वकिलो को आतंकवादी कसाब से भी ज्यादा बुरा समझने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज रोहींटन नरीमन और सहाआरोपी जजेस के खिलाफ देशभर आक्रोश की लहर
विभिन्न वाकिल संगटनो ने किया निषेध
आरोपी जजेस दीपक गुप्ता, रोहींटन नरीमन की गिरफ्तारी संभव
महाराष्ट्र पुलीस के भ्रष्टाचार निबंधक ब्यूरो ने शुरू की तहकीकात आरोपी जजेस रोहींटन नरीमण, दीपक गुप्ता द्वारा सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड चुराना, जालसाजी करना और शिकायतकर्ता को 400 करोड़ रूपये की लालच देकर केस वापिस लेने के लिए दबाव डालना आदी गुनाहो की जांच पुलीस पिछले 4 महीने से कर रही है।
आरोपी जजेस की साजिश मे शामिल होकर गुनाहो से साथ देनेवाले गद्दार वकिल मिलिंद साठे, कैवान कल्याणीवाला, नितिन ठक्कर की सदस्यता रद्द कर उन्हे तुरंत गिरफ्तार करने की मांग।
राष्ट्रपती द्रौपदी मुरुमुजी के कार्यालय के निर्देश पर पुलीस ने शुरू की तहकीकात
विभीन्न वकिल संगठनो ने माना राष्ट्रपती का आभार
भ्रष्ट जजो मे मचा हड़कंप
मामला सीबीआय और ईडी को सौपे जाने की संभावना
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नाम पर झूठे दस्तावेज बनाने, सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड चुराने और उनके खिलाफ का मामला दबाने के लिए शिकायतकर्ता को ४०० करोड़ रूपये की पेशकश देने के मामले मे हो रही है तहकीकात।
शिकायतकर्ता और गवाहों के पास व्हिडिओ रिकॉर्डिंग और अन्य सभी सबूत उपलब्ध है। पुलीस को सभी साबुत सौप दिए गए है।
आरोपी जज रोहिंटन नरीमन के पिता फली नरीमन और जस्टिस दीपक गुप्ता के खिलाफ देश के जवानो का मनोबल गिराकर पाकिस्तान समर्थन में काम करने वालो लोगो को मदद करने के सबूत सीबीआई और पुलिस को सौपे जा चुके है। आरोपीयो के खिलाफ देशद्रोह और आतंकवादी निरोधक कानून में कारवाई कर उन्हें गिरफ़्तार करने की मांग की गई है।
दिल्ली: विशेष संवाददाता:-
1. सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज रोहिंटन नरीमन, दीपक गुप्ता और साजिश में उनका साथ देनेवाले ॲड. मिलिंद साठे, कैवान कल्याणीवाला तथा अन्य आरोपीयो के खिलाफ महाराष्ट्र पुलीस के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने तहकीकात शरू क्र दी है।
2. क्या है पूरा मामला: –
2.1. सुप्रीम कोर्ट के जज रोहिंटन नरीमन और विनीत सारण की बेंच ने एक वकील को सजा देते समय ऐसा आदेश पारीत किया की, अगर किसी जज को किसी वकिल की कोई बात (पैरवी) पसंद न आये तो जज उस वकील को बिना कोई नोटीस दिये और बिना कोई केस चलाये सीधा सजा सुनाकर जेल भेज सकता है। [National Lawyers Campaign for Judicial Transparency & Reforms v. Union of India, (2020) 16 SCC 687]
2.2. यह आदेश संविधान के खिलाफ था और खुद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ संविधान पीठो द्वारा बनाये गये कानून के खिलाफ था। [ Dr. L.P. Mishra Vs. State of UP (1998) 7 SCC 379, Re Pollard LR 2 PC 106,Pallav Sheth v. Custodian, (2001) 7 SCC 549, Maheshwar Peri v. High Court of Judicature at Allahabad (2016) 14 SCC 251, Sahara India Real Estate Corpn. Ltd, v. SEBI, (2012) 10 SCC 603]
2.3. देश के संविधान और संयुक्त राष्ट्रसंध युनो द्वारा बनाये गये नियम International Covenant on Civil and Political Rights (ICCPR) के तहत अगर कोई व्यक्ती आतंकवादी भी है तब भी उसे उसके खिलाफ के सभी आरोपी की जानकारी देकर, अपना पस रखने का पूरा मौका देते हुए नियमो के तहत केस चलाकर ही बाद मे सजा सुनाई जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अजमल कसाब मामले मे (2012) 9 SCC 1 यह स्पष्ट कानून बनाया की कोई भी जज अगर आरोपी के संवैधानिक मुलभुत अधिकारों का हनन करता है तो उस जज को कोर्ट अवमानना मे जेल मे भेजा जायेंगा। [ New Delhi Municipal Council v. Prominent Hotels Limited, 2015 SCC OnLine Del 11910 ]
नियमो के विरुद्ध जाकर किसी व्यक्ति को सजा सुनाने वाले जज को IPC 219, 220, 166 आदी धाराओ मे सात वर्ष लक की सजा का प्रावधान है.
2.4. इन सभी नियमो का हवाला देते हुए दोनों आरोपी जजों रोहिंटन फली नरीमन और विनीत सारण के खिलाफ इंडियन बार एसोसिएशन के ॲड. विजय कुर्ले और ॲड. निलेश ओझा ने आवाज उठाई। आरोपी जजेस के खिलाफ करवाई के लिए राष्ट्रपती के पास दि. 19. 03. 2019 को शिकायत दर्ज कर IPC की धारा 166, 218, 219, 220, 120 (B), 34 के तहत कारवाई की मांग की गई. [ Case No. ____ by V. K. dt. 20.03.2019]
2.5. इस शिकायत से खुद को बचाने के लिए और शिकायतकर्ता पर दबाव बनाने के लिए आरोपी जज रोहींटन नरीमन ने उनके सहयोगी वकिल मिलींद साठे और कैवाण कल्याणीवाला के साथ एक अपराधिक साजिश रचकर दी. 23.03.2019 को एक पत्र चीफ जस्टीस ऑफ इंडिया को भेजा।
2.6. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने मिलिंद साठे की उस शिकायत को गलत पाते हुए २५.०३.२०१९ को उसे ख़ारिज कर केस को बंद कर दिया। इस बारे में चीफ जस्टिस कार्यालय द्वारा लिखित में जानकारी दी है।
2.7. लेकिन उस बात को छुपाकर आरोपी रिटायर्ड जज रोहिंटन नरीमन, दीपक गुप्ता, विनीत सरण, ॲड. मिलिंद साठे आदि लोगो ने ऐसा झूठा कोर्ट का रिकॉर्ड बनाया की चीफ जस्टिस गोगोई ने ही रशीद खान पठान और अन्य वकीलों के खिलाफ कारवाई के लिए फाइल आरोपी जज रोहिंटन नरीमन और विनीत सरण के बेंच के पास भेजी थी। और उन झूठे सबूतों के आधारपर रशीद खान पठान और दो वकीलों ॲड. कुर्ले और नीलेश ओझा को सजा सुनाई गयी। उस आदेश के खिलाफ उन्होंने रिट पीटीशन दर्ज की है और सुप्रीम कोर्ट ने ही उनकी सजा पर रोक लगा रखी है।
2.8. आरोपी जज दीपक गुप्ता ने अपने दिनांक २७.०४. २०२० के आदेश के पैरा ५० में यह झूठी बात लिखी है की चीफ जस्टिस ने विजय कुर्ले और अन्य के खिलाफ कारवाई के लिए मामला जज रोहिंटन नरीमन को भेजा था।
“50[…] Furthermore, it is not as if the letter were addressed to the Members of the Bench. As observed above, the letter sent by the President of Bombay Bar Association and the President of Bombay Incorporated Law Society was addressed to the President of India, the Chief Justice of this Court, and the Chief Justice of the High Court of Bombay. Presumably, it must have been the Office of the Chief Justice which sent the letters to the Bench.”
2.9. सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ द्वारा बनाये गए नियमो के अनुसार जब चीफ जस्टिस ने केस की फाइल बंद करदी तो उस फाइल को फिरसे खोलकर खुद संज्ञान लेकर रशीद खान पठान और अन्य वकीलों के खिलाफ कोर्ट अवमानना का केस चलाने का कोई अधिकार किसी भी जज को नहीं है। इस बारे में स्पष्ट कानून बनाया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी कारणों से ‘बाल ठाकरे’ की कोर्ट अवमानना की सजा ख़ारिज कर दी थी। [Campaign for Judicial Accountability and Reforms v. Union of India, (2018) 1 SCC 196, Bal Thackrey Vs. Harish Pimpalkhute, (2005) 1 SCC 454, Prof. Y.C. Simhadri, V.C., B.H.U., Varanasi Vs. Deen Bandhu Pathak, 2001 SCC OnLine All 572]
उसमे स्पष्ट कानून बनाया है की कोई भी जज स्वयं संज्ञान suo moto cognizance of Contempt of Court नहीं ले सकता है।
2.10. लेकिन आरोपी जजों ने उस नियमो का उलंघन कर चीफ जस्टिस ने ख़ारिज की हुई केस में झूठे सबूतों के आधारपर रशीद खान पठान को सजा सुनाई। आरोपियों की इन हरकतों के खिलाफ IPC १९२, १९३, २२०, २१९, २१८, ४६५, ४६६, ४०९, ३७९, १२० (B), ३४, १०९ के तहत आरोपी जज पर कारवाई करने के लिए रशीद खान पठान और अन्य लोगोने मा. राष्ट्रपति जी के पास शिकायते दर्ज करवाई है।
2.11. उसके बादमे ९ जून को रात ९ बजे रशीद खान पठान घर पे दो लोग आये। उन्होंने रशीद खान पठान द्वारा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड (सेवानिवृत) जज दीपक गुप्ता, रिटायर्ड जज रोहिंटन नरीमन और अन्य लोगो के खिलाफ दियेगये केस की बात की और बाद में उन्होंने यह कहा की उस मामले के आरोपी जज लोगो से गलती हो गई है और रशीद खान पठान उस मामले को आगे ना बढ़ाये और उसके बदले में लोग उसे करोडो रुपए तक की रकम दे सकते है।
2.12. रशीद खान पठान के घर आये उन आरोपियों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में आरोपी लोगो की एक लॉबी ऐसे ही बड़े कामो में लिप्त हैऔर वे सुप्रीम कोर्ट से पैसे के दमपर कोई भी आदेश प्राप्त कर सकते है। रशीद खान पठान ने उनकी ऑफर ठुकरा दी। और इस बारे में उन्होंने तुरंत अपनी शिकायत सीबीआय को दी।
2.13. इसप्रकार रशीद खान पठान और अन्य वकीलों को फसाने के लिए आरोपी जजेस दीपक गुप्ता, रोहिंटन नरीमन और अन्य आरोपियोंने ने सह आरोपियों जैसे ॲड मिलिंद साठे और अन्य के साथ मिलकर रशीद खान पठान और अन्य वकीलों को फसाने के लिए चीफ जस्टिस गोगोई के नाम पर झूठे रिकॉर्ड बनाकर गैर कानूनी तरीके से सजा दी और जब उनका झूठ उजागर हो गया तो उन्होंने उनके खिलाफ के केस वापस लेने के लिए दो दलालों के द्वारा करोडो रुपया देने का लालच देकर इतने बड़े अपराधों को दबाने की साजिश की इसलिए उन सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उन्हें गिरफ्तार कर तहकीकात करने की मांग रशीद खान ने की है।
2.14. आरोपियों ने इस केस के संदर्भ सुप्रीम कोर्ट के रिकॉर्ड चुराकर 409 के तहत गुनाह किया है और ऐसे और गंभीर अपराध किये है जिसकी जानकारी और सबूत इस मामले की शिकायतकर्ता के पास उपलब्ध है, जो उसने पुलिस को दे दिए है।
इस शिकायत का संज्ञान Anti-Corruption Bureau ने लिया है और तहकीकात शुरू कर दी है।
2.15. ‘इंडियन बार एसोसिएशन’ और ‘सुप्रीम कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन’ जैसे विभिन्न संघटनो ने आरोपी जजेस के खिलाफ तुरंत कारवाई कर आरोपीयो को गिरफ़्तार करने की मांग की है।