[बिग ब्रेकिंग] ‘कोव्हीशील्ड’ सीरम कंपनी तथा अदार और सायरस पूनावाला के खिलाफ इतिहास का सबसे बड़ा केस (सीव्हील सुट ) दायर।
अव्हेकन इंडिया मुव्हमेंट की ओर से 5 लाख करोड़ रूपये का दावा पेश। [Special Civil Suit No. 295 of 2024, श्री युसूफ थानवाला बनाम श्री आदर पूनावाला और 37 अन्य।]
ठाणे कोर्ट की वरीष्ठ न्यायाधीश श्रीमती एस. के चौधरी ने सुनवाई की तारीख 4 अक्टूबर 2024 को तय की है।
यह ऐतिहासिक दीवानी केस 5 लाख करोड़ (लगभग $67 बिलियन अमेरिकन डॉलर) का मुआवजा और क्षतिपूर्ति मांगते हुए आदर पूनावाला, साइरस पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के खिलाफ दायर किया गया है, जो बिल गेट्स के साथ वैक्सीन्स बनाने में भागीदार हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातीप्राप्त महामारी विशेषज्ञ जैसे डॉ. अमितव बनर्जी और IIT के प्रोफेसर भास्कर रमन जैसे अनेक ईमानदार और बुद्धीमान विशेषज्ञो को इस केस में गवाह बनाया गया है, ताकि श्री. अदार पूनावाला, श्री. साइरस पूनावाला, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और अन्य वैक्सीन माफियाओं द्वारा बेईमान डॉक्टर्स और सरकारी अधिकारीयो की मददसे फैलाए गए झूठे नरेटिव को उजागर किया जा सके।
सीरम कंपनी और पूनावाला के खिलाफ के अन्य गवाहों में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बीजेपी नेता किरीट सोमैया, और सांसद अखिलेश यादव को प्रमुख गवाह के रूप में नामित किया गया है, ताकि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशील्ड वैक्सीन से संबंधित रिश्वत और धोखाधड़ी का खुलासा किया जा सके। इस याचिका में कंपनी पर दोषपूर्ण और जानलेवा वैक्सीन को प्रमोट करने और बेचने का आरोप लगाया गया है, जो कई भारतीय लोगो की मौतों का कारण बनी।
हाल ही में अन्य एक संबंधित मामले में, अदार पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट को AIM के सदस्य श्री. प्रकाश पोहरे द्वारा दायर ₹10,000 करोड़ की मानहानि याचिका में बहुत बड़ा झटका लगा है ।
उस मामले में 2 अगस्त 2024 को, नागपुर के सिविल कोर्ट के सीनियर डिवीजन जज ने श्री अदार पूनावाला और सीरम इंस्टीट्यूट के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश दिया है, क्योंकि उन्होंने अदालत के सामने झूठा हलफनामा दाखिल किया, जिसमें महत्वपूर्ण तथ्यों को और कोविशील्ड वैक्सीन के कई गंभीर जानलेवा दुष्परिणामों और मौत के कारणों को छिपाया था । इस वैक्सीन को कई यूरोपीय देशों में प्रतिबंधित किया गया था क्योकि उसके दुष्परिणाम से लोगो की मौते हो रही थी।
वादी, युसूफ ठाणावाला का प्रतिनिधित्व नामी वकीलों की एक टीम कर रही है, जिसमें एडवोकेट ईश्वरलाल अग्रवाल (सुप्रीम कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ), एडवोकेट ओ. डी. काकडे, एडवोकेट निलेश ओझा (इंडियन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष), एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय, एडवोकेट तनवीर निझाम, एडवोकेट दीपाली ओझा, एडवोकेट शैलेश नारनवरे, एडवोकेट विजय कुर्ले और एडवोकेट मरियम निझाम आदि शामिल हैं।
यह याचिका 50 से अधिक विशेषज्ञों की टीम द्वारा कई महीनो की मेहनत और कठीन प्रयासों से तैयार की गई है, जिसमें वरिष्ठ वकील, सेवानिवृत्त जजेस, विश्वविख्यात वरीष्ठ डॉक्टर, महामारी विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, शोधकर्ता, IIT के प्रोफेसर, मानवाधिकार कार्यकर्ता, वरिष्ठ पत्रकार, सेवानिवृत्त प्रशासनिक सरकारी अधिकारी, देश की सेना के अधिकारी आदि शामिल हैं, और यह एक ऐतिहासिक कानूनी लड़ाई का प्रतीक है।
इस केस में 33 मीडिया हाउस, जिसमें YouTube और Google शामिल हैं, को भी प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है। याचिका में कोर्ट से यह मांग की गई है कि इन मिडियावालो को यह निर्देश दिया जाए की वे कोरोना वैक्सीन से जुड़े दुष्प्रभावों और मौतों पर सही और निष्पक्ष रिपोर्ट प्रकाशित करे और वैक्सीन निर्माताओं को व्यावसायिक लाभ पहुचाने के लिए सूचना को सेंसर करने और एकतर्फा न्यूज़ चलाने की हरकतों से बाज आए।
याचिका में मुख्य मांगें:
(क) स्थायी निषेधाज्ञा: प्रतिवादियों (सीरम कंपनी, आदर और साइरस पूनावाला) को आदेश दिया जाए की वो अव्हेकन इंडिया मुव्हमेंट के खिलाफ किसी भी माध्यम से कोई भी मानहानीकारक और अपमानजनक बयान या सामग्री प्रकाशित ना करे।
(ख) जनता से सार्वजनिक माफी: प्रतिवादियों (सीरम कंपनी, अदार और साइरस पूनावाला) को सभी मीडिया प्लेटफार्मों पर एक सार्वजनिक बयान जारी करने के लिए निर्देशित किया जाए, जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन के हानिकारक और जानलेवा प्रभावों को स्पष्ट किया जाए, उसकी सुरक्षा के बारे में झूठे दावों को वापस लिया जाए, और गलत प्रचार के लिए सभी देशवासीयो और मृतक के परिवारों की माफी मांगी जाए। और वो इस बात को भी प्रकाशित करे की वादी और अव्हेकन इंडिया मुव्हमेंट ने वैक्सीन के जानलेवा दुष्परीणामो से जनता की रक्षा के लिए अच्छे इरादे से मानवता और देश के हित मे कार्य किया है, और उनके सभी कार्य संवैधानिक कर्तव्य के तहत अनुच्छेद 51A के अनुसार है।
(ग) मुआवजा: प्रतिवादियों (सीरम कंपनी, आदर और साइरस पूनावाला) को आदेश दिया जाये की वे वादी युसूफ ठाणावाला को ₹5 लाख करोड़ (लगभग 67 अरब अमेरीकन डॉलर around 67 Billion USD) के मुआवजे के साथ-साथ दावा दायर करने की तारीख से प्रति वर्ष 18% ब्याज के हिसाब से रकम चुकाने का आदेश दिया जाए।
(घ) प्रतिवादी 6 से 38 (मीडिया हाउस जिसमें YouTube शामिल है) को निर्देश: कोविशील्ड वैक्सीन के कारण होने वाली मौतों और अन्य गंभीर दुष्प्रभावों से संबंधित समाचारों को सेंसर करने से रोका जाए वैक्सीन के दुष्परिणामो के खिलाफ बोलने वाले किसी का भी व्हिडिओ या चॅनल डिलीट ना हो और दोनों पक्षों के दृष्टिकोण और वैज्ञानिक अनुसंधान को ध्यान में रखते हुए अदार और सायरस पूनावाला और सीरम कंपनी के खिलाफ की कारवाई और अदालत के अपडेट को निष्पक्ष रूप से प्रकाशित किया जाए।
कानूनी आधार:
जवाब न देने में असफलता: प्रतिवादियों (सीरम कंपनी, अदार और साइरस पूनावाला) ने 2 जनवरी 2024 की कानूनी नोटिस का जवाब नहीं दिया, जिसमें ₹5 लाख करोड़ के मुआवजे का दावा किया गया था, जिससे सीरम कंपनी, आदर और साइरस पूनावाला को अब कोई भी बचाव का हक नहीं रह जाता है। अब पेश किया गया जबाब बनावटी (afterthought) माना जायेंगा।
तथ्यों का गलत छिपाव: सीरम कंपनी, अदार और साइरस पूनावाला ने बार बार जानबूझकर यह तथ्य छिपाया कि उनके द्वारा वादी के खिलाफ 01.10.2022 को दायर की गई शिकायत में किए गए झूठे और बदनामीकारक आरोप पुलिस द्वारा दो बार खारिज कर दिए गए थे, लेकिन उन्होंने जानबूझकर उन महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाकर वादी और अवेकन इंडिया मूवमेंट के खिलाफ बार – बार झूठे और अपमानजनक आरोप लगाते रहे। और पोलीस रिकॉर्ड से उनका झूठ उजागर हो गया।
वादी द्वारा दावा किए गए ₹5 लाख करोड़ के नुकसान का सबूत: सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, वादी को वास्तविक नुकसान और प्रतिष्ठा के नुकसान (मानहानी) को साबित करने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि वादी ने कहा है की वो 5 लाख करोड़ के नुकसान के सबूत पेश करने के लिए तैयार हैं। यह केस उन कई अन्य केस में से एक है, जिसमें लगभग 1,500 समान मामले आदर और साइरस पूनावाला, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और बिल गेट्स के खिलाफ पूरे देश में दायर होने की जानकारी है