पुलीस जाँच मे ध्रुव राठी, राहुल गाँधी और कुछ अन्य आरोपीयो की झूठ फैलाकर लोगो को गुमराह कारने की साजीश साबूतो के साथ उजागर।
आरोपीयो के खिलाफ हाई कोर्ट में कोर्ट अवमानना याचिका दायर।
ध्रुव राठी और अन्य आरोपीयों को कोर्ट अवमानना कानून 1971 की धारा 2 (b) (c), 12 के तहत 6 महिने और IPC की धाराए 192, 193, 120(B), 34, 107 के तहत सात वर्ष तक हो सकती है सजा
सुप्रीम कोर्ट एंड हाई कोर्ट लिटिजंटस एसोसिएशन के अध्यक्ष रशीद खान पठान और उपाध्यक्ष मुरसलीन शेख ने दायर की याचिका।
‘सुप्रीम कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष ईश्वरलाल अगरवाल, ‘इंडियन बार एसोसिएशन’ के अध्यक्ष निलेश चंद्रभूषण ओझा और ‘इंडियन लॉयर्स एंड ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट एसोसिएशन’ के उपाध्यक्ष एड. तनवीर निझाम, और एड. विवेक रामटेके करेंगे पैरवी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही झूठ फ़ैलाने के आरोप में राहुल गाँधी को कोर्ट अवमानना का दोषी करार देते हुए उन्हें आगे से ऐसा झूठ ना फ़ैलाने और सावधानी बरतने की चेतावनी दी थी। और राहुल गाँधी को बदनामी के मामले में 2 वर्ष की सजा भी हुई थी। उस सजा को रोक लगाते समय भी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उसी 2019 में दी गयी चेतावनी को दोहराया था और जिम्मेदारी से काम करने और आगे से ऐसा ना करने की चेतावनी दी है।
सुपारी यु ट्यूबर ध्रुव राठी द्वारा कई झूठे नरेटिव्ह फैलाकर आम जनता को भ्रमित कर, उन्हें बेवकूफ बनाकर सच्चे आरोपीयो को बचाने और पिड़ीतों को बदनाम करने के षड़यंत्र के तहत बनाये गये व्हिडीयो सबूत के तौर पर कोर्ट को और पुलीस को सौप गये है।
ध्रुव राठी, राहुल गाँधी के अलावा इस केस के अन्य आरोपीयो में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राऊत इत्यादी नेता शामिल है।
मुंबई : विशेष संवाददाता : सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले [Raghbir Singh Vs. State of Haryana (1980) 3 SCC 70)] में अब्राहम लिंकन को कोट करते हुए लिखा था की,”आप लोगो को बार बार बेवकूफ नहीं बना सकते। एक बार आपने लोगो का विश्वास खो दिया तो उस वापिस हासिल करना बहोत कठीन है।“
यही बात राहुल गाँधी और ध्रुव राठी के बारे में सही साबित होती दिख रही है।
मुंबई हाई कोर्ट ने Nilesh Navalakha v. Union of India, 2021 SCC OnLine Bom 56 मामले में स्पष्ट निर्देश दिया था की पुलिस जांच को प्रभावित करने वाली खबर चलाने वाले कोर्ट अवमानना के दोषी होंगे।
राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठी खबर फैलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्रवाई की थी। राहुल गांधी ने उस कोर्ट अवमानना याचिका में शपथपत्र पर माफी मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट में माफीनामा पेश किया था।
राहुल गाँधी का झूठ कई बार उजागर हो चूका है और उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने भी झूठ फ़ैलाने और कोर्ट अवमानना का दोषी पाया और भविष्य में अपनी हरकतों से बाज आने की कठोर चेतावनी दी ।[[Yashwant Sinha v. CBI, (2020) 2 SCC 338]
और उन्हें सार्वजनिक रूप से कोई भी बात कहने से पहले सावधानी बरतने का आदेश दिया था।
उसके बाद राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री श्री. नरेंद्र मोदी के खिलाफ फिरसे एक बार झूठी और बदनामी करने वाले बयान देने के गुनाह में कोर्ट ने राहुल गाँधी को दोषी पाया और उन्हें दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई उस सजा को रोक लगते समय भी सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में फिर एक बार राहुल गाँधी को 2019 में दी गई चेतावनी को दोहराते हुए फटकार लगाई। [Rahul Gandhi v. Purnesh Ishwarbhai Modi, (2024) 2 SCC 595]
इसके बाद भी राहुल गांधी अपनी गुनाह करने की मानसिकता से बाहर आते नहीं दिख रहे है। उन्होंने फिर एक बार अपना राजनितिक उल्लू सीधा करने के लिए ने मुंबई की उप जिलाअधिकारी और शिवसेना सांसद रवींद्र वायकर के खिलाफ ‘मिड–डे’ मे प्रकाशित झूठी खबर को खुद के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया। उसी खबर को ध्रुव राठी ने भी पोस्ट किया। उस १७.०६.२०२४ की ‘मिड–डे’ की खबर में पुलीस के नामपर ऐसी झूठी खबर प्रकाशित की गई थी कि पुलिस ने उन्हें बताया कि सांसद रवींद्र वायकर EVM मशीन में गड़बड़ी करके चुनाव जीते हैं और सांसद श्री वायकर के रिश्तेदार मंगेश पंडीलकर ने मोबाइल फोन के जरिए EVM मशीन का OTP प्राप्त करके EVM हॅक की है और उसके जरिए वोट बढ़ाये गए हैं।
पुलिस ने उस खबर को झूठा बताते हुए प्रेस नोट जारी की और निर्वाचन आयोग की आधिकारी तथा उप जिलाधिकारी वंदना सूर्यवंशी ने भी प्रेस नोट करके उसे खबर का झूठा उजागर किया।
उसके बाद ‘मिड–डे’ ने अपनी गलती मानी और उनकी ओर से झूठी खबर प्रकाशित होने की बात स्वीकारते हुए सच्ची खबर और उनका माफीनामा भी १८.०६.२०२४ को प्रकाशीत किया।
लेकिन इसके बाद भी राहुल गांधी, ध्रुव राठी ने कोई माफी नहीं मांगी और जिलाधिकारी की पत्रकार परिषद की खबर को भी पोस्ट नहीं किया। इससे उनकी बौद्धिक बेईमानी और झूठ फैलाकर पुलिस जांच और गवाहों को गुमराह, (भ्रमित) करने और उन्हें डराने तथा बदनामी करने का गुनाह साबित हो गया।
ध्रुव राठी सुपारी लेकर एकतर्फा और झूठी खबरे, नॉरेटीव चलाने का शातिर आरोपी है और उसके ऐसे कई अपराधों के सबूत याचिकाकर्ता ने पुलीस और कोर्ट को दिए है।
स्वाति मालीवाल के केस में भी ध्रुव राठी द्वारा झूठा नॉरेटीव फैलाकर स्वाति मालीवाल को बदनाम करने और आरोपियों को बचाने तथा गवाहों को भ्रमित (गुमराह) करने का प्रयास दिल्ली की कोर्ट के ऑर्डर से उजागर हो गया।
ध्रुव राठी ने आधे अधूरे सबूतों के आधारपर अपनी एकतर्फा व्हिडिओ बनाकर स्वाति मालीवाल की केस को झूठा और विभव कुमार को निर्दोष बताने का प्रयास किया था। लेकिन कोर्ट ने विभव कुमार के खिलाफ पुलिस द्वारा दिये गये सबूतो को सही पाते हुए विभव कुमार को पुलिस कस्टडी में रखकर पूछताछ का आदेश दिया था। आज भी विभव कुमार जेल में ही है।
मुंबई के निर्वाचन अधिकारी और शिवसेना सांसद रविंद्र वायकर के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने और जनता को भ्रमित करने के इस षड्यंत्र में उद्धव ठाकरे के अखबार ‘दैनिक सामना’ मैं भी ऐसी ही झूठी खबर प्रकाशीत की गयी थी और इसलिए उन्हें भी आरोपी बनाया गया है।
जब झूठ उजागर हुआ और ‘मिड डे’ ने तुरंत अपना स्पष्टीकरण प्रकाशित करके माफी मांगी। तब भी दैनिक ‘सामना‘ और खासदार राहुल गांधी तथा ठाकरे गुट के लोगों ने कोई माफी नहीं मांगी। इसके विपरीत अपनी गलती छुपाने के लिए ठाकरे गुट ने आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में दूसरे दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बातों को घुमाकर जनता को फिर से गुमराह करने का प्रयास किया और निर्वाचन अधिकारी तथा उप जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ कई आरोप लगाकर उन्हें धमकाने की कोशिश की।
आरोपियों को साजिश के खिलाफ ’सुप्रीम कोर्ट एंड हाई कोर्ट लिटीजेंट्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष रशीद खान पठान द्वारा एक याचिका मुंबई हाई कोर्ट में दायर की गई है इस याचिका में यह मांग की गई है कि:
1. आरोपियों के खिलाफ IPC की धाराएँ 192, 193, 469, 500, 501, 120(B), 34, 107 के तहत कार्रवाई की जाए।
2. गवाहों और अधिकारियों को धमकाने के मामले में आरोपियों के खिलाफ कोर्ट अवमानना कानून 1971 की धारा 2(c), (b), 12 के तहत कार्रवाई की जाए।
3. आरोपी सांसदों और विधायकों की सांसदी और विधायकी निरस्त करके उन्हें आजीवन किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई जाए।
4. आरोपी समाचारपत्र ‘मिड-डे‘ और ‘दैनिक सामना‘ को कोई भी सरकारी विज्ञापन न दिया जाए और उनका पंजीकरण निरस्त किया जाए।
5. गैरकानूनी और असंवैधानिक कार्य करने और उसे बढ़ावा देने के कारण कांग्रेस पार्टी और ठाकरे गुट की शिवसेना पार्टी का पंजीकरण निरस्त किया जाए। उनकी मान्यता रद्द की जाए। और उन सबके खिलाफ “मोक्का ” कानून के तहत कारवाई की जाए।
याचिकाकर्ता रशीद खान पठान द्वारा हाल ही में Forum For Protection of Constitutional Rights of Public Servants ‘लोकसेवक संविधानिक अधिकार सुरक्षा समिति’ के माध्यम से नागपुर और अमरावती के आरटीओ विभाग के अधिकारी तथा धाराशिव जिले के उप जिला अधिकारी के खिलाफ गैरकानूनी एफआईआर में हस्तक्षेप करके उन्हें न्याय दिलाने में मदद की गई है और सरकारी विभाग के अधिकारियों में उनकी अच्छी पकड़ है।
याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत याचिका में यह भी बताया कि राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठी खबर फैलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्रवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सार्वजनिक रूप से कोई भी बात कहने से पहले सावधानी बरतने का आदेश दिया था। राहुल गांधी ने उस कोर्ट अवमानना याचिका में शपथपत्र पर माफी मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था। इसके बावजूद उन्होंने फिर से ऐसी झूठी गलती की है, इसलिए अब उन्हें माफी देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। [Yashwant Sinha v. CBI, (2020) 2 SCC 338]
इसके अलावा, उद्धव ठाकरे और ठाकरे गुट के अन्य नेताओ ने ऐसे कई झूठ बोले है और उन लोगो के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका प्रलंबित है। [I.A. No. 18082/2024 Mursalin A. Shaikh, in Sunil Prabhu Vs. Eknath Shinde SLP(C) No. 1644 -1662/2024]
आदित्य ठाकरे ने दिशा सालियान और सुशांत सिंह राजपूत की हत्या के मामले में मुंबई हाई कोर्ट में झुठा शपथपत्र देने के मामले मे कोर्ट दायर जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने के लिए दिया गया शपथपत्र झूठा पाया गया। इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की याचिका हाई कोर्ट में प्रलंबित है। [I.A. No. 18784 of 2023 IN PIL (Crl. ) No. 17983 of 2023, Supreme Court and High Court Litigants Association Vs . CBI]
इसके अलावा, ठाकरे गुट के सांसद संजय राऊत ने कानून और संविधान को मानने से इनकार किया था। इसलिए उन्हें हाई कोर्ट ने फटकार लगाई थी और उनके साथ देने वाले अधिकारियों को दंडित भी किया था। [Kangana Ranaut v. Municipal Corporation of Greater Mumbai, 2020 SCC OnLine Bom 3132]
वह सारे सबूत याचिका के साथ हाई कोर्ट में पेश किये जा चुके है के साथ संलग्न किए जा चुके हैं। और झूठ फैलाने तथा कानून के साथ खिलवाड़ करने के गुनाह संगठित रूपसे बार बार करने के लिए आरोपियों के खिलाफ कठोर कारवाई की मांग की गई हैं।