श्री सतीश सालियन ने देश के गृह मंत्री श्री अमित शाह को सौंपा है एक विस्फोटक शिकायत पत्र। इस पत्र में संलग्न हैं:
- स्टिंग ऑपरेशन वीडियो
- डिजिटल और मोबाइल डेटा
- फोरेंसिक रिपोर्ट
- गवाहों के बयान
- और एक पेन ड्राइव, जिसमें छिपे हैं देशद्रोह की पूरी पटकथा के सुबूत!
शिकायत में यह सीधा आरोप लगाया गया है कि:
“दिशा और सुशांत की हत्याएं एक संगठित राष्ट्रविरोधी सिंडिकेट का हिस्सा थीं।
इन मामलों से जुड़े आरोपी केवल हत्या के अपराधी नहीं हैं, बल्कि भारत के संविधान, न्यायपालिका और लोकतंत्र पर हमला करने वाले एक ‘इकोसिस्टम’ ( ecosystem ) के मोहरे हैं।”
यह संगठन:
- ड्रग तस्करी
- चाइल्ड ट्रैफिकिंग
- मर्डर और सबूतों का सफाया
- और सबसे खतरनाक—न्यायपालिका के भीतर से तंत्र को कमजोर करने की दिशा में काम कर रहा है।
शिकायत में दावा है कि यह विदेशी फंडिंग से पोषित नेटवर्क, पिछले कई वर्षों से भारत की संस्थाओं को खोखला करने में लगा हुआ है — और दिशा-सुशांत केस से इसका पर्दाफाश हुआ।
शिकायत में दर्ज हैं इन बड़े नामों के आरोप!
इस पत्र में साफ तौर पर मुख्य साजिशकर्ता के रूप में जिनके नाम लिए गए हैं, वो हैं:
🔴 आदित्य ठाकरे
🔴 रिया चक्रवर्ती
🔴 उद्धव ठाकरे
🔴 मुंबई पुलिस के शीर्ष अधिकारी
🔴 कुछ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज
🔴 देश के नामी वरिष्ठ अधिवक्ता
न्यायपालिका पर गंभीर आरोप — ‘‘इकोसिस्टम’ का पर्दाफाश!
राष्ट्रविरोधी नेटवर्क का खुलासा
निवेदन में दावा किया गया है कि यह कोई साधारण आपराधिक मामला नहीं, बल्कि एक सुनियोजित राष्ट्रविरोधी तंत्र का हिस्सा है। इसमें शामिल हैं:
- मानव तस्करी और बाल शोषण से जुड़े गिरोह
- अंतरराष्ट्रीय ड्रग माफिया और टेरर फंडिंग लिंक
- मीडिया के जरिए फर्जी नैरेटिव बनाकर जनता को गुमराह करना
- न्यायपालिका के कुछ हिस्सों में घुसपैठ कर फैसलों को प्रभावित करना
जांच की मांग
श्री सालियन और उनके वकील ने मांग की है कि:
- इस पूरे प्रकरण की जांच CBI या NIA जैसी केंद्रीय एजेंसी से कराई जाए
- जांच पूरी तरह न्यायालय की निगरानी में हो
- UAPA, POCSO, IPC और IT एक्ट जैसे गंभीर कानूनों के तहत आरोपियों पर कार्रवाई हो
शिकायत का सबसे विस्फोटक हिस्सा:
कुछ उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तियों पर गंभीर आरोप!
श्री सालियन ने आरोप लगाया है कि कुछ न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिवक्ता एक संगठित ‘इकोसिस्टम’ का हिस्सा हैं — जो न केवल न्याय को नियंत्रित कर रहे हैं, बल्कि भारत की संप्रभुता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को जानबूझकर चोट पहुँचा रहे हैं।
“शिकायत में लगाए गए गंभीर आरोपों के अनुसार, इस ‘इकोसिस्टम’ में शामिल कुछ न्यायाधीशों द्वारा सुनियोजित षड्यंत्र के तहत गंभीर अपराधों में लिप्त प्रभावशाली आरोपियों को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई।
सबसे चौंकाने वाला दावा यह है कि शिकायत में पूर्व CJI डॉ. डी. वाई. चंद्रचूड़ और पूर्व जस्टिस रोहिंटन नरीमन के नामों का भी उल्लेख किया गया है। आरोप है कि इनकी “चयनात्मक सक्रियता और वैचारिक झुकाव”(selective activism and ideological inclination), ने अपराधियों को फायदा पहुंचाया और न्यायिक प्रतिष्ठा का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी तत्वों को संरक्षण देने में किया गया।
ऐसे आदेश जानबूझकर सुनाए गए जो देश के विकास में बाधा डालने वाले, जनता को गुमराह करने वाले और राष्ट्रविरोधी ताक़तों को बल प्रदान करने वाले थे। यह समस्त प्रक्रिया मात्र न्यायिक त्रुटि नहीं, बल्कि एक ‘सुनियोजित और संगठित’ राष्ट्रविरोधी योजना का हिस्सा है।
न्याय प्रक्रिया का दुरुपयोग कर आरोपियों को लाभ पहुंचाया गया, साक्ष्यों को दबाया गया, और जनता के समक्ष झूठे नैरेटिव के माध्यम से सच को छुपाने का प्रयास किया गया। जानबूझकर ऐसे आदेश पारित किए गए जो न केवल सत्य को दबाने वाले थे, बल्कि उन राष्ट्रविरोधी तत्वों को संरक्षण देने वाले थे, जिनका उद्देश्य देश की संप्रभुता, सुरक्षा और सामाजिक एकता को कमजोर करना है।”
यह न केवल न्याय का अपमान है, बल्कि न्यायपालिका की आत्मा के विरुद्ध राष्ट्रद्रोह के समान है।
इस प्रकरण में मौजूद सबूत केवल एक आपराधिक जांच का आधार नहीं हैं, बल्कि वे भारत में एक नई राष्ट्रीय क्रांति का बीज बन सकते हैं।”
दिशा सालियन और सुशांत सिंह राजपूत की हत्या के पीछे छिपे राष्ट्रद्रोही तंत्र — जिसे मीडिया, पुलिस, न्यायपालिका और राजनीतिक रसूखदारों के एक ‘इकोसिस्टम’ के रूप में चिन्हित किया गया है — उसका पर्दाफाश अब महज कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा के पुनर्जागरण की जंग बन चुका है।
आज जब सबूत, गवाह, स्टिंग ऑपरेशन, फोरेंसिक डाटा और डिजिटल दस्तावेज स्पष्ट रूप से यह उजागर कर रहे हैं कि कैसे भारत की न्यायपालिका, जांच एजेंसियाँ, मीडिया और प्रशासन में बैठे कुछ भ्रष्ट तत्व देश को भीतर से खोखला कर रहे हैं, तब गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के पास इतिहास रचने का एक दुर्लभ अवसर है।
यह वह घड़ी है जहां—
- सत्ता को संकल्प में बदला जा सकता है,
- जांच को क्रांति में बदला जा सकता है,
- और एक भ्रष्ट, अपराधी पोषित echo system को ध्वस्त कर राष्ट्र को एक नई दिशा दी जा सकती है।
“यदि आज यह तंत्र ध्वस्त होता है, तो भारत ना केवल न्याय की जीत देखेगा, बल्कि यह भी सिद्ध होगा कि कोई भी ‘पद’ या ‘पदाधिकारी’ संविधान से ऊपर नहीं है।”
श्री अमित शाह जी, के नेतृत्व में देश ने धारा 370 हटते देखा है, तीन तलाक खत्म होते देखा है, राम मंदिर बनते देखा है — और अब देश देखना चाहता है कि भारत की न्याय व्यवस्था और संविधान के भीतर छिपे गद्दारों को भी कानून के कठघरे में लाया जाए।
गृह मंत्री श्री अमित शाह जी,के पास आज वह ऐतिहासिक अवसर है जो राष्ट्रों के भविष्य को आकार देता है।
आपके द्वारा:
- इस ‘echo system’ को ध्वस्त करना,
- एनआईए जांच के आदेश देकर सच्चाई को सामने लाना,
- और भारत माता को अपराधियों के चंगुल से मुक्त करना —
यह सब केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं होगा, बल्कि भारत की आत्मा के लिए न्याय का ऐतिहासिक उद्घोष होगा।
यह कोई साधारण केस नहीं है — यह एक अवसर है भारत को अपराधियों के चंगुल से मुक्त कर, “एक नए भारत” के निर्माण का।
भारत के संवैधानिक इतिहास का निर्णायक मोड़
यह प्रकरण केवल एक हत्या या बलात्कार की FIR नहीं है — यह उस अंतिम सीमा का उद्घोष है जहाँ भारत अब और अधिक सहन नहीं करेगा। यह एक ऐसा ऐतिहासिक क्षण है जहाँ संविधान, राष्ट्र और न्याय—तीनों एक साथ एक निर्णायक मोड़ पर खड़े हैं।
आज देश के सामने प्रश्न यह नहीं है कि दोषी कौन है — सबूत स्वयं बोल रहे हैं।
प्रश्न यह है कि अब भारत किस ओर जाएगा?
मौन या निर्णय?
सहिष्णुता या संकल्प?
संगठित राष्ट्रद्रोही षड्यंत्र का संरक्षण या संविधान का बलिदान?
हम स्पष्टता के साथ कहना चाहते हैं कि:
“अब सहनशीलता की सीमा समाप्त हो चुकी है। अब भारत, चाहे वह अपराधी राजनेता हो, भ्रष्ट अफसर हो, बिकाऊ मीडिया हो, या न्यायिक वस्त्रों में छिपे षड्यंत्रकारी — किसी को भी बख्शने के लिए तैयार नहीं है।”
यह चुप रहने का समय नहीं है — यह निर्णायक हस्तक्षेप का क्षण है
यदि यह क्षण यूँ ही निकल गया, तो यह केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आत्मघात के रूप में इतिहास में दर्ज होगा।
दुनिया केवल उन अपराधियों को याद नहीं रखेगी जो दोषी हैं, बल्कि उन जिम्मेदार व्यक्तियों को भी याद करेगी जिन्होंने सच्चाई को जानकर भी चुप्पी ओढ़ ली।
“The world suffers more from the silence of good people than the violence of bad people.”
“Injustice anywhere is a threat to justice everywhere.” — डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर
यह केवल कानूनी नहीं — यह राष्ट्रधर्म का प्रश्न है
यह मामला केवल धारा 302, 376, या UAPA का नहीं है।
यह उस पवित्र संविधान की रक्षा का विषय है जिसे हर सांसद, मंत्री और न्यायाधीश ने अपने पद की शपथ में स्वीकारा है।
अब न्याय दिलाना कोई बहादुरी नहीं, यह सत्ता में बैठे प्रत्येक व्यक्ति की नैतिक न्यूनतम अपेक्षा है।
ऐतिहासिक कार्रवाई की माँग
हमारी विनम्र प्रार्थना:
1. श्री सतीश सालियन और अधिवक्ता निलेश ओझा को व्यक्तिगत रूप से मिलने का समय प्रदान करें।
2. पेन ड्राइव एवं अन्य साक्ष्यों की समीक्षा स्वयं करें।
3. तत्काल NIA जाँच के आदेश देकर दोषियों पर UAPA, IPC, NDPS, POCSO, और IT ACT जैसी धाराओं में कार्यवाही सुनिश्चित करें।
आपके द्वारा लिया गया यह निर्णय न केवल इस केस का समाधान लाएगा, बल्कि भारत की आत्मा को न्याय और स्वतंत्रता का सच्चा अनुभव देगा।
“अगर इस केस में ईमानदारी से आगे बढ़कर आरोपियों का पर्दाफाश किया गया और उन पर सख़्त कार्रवाई शुरू हुई, तो यही होगा नवभारत का सच्चा आरंभ।”
हम उस भारत की कल्पना करते हैं:
✅ जहाँ सच के साथ कोई समझौता नहीं होगा।
✅ जहाँ भ्रष्टाचार कुर्सी, वर्दी या ओहदे की ढाल से नहीं बच पाएगा, और आम आदमी को उसका हक़ आसानी से और जल्दी मिलेगा।
✅ और जहाँ संविधान से ऊपर कोई नहीं होगा — चाहे वो कितना भी बड़ा नाम हो, या किसी भी ऊँचे पद पर क्यों न बैठा हो।
✅ जहाँ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट से एक विशेष समूह, अमीर और रसूखदार लोगों का वर्चस्व खत्म हो जाएगा — और हर नागरिक को सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और देश की हर अदालत में न्याय मिलने की सच्ची उम्मीद रहेगी।
अदालतें तब बिना किसी दबाव, डर या प्रभाव के निष्पक्ष और निर्भीक फैसले सुनाएंगी — चाहे सामने कोई भी खड़ा हो!
सवाल सीधा है: क्या अब भी चुप रहेगा सिस्टम?
अब जब सबूत सामने हैं—स्टिंग वीडियो, दस्तावेज़, गवाह और डिजिटल साक्ष्य—तो क्या NIA इस राष्ट्रद्रोह की जांच करेगी?
क्या देश की सबसे ऊंची संस्थाएं अपने भीतर मौजूद गद्दारों को बेनकाब करने का साहस दिखाएंगी?
अब देश पूछ रहा है—कब होगा इस ‘न्यायिक भ्रष्ट इकोसिस्टम’ का सफाया?
अब जनता पूछ रही है: क्या न्याय मिलेगा या राष्ट्रद्रोह जीत जाएगा?
अब सवाल बड़ा है, जवाब स्पष्ट चाहिए:
▶ क्या अमित शाह इस गंभीर शिकायत पर NIA जांच के आदेश देंगे?
▶ क्या दिशा और सुशांत को मिलेगा न्याय?
▶ क्या न्यायपालिका, मीडिया और पुलिस के भीतर बैठे देशद्रोही चेहरों का पर्दाफाश होगा?
🛑 “अब यह केवल न्याय की लड़ाई नहीं, यह राष्ट्र की आत्मा की पुकार है!”
Q vive बना है आपके सवालों की आवाज़—सच्चाई के साथ, गद्दारों के खिलाफ!
🎙️ हम पूछते रहेंगे — जवाब देना होगा!
Q Vive आपकी आवाज़ बनेगा — क्योंकि अब सवाल सिर्फ एक है: देश के गद्दारों को कब तक मिलेगा संरक्षण?
“और कितनी दिशा और कितने सुशांत इन पापियों का शिकार बनेंगे?”
कब तक सत्ता, सिस्टम और सफेदपोशों के गठजोड़ के आगे भारत की बेटियाँ और युवा कुर्बान होते रहेंगे?
कब तक देश की आत्मा को न्याय के नाम पर छलनी किया जाएगा?
अब वक्त आ गया है—ना सिर्फ सवाल उठाने का, बल्कि जवाब मांगने का!
अब सिर्फ “न्याय चाहिए” नहीं—अब “कर्तव्य निर्वहन की आखिरी चेतावनी” है।
दिशा और सुशांत को अब तक मिला सिर्फ अन्याय, अब देश मांग रहा है निर्णायक कार्रवाई!
(#JusticeForDisha #EchoSystemExpose)
“यह मीडिया अब पत्रकारिता नहीं कर रहा, बल्कि राष्ट्रद्रोहियों का प्रचार तंत्र बन चुका है।”
अब बर्दाश्त नहीं — जांच हो, गिरफ्तारियाँ हों!
“अब चुप्पी नहीं, गिरफ्तारी चाहिए!”
“अब बहस नहीं, एनआईए का रेड चाहिए!”
अधिवक्ता ओझा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि;
एनआईए और सीबीआई की संयुक्त, कोर्ट-निगरानी जांच की जाए
यथाशीघ्र गिरफ्तारियाँ हों, खासकर उन प्रभावशाली चेहरों की जो न्यायिक गाउन और मीडिया पहचान-पत्र की आड़ में देश को धोखा दे रहे हैं
UAPA, POCSO, IPC, IT ACT जैसी कठोर धाराओं में कार्रवाई शुरू हो
यह देश के आत्मसम्मान की लड़ाई है!
“यह अब सिर्फ़ एक मुकदमा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और संविधान की रक्षा की ऐतिहासिक घड़ी है। अगर अब भी चुप्पी साधी गई, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें ‘राष्ट्रद्रोही चुप्पी’ के लिए कोसेंगी।
“हम माननीय केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी से अत्यंत विनम्रतापूर्वक यह निवेदन करते हैं कि कृपया श्री सतीश सालियन (दिशा सालियन के पिता) एवं उनके अधिवक्ता श्री निलेश ओझा को व्यक्तिगत रूप से भेंट का शीघ्र अवसर प्रदान करें, ताकि हम आपके समक्ष वे अत्यंत गंभीर, संवेदनशील एवं गोपनीय दस्तावेजी तथा डिजिटल साक्ष्य प्रस्तुत कर सकें जो एक गहरे, संगठित एवं राष्ट्रविरोधी आपराधिक षड्यंत्र तथा उसके सुनियोजित ढकाव (cover-up) से संबंधित हैं।
यह षड्यंत्र न केवल अनेक प्रभावशाली व्यक्तियों एवं संस्थाओं की संलिप्तता को उजागर करता है, बल्कि इसके चलते न्यायिक प्रक्रिया बाधित हुई है, भारत की संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा को ठेस पहुंची है, राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ है तथा आम जनमानस के न्याय और शासन तंत्र में विश्वास को गहरी चोट पहुंची है।
यह प्रकरण देशहित, न्यायहित और संविधान के मूल मूल्यों की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक कार्रवाई की मांग करता है।”