समीर वानखेड़े केस में नया मोड़। ॲड. ईश्वरलाल अगरवाल की हस्तक्षेप याचिका (Intervention Application) दायर।
रिश्वत देने के मामले में शाहरुख़ खान , के साथ सी. बी. आय. और एन. सी.बी. के अधिकारी फसे।
हाय कोर्ट ने माँगा जबाब। ५ जुलाई तक देना होगा जबाब।
ड्रग्स मे मामले अमिताभ बच्चन की पोती नाव्या नंदा, चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे और आर्यन खान समेत अन्य लोगो की तहकीकात क्यों नहीं की इसका जबाब CBI और NCB को हाय कोर्ट में दायर करना है।
दोषी अधिकारियो पर जुर्माना लगाकर उनके खिलाफ कोर्ट अवमानना और IPC की धारा 191, 192, 193, 199, 200, 201, 218, 471, 474, 409, 120(B), 34 के तहत केस दर्ज करने का आदेश देने की मांग।
अमिताभ बच्चन की पोती नाव्या नंदा , आर्यन समेत अन्य आरोपीयो के खिलाफ कारवाई करने का निर्देश देने की मांग।
इसके पहले भी सी.बी.आय. ने अनिल देशमुख और अन्य केस में खुद के ही अधिकारीयो को गिरफ्तार किया है।
हाल ही में ईडी के अधिकरी सचिन सावंत भी गिरफ्तार हो चुके है।
शाहरुख खान के गिरफ्तारी की संभावना बढ़ी।
मुंबई : ड्रग्स केस में बेटे आर्यन खान को बचाने के लिए १८ करोड़ के रिश्वत का सौदा तय करके ५० लाख रिश्वत देने के मामले में CBI द्वारा दर्ज FIR को चुनौती देनेवाले NCB के अधिकारी समीर वानखेड़े द्वारा दायर याचिका में कल 28 जून 2023 को नया मोड़ आगया।
ॲड. ईश्वरलाल अगरवाल ने इस मामले में हस्तक्षेप याचिका (Intervention Application) दायर कर CBI और NCB के अधिकारीयो के खिलाफ कोर्ट अवमानना तथा IPC की धारा 191, 192, 193, 199, 202, 201, 409, 471, 474,218, 120(B), 34 आदी धाराओं के तहत कारवाई करने की मांग की है।
उस मामले में हायकोर्ट ने सीबीआय को निर्देश दिया है की, वो अपना जबाब ५ जुलाई तक दाखिल करे। ५ जुलाई को दोपहर २.३० बजे मामले की सुनवाई होनेवाली है।
सीबीआय और NCB को हायकोर्ट में ५ जुलाई तक ॲड. ईश्वरलाल अगरवाल की याचिका के निचे दिए गए मुख्य बिंदु पर जबाब देना है.
(i) अगर रिश्वत देने के आरोप सही है तो फिर शाहरुख़ खान , उनका बेटा आर्यन और उनकी सेक्रेटरी पूजा दादलानी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया क्योकि कानून के हिसाब से रिश्वत देनेवाला भी आरोपी होता है।
(ii) आर्यन खान के मोबाईल चॅट में अमिताभ बच्चन की पोती नाव्या, चंकी पांडे की बेटी अनन्या और कई लोगो के साथ ड्रग्स के संबंधित और उसे खरीदने के मैसेजेस रिकॉर्ड पर उपलब्ध है तो फिर उस मामले मे आगे जाच क्यों नहीं की गयी और आर्यन को केस से बरी कैसे कर दिया गया ?
(iii) किसी भी व्यक्ति को केस से बरी करने का अधिकार सिर्फ कोर्ट को है। NCB अधिकारी ने कोर्ट के अधिकार अपने पास कैसे ले लिए
(iv) समीर वानखेड़े द्वारा दिए गये सबूत्तो मे जब NCB के अधिकारी ज्ञानेश्वर सिंग के खिलाफ जो सबूत दिये है उस का कोई भी जवाब ज्ञानेश्वर सिंग या नकब ने नहीं दिया इससे समीर वानखेड़े के आरोप सही साबित होते है की उन्हें फसाया गया है और आर्यन खान को बचने के लिए झूठ रिकॉर्ड तयारकिये गये है. तो ज्ञानेश्वर सिंग और NCB अन्य अधिकारी के खिलाफ कारवाही क्यो नहीं की गई ?
(v) अब रिश्वत देने के आरोप अक्टूबर 2021 मे लगाये गये थे तो 19 के महीने बाद 19मई २०२३ को शाहरुख़ खान को जवाब तलब किये बगैर समीर वानखेड़े के खिलाफ जल्दबाजी मे रिश्वत लेने की FIR दर्ज क्यों की गई ?
(vi) सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट के Param Bir Singh v. State of Maharashtra, 2021 SCC OnLine Bom 516 मामले मे दिये गये निर्देश के मुताबिक समीर वानखेड़े के खिलाफ FIR दर्ज करने के पहले प्राथमिक तहकीकात (Preliminary enquiry) करना जरुरी है.
उस आदेश का उलंघन क्यों किया गया?
(vii) NCB के ज्ञानेश्वर सिंग इस मामले मे खुद गवाह है तो वे मामले मे खुद enquiry officer नहीं रह सकते, और ऐसी कोई तहकीकात और उसका नतीजा (Report) यह गैरकानूनी और अमान्य हो जाता है. तथा ऐसे गैरकानूनी रिपोर्ट के आधार पर दर्ज FIR भी गैरकानूनी हो जाती है. ऐसा स्पष्ट कानून सुप्रीम कोर्ट ने बनाया है. फिर उस आदेश का उल्लंघन कर समीर वानखेड़े के खिलाफ गैरकानूनी FIR दर्ज करने वाले अधिकारीयो के खिलाफ क्या करवाई की गई.
(viii) जब मुंबई पुलिस ने उसी मामले मे अक्टूबर २०२१ को IPC ३८८ के तहत FIR दर्ज करके उसे बंद कर दिया था तब मई २०२३ को दोबारा IPC ३८८ की FIR सीबीआई मे दर्ज करने यह सुप्रीम कोर्ट के T.T. Antony v. State of Kerala, (2001) 6 SCC 181 मामले के निर्देशो का उलंघन है. ऐसी गैरकानूनी हरकते करने वाले CBI और NCB के अधिकारियों के खिलाफ क्या करवाई की गई.