[बुरे फसे शाहरुख खान] शाहरुख खान और NCB के अधिकारियों को आरोपी बनाकर उनका नार्को टेस्ट करने की याचिका हायकोर्ट में दायर।
खुद के बेटे आर्यन खान को बचाने के लिए NCB के समीर वानखेडे के बिचौले किरण गोसावी को 18 करोड़ रुपये की रिश्वत तय करके 50 लाख रूपये देने और अधिकारियो से मिलकर झूठे गवाह बनाने के लिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 12 तथा भारतीय दंड विधान की धारा 109, 192, 193,201,218, 471, 120(B), 34 इत्यादी के तहत कारवाई करने की मांग।
रशीद खान पठान की शाहरुख खान के खिलाफ जनहीत याचिका।
सीबीआय को हायकोर्ट द्वारा निर्देश देने की मांग।
असली ‘पठान’ ‘बनाम’ फ़िल्मी पठान की कानूनी लड़ाई।
याचिककर्ता की औरसे ॲड. निलेश ओझा, ॲड. तनवीर निझाम, ॲड. इश्वरलाल अगरवाल, ॲड. आनंद जोंधले, ॲड. विजय कुर्ले करेंगे पैरवी।
मुंबई:- फिल्मो मे ‘पठान’ की भूमिका निभाने वाले सुपरस्टार हीरो शाहरुख खान को समाज के असली हीरो ‘रशीद खान पठान’ ने कानूनी दावपेच मे मात दे दी है।
मामला यह है की ऑक्टोबर 2021 को मुंबई NCB के वरिष्ठ अधिकारी (संचालक) श्री. समीर वानखेड़े द्वारा शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान और अन्य कई लोगो को ड्रग्स रखने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
बाद में इस मामले में कई आरोप और प्रत्यारोप होने के बाद NCB के वरीष्ठ अधिकारीयो द्वारा एक विशेष जाँच टीम (Special Enquiry Team) (SET) का गठन कर जाँच की गई।
उस टीम (SET) ने अपने रिपोर्ट में यह कहा की अधिकारी समीर वानखेड़े ने किरण गोसावी नामक व्यक्ती के माध्यम से आर्यन खान को छोड़ने के लिए शाहरुख़ खान से २५ करोड़ रूपये की रिश्वत की बात हुई और फिर उसे १८ करोड़ रूपये में तय करके शाहरुख खान की तरफ से ५० लाख रूपये की रिश्वत का एक हिस्सा किरण गोसावी को पहुचाया गया।
इस रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने श्री समीर वानखेड़े और अन्य लोगो के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधक कानून (P.C. Act) की धारा 7, 7-A,12 और IPC की धारा 388, 120 (B) के तहत केस (FIR) दर्ज कर तफ्तीश शुरू की।
उस कारवाई को समीर वानखेड़े ने बॉम्बे हाय कोर्ट में याचिका में चुनौती दी।
समीर वानखेड़े ने याचिका में सबूतों और उनके तथा शाहरुख़ खान के साथ ‘व्हॉट्सअप’ पर हुई बातचीत (चॅट) के आधारपर यह आरोप लगाया की NCB के वरीष्ठ अधिकारी झूठे सबूत गढ़कर आर्यन खान को बचाने और उन्हें (समीर वानखेड़े) को फ़साने का प्रयास कर रहे है।
इस पुरे मामले में मूल प्रश्न पर किसी ने ध्यान नहीं दिया की रिश्वत देने वाले शाहरुख खान को आरोपी नहीं बनाया गया ।
खुद सीबीआय द्वारा दिए गये सबूतों (FIR) के आधारपर रशीद खान पठान ने हायकोर्ट में यह याचिका दायर की, और हायकोर्ट का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि, जब रिपोर्ट मे यह साबित हो चूका है की, शाहरुख़ खान ने १८ करोड़ रूपये रिश्वत देना कबूलकर 50 लाख रूपये किश्त के रूप में दिए थे और उन्होंने रिश्वत देते वक्त इस बारे में CBI के अँटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को नहीं बताया इसलिए P. C. Act की धारा 12 के तहत और IPC की धारा 109, 201आदी धाराओं के तहत शाहरुख़ खान और उनके बेटे आर्यन खान दोनों भी सजा के हक़दार है।
इन मामलो में कोर्ट शाहरुख़ खान और आर्यन खान को 5 वर्ष तक सजा दे सकता है।
देश के कानून के हिसाब से ACB को बताये बगैर रिश्वत देने वाला व्यक्ती कम से कम 6 महिने और अधिकतम 5 वर्ष तक की सजा का हकदार है [Ganesh Sharma v. State of U.P., 2019 SCC OnLine All 4284]
रशीद खान पठान ने अपनी याचिका में यह भी मांग की है की समीर वानखेड़े द्वारा दिए गये सबूतों की भी जाँच की जाये और जो भी अधिकारी शाहरुख़ खान और उसके बेंटे आर्यन को बचाने की साजिश में शामिल है उन सभी के खिलाफ IPC 201, 218,166, 192, 193, 471, 474, 120(B), 34, 109 आदी धाराओं के तहत कारवाई की जाए।
याचिकाकर्ता का कहना हैं की, इस पूरे मामले मे, कई बाते शाहरुख़ खान, आर्यन खान, समीर वानखेड़े और NCB के वरीष्ठ अधिकारी छुपा रहे है इसलिए उन सभी की नार्को टेस्ट, ब्रेन मॅपिंग टेस्ट और लाच डिटेक्टर टेस्ट इत्यादि सायंटिफिक टेस्ट करवाकर पूर्ण सत्य बाहर लाने, निर्दोष लोगो को रिहा करने और दोषियो के खिलाफ करवाई करने की मांग की है।
रशीद खान ‘पठान’ ने इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट के जज रोहिंटन फली नरीमन, दीपक गुप्ता जैसे जजों के भ्रष्टाचार, कोर्ट रिकॉर्ड की चोरी और वकिलो के अधिकारों का हनन करने वाले आपराधिक करतूतों को सबूतों के साथ उजागर किया है। यह सारे आरोप खुद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया द्वारा दिये गए सबूतों के आधारपर लगाये थे। जिसका जबाब आरोपी जज आज तक नहीं दे पाये है और उस मामले मे भी आरोपी जजो पर कारवाई होने और भविष्य मे उनकी गिरफ़्तारी होने की संभावना है ।
रशीद खान पठान ने खुद के खिलाफ के कंटेम्पट के मामले मे भी एतिहासिक आदेश सुप्रीम कोर्ट से प्राप्त कीये हैं। उन्हे कोर्ट अवमानना के एक मामले मे जब सुनाई गई तो उस सजा को सुप्रीम कोर्ट मे दायर याचिका मे खुद सुप्रीम कोर्ट ने ही रोक लगाई है और सुप्रीम कोर्ट की इतिहास मे यह पहली बार हुआ है की सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सजा को रोक लगाकर उन्हे सुप्रीम कोर्ट के ही वरिष्ठ बेंच के पास अपील करने के अधिकार का कानून बनाने की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकृत की है।
उस मामले मे 17 अप्रैल 2023 को हुई सुनवाई मे रशीद खान पठान की ओर से करीब 158 से अधिक सुप्रीम कोर्ट के वकिल हाजिर हुए जो की अपने आप मे एक रिकॉर्ड है ।
Link: https://drive.google.com/file/d/1VHEC8n8_Tm2q4NRHtQleCU_Tfn_aazVP/view?usp=sharing
रशीद खान तथा अन्य समविचारी मानवाधिकार कार्यकर्ताओ ने हमेशा विभिन्न सरकारी संस्थाओ मे हो रहे गैरकानूनी कामो के खिलाफ आवाज उठाकर हाय कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से आदेश प्राप्त कर समाज को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है । उसके कुछ उदाहरण नीचे दिये है ।
(1) सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ॲड. अभिषेक मनू सिंघवी , ममता बॅनर्जी के भांजे अभिषेक बॅनर्जी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की कोर्ट अवमानना याचिका दायर की।
यह याचिका इसलिए दायर की गई, क्योकि आरोपीयोने हायकोर्ट जज अभिजीत गांगुली के खिलाफ झूठे आरोप लगाये थे, याचिका दायर होने के बाद मे अभिषेक बॅनर्जी ने अपने आरोप वापस ले लिए ।
(2) आय सी आय सी आय बँक की पूर्व अध्यक्ष चंदा कोचर और व्होडीओकॉन कंपनी के मालिक वेणूगोपाल धूत को झूठे सबूतो के आधारपर जमानत देनेवाली मुंबई हायकोर्ट की जज “न्या. रेवती मोहीते डेरे” तथा अन्य के खिलाफ कोर्ट अवमानना एवम अन्य जनहित याचिकाये दायर की. और दोषी जजो को गिरफ्तार करने के आदेश देने की मांग की।
बाँम्बे हायकोर्ट के चीफ जस्टीस श्री एम. व्ही. गंगापूरवाला ने उस याचिका के बाद आरोपी जज रेवती मोहीते डेरे का उस मामले का चार्ज (assignment) निकाल लिया।
(3) कोवीड टीका कंपनीयो द्वारा टीके के जानलेवा दुष्परिणामो को छुपाकर लोगो की मौत और युवाओ मे दिल का दौरा पडने से हो रही मौतो के खिलाफ वैक्सीन कंपनी सीरम इन्स्टीट्यूट के मालिक अदार पूनावाला,सायरस पूनावाला,बिल गेटस महाराष्ट्र के मुख्य सचिव सीता कुंटे, मुंबई महापालिका कमीश्नर इकबाल चहल,सुरेश काकाणी , राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे , केंन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडवीया , केन्द्रीय स्वास्थ सचिव राजेश भूषण के खिलाफ विभीन्न केस और याचिकाये दर्ज करवाकर कोर्ट से कई मामलो मे आदेश प्राप्त किये। और कुछ अभी भी प्रलंबित हैं।
लॉकडाऊन हटाने, मास्क की पाबंदी हटाने आदी कई आदेश प्राप्त किये।
कई मामले अभी भी प्रलंबित है।
(4) सुब्रतो रॉय ‘सहारा ‘ को गैरकानूनी तरीके से जेल मे भेजने वाले तथा सहारा कंपनी के लाखो कर्मचारी सदस्यो और करोड़ों निवेशक को गैरकानूनी तरीके से नुकसान पहुचाने वाले सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जज (चीफ जस्टीस ऑफ इंडिया) जे. एस. खेहर के खिलाफ IPC 219, 220, 166, 409, 120(B), 34 इत्यादी धाराओ के तहत कारवाई करने की याचिका दायर की गई है।
(5) कोव्हीड वैक्सीन कंपनीयो को हजारो करोडो रुपये का अनुचित लाभ पहुचाने के लिए पद का दुरुपयोग कर गैरकानूनी काम करनेवाले सुप्रीम कोर्ट के जज (चीफ जस्टीस ऑफ इंडिया) धनंजय (डी. वाय.) चंद्रचूड के भष्टाचार को उजागर कर उनके खिलाफ IPC 218, 166, 115, 304, 302, 192, 193, 219, 409, 120(B), 34 के तहत कारवाई करने की याचिका मा. राष्ट्रपती के पास मे दायर की।
उस मामले मे राष्ट्रपती कार्यालय द्वारा निर्णय लेने मे देरी होने की वजह से तुरंत कारवाई का आदेश देने या याचिकाकर्ता को खुद केस दायर करने की अनुमति देने की याचिका बाँम्बे हायकोर्ट मे दायर की और प्रलंबित है। [W. P. (C) No. 27266 OF 2022]
(6) ८०,००० करोड से ज्यादा का RTPCR और अन्य कोवीड टेस्ट का भ्रष्टाचार उजागर कर दोषियो के खिलाफ कारवाई की शिकायत दर्ज की।
(7) महाराष्ट्र पुलीस के वरीष्ठ अधिकारी परमबीर सींग, सचिन वाझे समेत उध्द्वव ठाकरे, अनिल देशमुख तथा अन्य द्वारा फिरोज शेख, अर्णब गोसावी आदि लोगों को आत्महत्या के झुठे केस मे फ़साने के लिए बनाये गये झूठे सबूतो का पर्दाफाश कर दोषीयो के खिलाफ आजीवन कारावास की शिक्षा वाले IPC 194, 115, 120(B), 34 आदी धाराओ मे कारवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट मे जनहीत याचिका दायर की बाद मे पुलीस ने झूठा केस बंद कर दिया। [Rashid Khan Pathan Vs Uddhav Thackeray Diary No. 5009 of 2021]
(8) सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत कानून का ठीक से पालन ना करने पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग मे दि. 25.09.2011 को याचिका दायर कर डीमके नेता श्रीमती कनीमोझी, काँग्रेसी नेता सुरेश कलमाडी, भाजपा नेता जनार्दन रेड्डी, बिल्डर शाहीद बलवा, समाजवादी पार्टी के नेता अमरसिंह आदी लोगो को जमानत दिलवाने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट भूतपूर्व चीफ जस्टीस तथा आयोग के अध्यक्ष श्री के. जी. बालकृष्णन ने रशीद खान पठाण की याचिका को दि 31.10.2011 को अपने पत्र के साथ सुप्रीम कोर्ट भेजा।
रशीद खान पठान की उसी याचिका के मुद्दो के आधारपर सुप्रीम कोर्ट का जमानत के कानून वाला आदेश 23 नवंबर 2011 को पारीत हुआ। [Sanjay Chandra Vs CBI (2012) 1 SCC 40]
उस कानून के आधारपर देशभर मे लाखों आम लोगों को अब तक जमानत मिल चुकी हैं और रोज मिल रही हैं।
रशीद खान की याचिका
Link: https://drive.google.com/file/d/1XTxYcL2Is5AoGA-p_16U9gi5flx66UF6/view?usp=sharing
मानव अधिकार आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लिखा पत्र।
Link:- https://drive.google.com/file/d/1PdR7bNNwHos_x1B-QL3yrR_RP1wWRjRY/view?usp=sharing
(9) आरोपी मंत्री को मदद करनेवाली हायकोर्ट जज “रेवती मोहिते डेरे” के खिलाफ दूसरी कोर्ट अवमानना याचिका दायर की।
(10) यवतमाल के पूर्व जिला पुलीस अधीक्षक अब्दूर रहमान के भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधो को उजागर किया तथा उसके खिलाफ कानूनी करवाई के लिए दायर याचिका मे मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष तथा मुंबई उच्च न्यायलय के पूर्व चीफ जस्टीस क्षितिज व्यास और सुभाष लाला की बेंच ने सरकार को जांच और करवाई के आदेश दिये बादमे अब्दूर रहमान ने खुद अपने पद से इस्तीफा दीया
(11) आरोपी पोलीस अधीक्षक अब्दूर रहमान द्वारा भ्रष्टपूर्ण तरीके से खुद को ‘महात्मा गाँधी शोतता पुरस्कार’ दिलवाने के मामले मे बॉम्बे हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार और अब्दुर रहमान को नोटिस जारी कर जबाब मांगा लेकिन आजतक कोई जबाब नही दे पाया।
(12) जस्टीस चंद्रचूड के अपराधिक कृत्यो के सबूत देकर उन्हे चीफ जस्टीस की शपथ ना दिलवाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट मे दायर की।
उस याचिका को बिना पूर्ण सुनवाई के तथा बिना योग्य कारण बताये खारीज कर दीया गया। मामले की सुनवाई मामले से संबंधीत जज उदय ललीत ने सुनी जो की सुप्रीम कोर्ट के जजेस इथीक्स कोड (Judges Ethics Code) और संविधान पीठ के नियम के विरुद्ध था। क्योकि जस्टीस चंद्रचूड को चीफ जस्टीस बनाने का प्रस्ताव खुद तत्कालीन चीफ जस्टीस उदय ललीत ने ही भेजा था, ऐसे मे खुद का आदेश गलत था या नही इस बात की सुनवाई का अधिकार उन्हे नही था।
इसलिए उस गैरकानूनी आदेश को वापस लेने की याचिका दायर की गई है और वो अभीतक प्रलंबित है।
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