एक और ऐतिहासिक निर्णय: CJI सुर्या कांत का समान न्याय की दिशा में साहसिक कदम
सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक सुधारों की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, मुख्य न्यायाधीश डॉ. सुर्या कांत ने सभी सुनवाईयों के लिए नियत समय सीमा (Fixed Time Slots) लागू करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के चलते अब अमीर और गरीब, वरिष्ठ और कनिष्ठ अधिवक्ताओं को अपनी बात रखने का समान अवसर मिलेगा और न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। इस सुधार का कानूनी जगत और आम जनता दोनों ने समान रूप से स्वागत किया है।
CJI सुर्या कांत ने स्पष्ट किया कि अब किसी भी मामले को पूरे दिन कब्जा करने की अनुमति नहीं होगी। हर अधिवक्ता—चाहे वरिष्ठ हो या जूनियर—को तय समय में अपने तर्क प्रस्तुत करने होंगे। इसका उद्देश्य है सुनवाई में समानता सुनिश्चित करना, कोर्ट के दिन का समय प्रभावी ढंग से उपयोग करना और न्याय प्रक्रिया को तेज़, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना।
जूनियर अधिवक्ताऔर लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन (IBA)
जूनियर अधिवक्ताओं और लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन (IBA) ने इस निर्णय का जोरदार स्वागत किया। शाखा के संयोजक Adv. अभिषेक मिश्रा, Adv. विकास पवार और Adv. सोनाली मांचेकर ने बताया कि कई सदस्यों ने CJI को प्रशंसा पत्र भेजकर इस प्रगतिशील कदम के लिए आभार व्यक्त किया। उनका कहना है कि यह निर्णय विशेष रूप से युवा और कम अनुभवी अधिवक्ताओं को सुनवाई में समान अवसर प्रदान करेगा। इससे उन्हें न्यायालयीन तर्क प्रस्तुत करने, मामलों को समझने और अनुभव प्राप्त करने का पर्याप्त समय मिलेगा।
राष्ट्रीय न्यायिक नीति – न्याय में स्थिरता और समानता
IBA के राष्ट्रीय अध्यक्ष निलेश ओझा ने कहा कि CJI सुर्या कांत सच्चे जनता के न्यायाधीश हैं। वे न्याय व्यवस्था की जटिलताओं और आम लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों को समझते हैं। ओझा ने यह भी कहा कि CJI का राष्ट्रीय न्यायिक नीति (National Judicial Policy) का प्रस्ताव न्यायिक प्रणाली में स्थिरता लाने और उच्च न्यायालयों तथा सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न बेंचों में विरोधाभासी निर्णयों को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न्याय में समानता सुनिश्चित करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार और अन्याय को कम करने में मदद करेगी।
वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए नई गाइडलाइन
CJI ने हाल ही में वरिष्ठ अधिवक्ताओं को मामलों की तत्काल सुनवाई के लिए आवेदन करने पर प्रतिबंध लगा दिया है और यह अधिकार केवल कनिष्ठ (junior) अधिवक्ताओं को दिया गया है। इसके साथ ही, सभी मामलों के लिए स्वचालित सूचीबद्धता (Automatic Listing) की प्रक्रिया भी लागू की गई है। इस निर्णय से कनिष्ठ अधिवक्ताओं और नए वकीलों को महत्वपूर्ण अवसर मिलेंगे और यह कदम पारंपरिक रूप से वरिष्ठ अधिवक्ताओं के दबदबे वाली सुनवाई व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लेकर आएगा।
सुप्रीम कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन की प्रतिक्रिया
Adv. ईश्वरलाल अग्रवाल, अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन ने कहा कि यह निर्णय सिर्फ अनुभव और समझदारी नहीं, बल्कि साहस और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है। इसके माध्यम से न्यायपालिका में वास्तविक और प्रभावशाली सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया गया है।
महिला अधिवक्ताओं और हाशिए के वर्ग के लिए लाभ
Adv. निक्की पोकर, IBA महिला शाखा की संयोजक ने कहा कि यह सुधार महिला अधिवक्ताओं और महिला पक्षकारों के लिए भी अत्यंत लाभकारी होगा। उनका कहना है कि यह न्यायपालिका में पारदर्शिता, अनुशासन और समानता की नई दिशा का प्रतीक है।
Adv. विवेक रामटेके और Adv. तनवीर निजाम, SC, ST और अल्पसंख्यक अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने भी इस कदम का स्वागत किया। उनका कहना है कि इससे हाशिए के वर्ग के पक्षकारों और अधिवक्ताओं को न्याय पाने में समान अवसर मिलेंगे।
जनता के लिए सुधार
जनवरी 2026 से सुप्रीम कोर्ट में अनंत सुनवाईयों की अनुमति समाप्त हो जाएगी। सभी अधिवक्ताओं को तर्क प्रस्तुत करने के लिए नियत समय का पालन करना होगा। इसका सीधा फायदा होगा:
प्रत्येक मामले को उचित और समान समय मिलेगा।
“अत्यधिक महत्वपूर्ण” माने जाने वाले मामले पूरे दिन का समय नहीं लेंगे।
जूनियर अधिवक्ताओं और नए वकीलों के पक्षों का नुकसान नहीं होगा।
कोर्ट का समय कुशलतापूर्वक उपयोग होगा, जिससे कुल मामलों का निपटान बढ़ेगा।
CJI सुर्या कांत ने कहा कि यह अस्वीकार्य है कि कुछ मामलों के लिए पूरे दिन का समय चला जाए, जिससे छोटे पक्षकारों की सुनवाई न हो पाए। उनकी यह दूरदर्शिता और साहस उन्हें सच्चे जनता के न्यायाधीश के रूप में स्थापित करता है।
निष्कर्ष
CJI सुर्या कांत के ये सुधार यह दर्शाते हैं कि वे:
एक दूरदर्शी प्रशासक हैं
एक सहानुभूतिशील सुधारक हैं
एक साहसी नेता हैं
और सबसे महत्वपूर्ण, जनता के न्यायाधीश हैं
उनके इन निर्णयों से न्यायपालिका में न्याय की सुलभता, पारदर्शिता और अनुशासन का नया युग शुरू हो गया है। भारत ने लंबे समय से ऐसे साहसी और दूरदर्शी न्यायिक नेतृत्व की प्रतीक्षा की थी।