फार्मा कम्पनियो और भ्रष्ट मंत्रीयो को फायदा पहुचाने के लिए सरकार के भ्रष्ट अधिकारीयो द्वारा कोरोना के ज्यादा केसेस दिखाकर लॉकडॉउन लगाकर लोगो का रोजगार छीनने, उन्हे गरीब बनाने और जनता के मूलभूत अधिकारो का हनन करने के लिए RT-PCR टेस्ट की CT व्हॅल्यू 35 पर बढाने के मामले का पर्दाफार्श खुद केंद्र सरकार द्वारा 6फरवरी 2022 को दिये गये जबाब से हुआ है।
RT-PCR टेस्ट की CT Value अगर 24 है तो 30% झूठे रिझल्ट आते है और CT Value 35 रखनेपर 97% झूठे केसेस आते है। भ्रष्ट अधिकारीयो ने भारत मे RT-PCR टेस्ट का CT Value जानबुझकर 35 रखा गया क्यो की झूठे केसेस ज्यादा दिखाने थे। पोर्तुगाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश 11.11.2020 केMargarida Ramos De Almedia मे लिखा है की CT Value 35 रखोंगे तो RT-PCR मे 97% झूठे कोरोना पॉझीटीव्ह मरीज दीखते है और ऐसे टेस्ट के आधारपर क़्वारंटाईन या कोई भी निर्णय लेना और नागरिको के अधिकार प्रतिबंधीत करना यह गैरकानूनी है।
मा. न्यायालय के आदेश के कुछ अंश इस प्रकार है :-
“This is what results, among others, from the very recent and comprehensive study Correlation between 3790 PCR positive samples and positive cell cultures including 1941 SARS-CoV-2 isolates , by Rita Jaafar, Sarah Aherfi, Nathalie Wurtz, Clio Grimaldier, Van Thuan Hoang, Philippe Colson, Didier Raoult, Bernard La Scola, Clinical Infectious Diseases, ciaa1491, https://doi.org/10.1093/cid/ciaa1491, at https://acade mic.oup.com/cid/advance-article/doi/10.1093/cid/ciaa1491/59126 03, published at the end of September this year, by Oxford Academic , carried out by a group that brings together some of the greatest European and world experts in the field.
This study concludes [2] , in free translation:
“At a cycle threshold (ct) of 25, about 70% of the samples remain positive in cell culture (ie were infected): at a ct of 30, 20% of the samples remain positive; in a ct of 35, 3% of the samples remained positive; and in a ct above 35, no sample remained positive (infectious) in cell culture (see diagram).
This means that if a person has a positive PCR test at a cycle threshold of 35 or higher (as is the case in most laboratories in the US and Europe), the chances of a person being infected are less than 3%. The probability of the person receiving a false positive is 97% or higher”.
iv. What follows from these studies is simple -the eventual reliability of the PCR tests carried out depends, from the outset, on the threshold of amplification cycles they support, such that, up to the limit of 25 cycles, the test reliability will be around 70%; if 30 cycles are performed, the degree of reliability drops to 20%; if 35 cycles are reached, the degree of reliability will be 3%.”
लिंक: https://drive.google.com/file/d/1sypPYxU57yail-m_2UT0tV44Njk72Dex/view?usp=sharing
कोविड टेस्ट की विश्वसनीयता के बारे मे एलोन मस्क का बयान :-
दुनिया के सबसे अमिर लोगों में से एक ‘एलोन मस्क’ ने कोविड कोरोना टेस्ट के घोटाले का पर्दाफाश किया और इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उसने बताया कि कैसे एक ही दिन में उसके दो कोरोना टेस्ट पॉजिटिव और दो कोरोना टेस्ट नेगेटिव आए।
एलोन मस्क का दावा है कि COVID परीक्षण “फर्जी” है, सटीक नहीं है। मस्क ने कहा कि एक ही मशीन और एक ही टेस्ट से रैपिड एंटीजन टेस्ट के परिणाम से पता चला कि उन्होंने एक ही दिन में दो बार सकारात्मक और फिर दो बार नकारात्मक परीक्षण किया। उन्होंने “कुछ बहुत ही फर्जी चल रहा है” का सुझाव देकर परीक्षण की वैधता पर सवाल उठाया। मस्क ने शनिवार को अपने स्वास्थ्य को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।
“मुझे अलग-अलग प्रयोगशालाओं से बेतहाशा अलग-अलग परिणाम मिल रहे हैं, मेरे लक्षण मामूली सर्दी के हैं, जो कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि कोरोनावायरस एक प्रकार की सर्दी है।”
इस संबंध में, आप न्यू टाइम्स ऑफ इंडिया 2दिसंबर 2020 का कोरोनावायरस परीक्षण लेख: क्या आप कोविद –1 परीक्षण में गलत सकारात्मक प्राप्त कर सकते हैं ? पढ़ भी सकते हैं।
अधिक और विस्तृत जानकारी के लिए आप “अव्हेकन इंडिया मोवमेंट” के श्री. अंबर कोइरी द्वारा दायर याचिका W.P. No (St.) 1018 of 2022 को पढ़ सकते हैं ।
लिंक:- https://drive.google.com/file/d/1Ad0DCWznLeCK-r7OiAIRMugK_VB3B7Mg/view?usp=sharing
देश में रोज 15 लाख टेस्ट हो रहे है और अब तक जनता के 84 हजार करोड़ रूपये यह बोगस RT-PCR और RAT टेस्ट में बर्बाद हो चुके है।
देश के शीर्ष महामारी विशेषज्ञ (Epidemiologist) ने और यहातक की विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) ने भी बार बार स्पष्ट किया है जिन लोगो में कोरोना के लक्षण नहीं है (Asymptomatic) उनकी टेस्ट करने की कोई आवश्यकता नहीं है। और टेस्टींग 24 या उससे कम CT पर होनी चाहिए। और एक बार संक्रमण फैल गया है तब आम आदमी का टेस्टींग और ट्रैकींग दोनोही गलत है। रोज 15 लाख टेस्ट करना यह बेवकूफी है और जनता के पैसो का दुरूपयोग है।
इमानदार महामारी विशेषज्ञो के नियमीत दबाव के बाद 14 जनवरी २०२२ को ICMR ने निर्देश दिया है की बिना लक्षण वाले (Asymptomatic) लोगो की टेस्ट न की जाए।
लिंक:https://drive.google.com/file/d/1J1T7DYxJOQAfuTY28H3DEstN4BGDPnF_/view?usp=sharing
इन सभी सबूतो से यह स्पष्ट हो गया है की, सभी देशवासियो को बेवकूफ बनाकर फार्मा कंपनियो को फायदा पहुचाने का काम ICMR के बलराम भार्गव, लव्ह अग्रवाल, केंद्रीय स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन, मनसुख मंडविया आदि लोगो ने किया है। और उन्होंने अपने निजी स्वार्थ के लिए कई लोगो की जाने ली है तथा कई गरीबो के रोजगार छीन लिए
अब सवाल यह है की जिन अधिकारीयो और नेताओ ने यह भ्रष्ट्राचार किया है उन्हे जेल कब होंगी।
लेकिन तब भी कुछ भ्रष्ट अधिकारी, कमिशन खोर डॉक्टर्स द्वारा यह गैरकानूनी काम जारी है।यह जनता के पैसो का दुरूपयोग है। अबतक जिन भ्रष्ट लोगो ने ऐसा काम किया है और जो अभीभी कर रहे है उन सभी आरोपी, अधिकारी, मंत्री, डॉक्टर्स को IPC 409 के तहत उम्रकैद की सजा होना जरुरी है। और देश का सारा नुकसान इन आरोपीयो की संपत्ती जप्त कर उससे वसूलना चाहिए ऐसा कानून मे प्रावधान है। इस बारे जल्द ही कई जनहित याचिकाये सुप्रिम कोर्ट मे दायर होने वाली है।