आनंद अग्रवाल, प्रतिभा शाह सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ मकोका (MCOCA) लगाने तथा जाँच सीबीआई को सौंपने की माँग – शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री से की गुहार

आरोपियों ने अंडरवर्ल्ड के माध्यम से नागरिकों को धमकाकर उनकी ज़मीनें हड़पने के लिए कई आपराधिक अपराध किए हैं। इन अपराधों का ब्योरा, उससे जुड़े सबूत, विभिन्न शिकायतों की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सौंपी गई है।
फिर्यादी श्री कल्पेश जैन और उनके पिता श्री राजूभाई शाह को उच्च न्यायालय के आदेशानुसार पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई है।
आजीवन कारावास के गंभीर अपराधों में आरोपी आनंद अग्रवाल व अन्य की गिरफ्तारी में टालमटोल करने वाले दोषी पुलिस अधिकारियों को ‘मकोका’ के तहत सह–आरोपी बनाने और जांच सीबीआई को सौंपने के लिए उच्च न्यायालय में नई याचिका दाखिल किए जाने के संकेत मिले हैं।
मुंबई: पहले ज़मीन के फर्जी, झूठे और बनावटी दस्तावेज़, बिक्री–पत्र तैयार कर लोगों के स्वामित्व अधिकार में हस्तक्षेप करना और बाद में अंडरवर्ल्ड के छोटा शकील और अन्य गुंडों की मदद से नागरिकों को धमकाकर उनकी ज़मीनें हड़प लेना—और यदि शिकायत हुई तो कुछ वसूलीखोर, भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों की मदद से मामला दबाना—ऐसा संगठित आपराधिक कारोबार मीरा–भाईंदर में आनंद अग्रवाल, हरीश अग्रवाल, प्रभावती शाह और अन्य लोगों की टोली कर रही है। इन सबके खिलाफ मकोका के अंतर्गत कार्यवाही कर मामला सीबीआई को सौंपा जाए और सभी आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी की जाए—इस प्रकार की शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और मुख्यमंत्री को दी गई है। त्वरित कार्रवाई न होने पर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करनी पड़ेगी, ऐसा चेतावनी फिर्यादी राजूभाई शाह ने दी है।
नवघर पुलिस ने आनंद अग्रवाल, हरीश अग्रवाल, प्रतिभा शाह, परिन शाह व अन्य के खिलाफ अपराध क्र. 430/2022 दर्ज कर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 34 आदि के तहत आरोपपत्र दाखिल किया है।
हाल ही में मीरा रोड पुलिस स्टेशन में भी आनंद अग्रवाल और अन्य 20 लोगों के खिलाफ दूसरे की ज़मीन पर गुंडों की टोली भेजकर जबरन घुसकर कब्ज़ा करने की कोशिश करने के मामले में, भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 126(2), 329(3), 189(2), 324(5), 131, 115(2), 352, 351(2), 37(1), 135 आदि धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह मामला FIR क्र. 78/2025 के रूप में पंजीकृत है।
फिर्यादी श्री राजूभाई शाह और श्री कल्पेश जैन को आरोपी आनंद अग्रवाल व अन्य सह–आरोपियों ने पाकिस्तानस्थित छोटा शकील गिरोह के गुंडों के माध्यम से संबंधित ज़मीन का कब्ज़ा छोड़ने के लिए गंभीर जानलेवा धमकियाँ दीं। इस संदर्भ की परिस्थितियों और प्रस्तुत किए गए ठोस साक्ष्यों के आधार पर माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि फिर्यादी श्री राजूभाई शाह को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।
आरोपी टोली के सक्रिय सदस्य प्रतिभा शाह व अन्य ने फर्जी और बनावटी बिक्री–पत्र तैयार कर उसे उच्च न्यायालय में असली के रूप में पेश कर न्यायालय को धोखा दिया। इस संबंध में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 467, 420, 192, 133, 120B, 34 और न्यायालय अवमानना अधिनियम की धारा 2(c), 12 के अंतर्गत कार्रवाई हेतु याचिका दाखिल की गई है। उच्च न्यायालय ने इसकी संज्ञान लेकर आरोपियों को 16 सितंबर से पहले उत्तर दाखिल करने का आदेश दिया है।
शिकायत में स्पष्ट कहा गया है कि आरोपी झूठे और फर्जी बिक्री–पत्र बनाकर भूमिपुत्रों की ज़मीनें हड़पने वाले सरगना अपराधी हैं। नवघर पुलिस स्टेशन की FIR क्र. 430/06222 में भी आरोपियों पर अपराध दर्ज है, और उसमें आईपीसी की धारा 467 के तहत आरोपपत्र दाखिल हुआ है, जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है।
इसके अलावा, आरोपियों के खिलाफ अन्य कई मामलों में भी सबूत पेश किए गए हैं, जिनसे साबित होता है कि आरोपी योजनाबद्ध तरीके से फर्जी दस्तावेज़ बनाकर स्थानीय भूमिपुत्रों के अधिकार हड़प रहे हैं। इस मामले में आईपीसी की धारा 467 के तहत अपराध दर्ज है, जो आजीवन कारावास योग्य है। अतः आरोपियों के खिलाफ तुरंत और कठोर कानूनी कार्रवाई करना न्याय और कानून दोनों की दृष्टि से अत्यावश्यक है।
आरोपी केवल एक बार नहीं बल्कि पद्धतिगत रूप से फर्जी और झूठे दस्तावेज़ बनाकर निर्दोष लोगों की ज़मीनें हड़पने वाले सरगना अपराधी हैं। उनकी आपराधिक गतिविधियों से कई भूमिपुत्र और ज़मीनमालिकों को मानसिक, आर्थिक और सामाजिक पीड़ा सहनी पड़ी है।
इस संदर्भ में की गई पुलिस जांच और राजस्व विभाग की जाँच से स्पष्ट हुआ है कि आरोपियों ने कई धोखाधड़ीपूर्ण कार्यों में भाग लिया है। उन्होंने फर्जी बिक्री–पत्र और झूठे दस्तावेज़ तैयार किए, राजस्व अभिलेखों में फेरबदल कर कब्ज़े का झूठा प्रमाण बनाया और फिर उसी आधार पर स्थानीय भूमिपुत्रों के अधिकारों की सीधी लूट की।
आरोपियों ने श्री नामदेव बालकृष्ण पाटिल की 14.05.1973 को मृत्यु हो जाने के बावजूद, उनके नाम पर 1974 में फर्जी बिक्री–पत्र तैयार किया। यह तथ्य माननीय उपविभागीय अधिकारी (SDO) के 22.08.2002 के आदेश से उजागर हुआ। मृत व्यक्ति के नाम पर ऐसा लेन–देन असंभव होने से उसका फर्जीपन साबित हो गया।
जाँच के बाद SDO ने 22.08.2002 को आदेश देकर आरोपियों के नाम हुई फेरबदल रद्द कर दी, जिसे 28 साल बाद रद्द करने का निर्देश दिया गया।
शिकायत में आगे यह भी कहा गया है कि फिर्यादी को सह–आरोपी आनंद रामप्रसाद अग्रवाल ने अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम के माध्यम से गंभीर जान–माल की धमकियाँ दीं। इसलिए आरोपियों पर मकोका तथा अन्य प्रतिबंधात्मक कड़ी कानूनी कार्रवाई करना आवश्यक है।
साथ ही, आरोपियों पर कार्रवाई करने में जानबूझकर टालमटोल करने वाले और उनके षड्यंत्र में शामिल दोषी पुलिस अधिकारियों को भी मकोका के तहत सह–आरोपी बनाया जाए।
इसके अलावा, मामले की निष्पक्ष और गहन जाँच के लिए इसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने की माँग की गई है।
1974 के कथित बिक्री–पत्र में कचरालाल शाह को नामदेव पाटिल का पावर ऑफ अटॉर्नी धारक बताया गया था और उसी के हस्ताक्षर से फर्जी बिक्री–पत्र तैयार किया गया। किंतु इस संबंध में पावर ऑफ अटॉर्नी का दस्तावेज़ आरोपी अब तक पेश नहीं कर पाए हैं, यह तथ्य SDO के आदेश में दर्ज है।
इसी प्रकार, उसी कचरालाल शाह ने स्वयं को मिसेज मैरी फ्रांसिस इसाबेल का पावर ऑफ अटॉर्नी धारक दिखाकर संबंधित ज़मीन भी आरोपियों को बेचने का दावा किया। परंतु इस सौदे को वैध साबित करने के लिए आवश्यक पावर ऑफ अटॉर्नी दस्तावेज़ आरोपी अब तक किसी भी न्यायालय या राजस्व अधिकारी के सामने प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं। इससे यह निर्विवाद सिद्ध होता है कि प्रस्तुत पावर ऑफ अटॉर्नी फर्जी और बोगस था और संबंधित बिक्री–पत्र पूरी तरह बनावटी थे।
आरोपियों के फर्जीवाड़े को साबित करने वाला एक और निर्णायक सबूत यह है—1974 के फर्जी बिक्री–पत्र में कचरालाल शाह की उम्र 60 वर्ष बताई गई, लेकिन अगले ही वर्ष तैयार किए गए 1975 के बिक्री–पत्र में उनकी उम्र, जो वास्तव में 61 वर्ष होनी चाहिए थी, केवल 56 वर्ष लिखी गई। यह खुली विसंगति साबित करती है कि आरोपियों ने प्रस्तुत दस्तावेज़ पूरी तरह झूठे और फर्जी बनाए।
स्थानीय भूमिपुत्र अनंत पाटिल की ज़मीन हड़पने के उद्देश्य से फर्जी बिक्री–पत्र और दस्तावेज़ तैयार कर वह ज़मीन 13.5 करोड़ रुपये में बेची गई। इस मामले में नवघर पुलिस स्टेशन ने आनंद अग्रवाल, हरीश अग्रवाल, प्रतिभा शाह, परिन शाह और अन्य के खिलाफ अपराध क्र. 430/2022 दर्ज कर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 34 आदि धाराओं के तहत आरोपपत्र दाखिल किया।
तीसरे मामले में भी आरोपियों ने भूमिपुत्र अनंत पाटिल की ज़मीन फर्जी बिक्री–पत्र और दस्तावेज़ बनाकर बेच दी। इस सौदे से आरोपियों ने 13.5 करोड़ रुपये की अवैध लेन–देन की, यह तथ्य जांच से उजागर हुआ।
इस मामले में मीरा–भाईंदर के नवघर पुलिस स्टेशन ने आरोपी आनंद अग्रवाल, हरीश अग्रवाल, प्रतिभा शाह, परिन शाह और अन्य के खिलाफ अपराध क्र. 430/2022 दर्ज कर ठोस सबूतों के आधार पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465 (झूठे दस्तावेज़ बनाना), 467 (महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की जालसाजी – जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा है), 471 (झूठा दस्तावेज़ इस्तेमाल करना), 474 (फर्जी दस्तावेज़ का मालिक होना), और 34 (सामूहिक साज़िश/सहभागिता) जैसी गंभीर धाराओं के तहत आरोपपत्र दाखिल किया।
इन घटनाओं से साफ़ साबित होता है कि आरोपियों की निरंतर आपराधिक प्रवृत्ति, फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर लोगों को धोखा देने की योजनाबद्ध कार्यप्रणाली और स्थानीय भूमिपुत्रों के अधिकारों पर डाका डालने की साज़िश एक संगठित अपराध का हिस्सा है।