आदित्य ठाकरे के वकील को सख्त नोटिस – शाम 7 बजे तक उत्तर दाखिल करें, अन्यथा आरोप कोर्ट में सिद्ध माने जाएंगे

मुंबई | 15 जुलाई 2025
दिशा सालियन की रहस्यमयी और संदिग्ध मृत्यु के मामले में आज एक अहम कानूनी मोड़ सामने आया है, जो महाराष्ट्र की राजनीति और न्यायिक प्रक्रिया दोनों पर गहरे प्रभाव डाल सकता है।
याचिकाकर्ता श्री सतीश सालियन के वकील एडवोकेट अभिषेक मिश्रा ने आज शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता श्री आदित्य ठाकरे के वकील एडवोकेट राहुल अरोठे को एक कठोर, अंतिम चेतावनी युक्त कानूनी नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि आज शाम 7:00 बजे तक कोई उत्तर अथवा उत्तरार्धीय प्रतिज्ञापत्र (Rejoinder Affidavit) दाखिल नहीं किया गया, तो आरोपों को अदालत के समक्ष स्वीकृत (admitted) माना जाएगा।
आरोपों का विस्तृत ब्योरा
नोटिस में यह बताया गया है कि दिनांक 07 जुलाई 2025 को श्री ठाकरे की ओर विस्तृत ‘Affidavit in Reply’ भेजा गया था, जिसमें उन पर सामूहिक बलात्कार, हत्या और साक्ष्य मिटाकर अपराध को छुपाने की साजिश जैसे गंभीर, आपराधिक और घृणास्पद आरोप लगाए गए हैं। इस प्रतिज्ञापत्र में श्री ठाकरे की सीधी संलिप्तता को दर्शाने वाले ठोस, तकनीकी और डिजिटल प्रमाण भी संलग्न किए गए हैं।
11 दिन बीत जाने के बावजूद, श्री आदित्य ठाकरे अथवा उनके वकील द्वारा कोई उत्तर, खंडन, स्पष्टिकरण या प्रत्युत्तर दाखिल नहीं किया गया है। नोटिस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया है कि जब गंभीर आरोपों पर जवाब नहीं दिया जाता, तो न्यायालय उस चुप्पी को ‘स्वीकृति’ (tacit admission) के रूप में मानता है।
चौंकाने वाले डिजिटल और भौतिक साक्ष्य
श्री सतीश सालियन द्वारा दायर प्रतिज्ञापत्र में निम्नलिखित निर्विवाद एवं तकनीकी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं:
1. मोबाइल टॉवर लोकेशन रिकॉर्ड्स, जो स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि आदित्य ठाकरे घटना की रात घटनास्थल के आस-पास मौजूद थे।
2. रिया चक्रवर्ती और आदित्य ठाकरे के बीच व्हॉट्सऐप चॅट, जिसमें कई आपत्तिजनक संवाद और संभावित धमकियों के संकेत हैं — यह चॅट दिशा और सुशांत सिंह राजपूत की मौत के कुछ दिन पहले और बाद के समय का है।
3. एनसीबी (Narcotics Control Bureau) द्वारा एकत्र किए गए दस्तावेज़, जो यह दर्शाते हैं कि आदित्य ठाकरे, रिया चक्रवर्ती और अन्य लोग ड्रग सप्लाई, पार्टी प्लानिंग, और मादक पदार्थों की खरीद-बिक्री में शामिल थे — जो इस पूरे अपराध के संभावित ‘मोटिव’ का हिस्सा हो सकते हैं।
झूठे हलफनामे, न्यायालय के साथ धोखा
प्रतिज्ञापत्र में यह भी आरोप है कि श्री ठाकरे द्वारा न्यायालय में झूठा और भ्रामक हलफनामा दायर किया गया, जो IPC की धाराएं 191, 192, 193, 196, 199, 120B, 34, 107, 109 के अंतर्गत फौजदारी अपराध (perjury), धोखाधड़ी (fraud), और आपराधिक साजिश (criminal conspiracy) में आता है। साथ ही, यह Contempt of Courts Act, 1971 के तहत अपराधिक अवमानना (Criminal Contempt) का भी गंभीर मामला बनता है।
कोई और समय नहीं मिलेगा
नोटिस में दो टूक चेतावनी दी गई है कि यदि 7:00 बजे तक कोई rejoinder affidavit दाखिल नहीं किया गया, तो अदालत में यह प्रस्तुत किया जाएगा कि श्री ठाकरे द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को ‘स्वीकृत’ मान लिया गया है। इसके अतिरिक्त, कोई भी स्थगन (adjournment) मांगने की कोशिश को ‘प्रक्रिया का दुरुपयोग’ मानते हुए उसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
आगामी कार्रवाई की चेतावनी
यदि उत्तर दाखिल नहीं होता, तो:
• श्री ठाकरे के खिलाफ फौजदारी मुकदमा (Criminal Prosecution) शुरू हो सकता है;
• अवमानना (Contempt) की कार्यवाही भी शुरू की जा सकती है;