बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश आदित्य ठाकरे के लिए बड़ा झटका !!!

8 अप्रैल को न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल ने दिशा सालियन के पिता के अधिवक्ता से स्पष्ट रूप से कहा कि यदि यह मामला उनकी पीठ के समक्ष आता है, तो वे इसकी ‘तत्काल सुनवाई‘ के लिए पूर्णतः तैयार हैं।
न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ से प्राप्त स्पष्ट निर्देश के बाद, दिशा सालियन के पिता ने आज बॉम्बे हाईकोर्ट में एक 166 पृष्ठों का विस्फोटक हलफनामा दाखिल किया है।
इस हलफनामे में ऐसे कई चौंकाने वाले सबूत और तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, जो न केवल दिशा सालियन की कथित गैंगरेप और हत्या के मामले को नई दिशा देते हैं, बल्कि यह भी साबित करते हैं कि अब इस केस की जांच हाईकोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (SIT) द्वारा कराना अनिवार्य हो गया है।
यह दस्तावेज़ मामले की गंभीरता को और अधिक गहरा करता है और इसमें नामित प्रभावशाली आरोपियों और कुछ पुलिस अधिकारियों के बीच मिलीभगत को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
हलफनामे में प्रस्तुत साक्ष्य इस ओर इशारा करते हैं कि जांच को अब तक प्रभावित करने, सबूतों को दबाने और जनता को गुमराह करने की सुनियोजित कोशिशें की गईं।
इस हलफनामे के सामने आने के बाद न्यायिक हस्तक्षेप और निष्पक्ष, स्वतंत्र, तथा कोर्ट–निगरानी में CBI या SIT जांच की मांग और भी मजबूत हो गई है।
8 अप्रैल 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा पारित हालिया आदेश ने आदित्य ठाकरे को बड़ा झटका दिया है। यह आदेश उस सुओ मोटो अवमानना याचिका में आया है जो दिशा सालियन की रहस्यमयी मृत्यु के संदर्भ में एडवोकेट निलेश ओझा द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस से जुड़ी है।
कोर्ट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का पूरा वीडियो और ट्रांसक्रिप्ट देखने के बावजूद आदित्य ठाकरे और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों पर लगाए गए गंभीर आरोपों पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की। कोर्ट की आपत्ति केवल एक मौजूदा न्यायाधीश के विरुद्ध की गई टिप्पणी तक ही सीमित रही।
यह स्पष्ट अंतर इस ओर इशारा करता है कि दिशा सालियन के सामूहिक बलात्कार और हत्या से जुड़े आरोप प्रथम दृष्टया न केवल कानूनी रूप से मान्य हैं, बल्कि उनमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। इस स्थिति ने स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग को और अधिक कानूनी बल प्रदान किया है।
इसके अतिरिक्त, यह आदेश उन मीडिया संस्थानों के लिए भी बड़ा तमाचा माना जा रहा है—विशेषकर TV9 मराठी—जिन्होंने इस मामले में भ्रामक और झूठी खबरें चलाकर आरोपियों को बचाने का प्रयास किया। कोर्ट के इस आदेश ने ऐसे मीडिया घरानों की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है, जो पत्रकारिता की मर्यादा को ताक पर रखकर जनमत को गुमराह करने और न्याय प्रक्रिया में बाधा डालने का प्रयास कर रहे थे।
इसी दिन (8 अप्रैल 2025) एक संबंधित घटनाक्रम में, दिशा सालियन के पिता के अधिवक्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख (mention) करते हुए तत्काल सुनवाई की मांग की। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वे रजिस्ट्री से तुरंत पता लगाएं कि क्या यह मामला न्यायमूर्ति कोतवाल की पीठ को सौंपा गया है।
न्यायमूर्ति कोतवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि यह मामला उनके समक्ष आता है तो वे इसकी ‘तत्काल सुनवाई’ के लिए तैयार हैं। कोर्ट के निर्देशानुसार अधिवक्ता ने तुरंत रजिस्ट्री से संपर्क किया। सूत्रों के अनुसार, मामले की लिस्टिंग और सुनवाई को लेकर शीघ्र ही कोई सकारात्मक पहल होने की संभावना है।
इस घटनाक्रम के साथ, सतीश सालियन द्वारा की गई कोर्ट–निगरानी में CBI जांच की मांग को मजबूत कानूनी आधार मिला है।
अब देशभर की निगाहें न्यायपालिका और जांच एजेंसियों पर टिकी हैं कि वे राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त, निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी जांच सुनिश्चित करें—ताकि दिशा सालियन को न्याय मिल सके और दोषियों को उनके पद और प्रभाव के बावजूद सज़ा दी जा सके।