रिया चक्रवर्ती और प्रायोजित मीडिया को करारा तमाचा: कोर्ट ने जारी किया नोटिस, CBI ने रिया की शिकायत को बताया झूठा |

मीडिया का झूठ हुआ बेनकाब |
रिया को नहीं मिली कोई “क्लीन चिट”, बल्कि अब रिया और प्रायोजित मीडिया पर दर्ज होगा आपराधिक मुकदमा!
12 अगस्त 2025 तक जवाब दाखिल करने का आदेश.
एक अहम घटनाक्रम में, माननीय न्यायालय ने रिया चक्रवर्ती को नोटिस जारी करते हुए आदेश दिया है कि वह 12 अगस्त 2025 तक अपना जवाब दाखिल करें, जो कि CBI रिपोर्ट दिनांक 20.03.2025 में दर्ज निष्कर्षों के आधार पर मांगा गया है। यह रिपोर्ट उनके द्वारा सुशांत सिंह राजपूत की बहनों—प्रियंका सिंह, मीतू सिंह और डॉ. तरुण कुमार के खिलाफ दर्ज झूठी और दुर्भावनापूर्ण FIR से संबंधित है।
CBI रिपोर्ट ने खोली साजिश की परतें: FIR पाई गई झूठी, मनगढ़ंत और आधारहीन
CBI की रिपोर्ट ने स्पष्ट रूप से निष्कर्ष निकाला है कि:
- रिया चक्रवर्ती द्वारा दर्ज की गई FIR झूठे, प्रलोभन से प्रेरित और सबूतों से रहित थी,
- FIR का मकसद राजनीतिक दबाव में झूठे आरोप लगाकर सुशांत की बहनों को फंसाना था,
- यह पुलिस और सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का गंभीर मामला है।
बॉम्बे हाईकोर्ट पहले ही मीतू सिंह के खिलाफ FIR को कर चुका है रद्द
CBI रिपोर्ट में इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट ने मीतू सिंह के खिलाफ FIR पहले ही रद्द कर दी थी, यह कहते हुए कि:
“FIR में लगाए गए आरोपों का कोई प्राथमिक सबूत नहीं है और न ही कोई संज्ञेय अपराध बनता है।”
यह आदेश खुद इस बात का प्रमाण है कि FIR पूरी तरह से झूठी और दुर्भावनापूर्ण थी।
अब रिया सहित कई प्रभावशाली लोगों पर हो सकता है मुकदमा
यदि न्यायालय CBI के निष्कर्षों को स्वीकार करता है, तो रिया चक्रवर्ती और उनके सहयोगी निम्नलिखित भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत अभियोजन का सामना करेंगे:
- धारा 195 – झूठे सबूत देना
- धारा 192 – झूठा साक्ष्य गढ़ना
- धारा 166, 167 – सरकारी कर्मचारी द्वारा कानून की अवहेलना
- धारा 409 – सरकारी कर्मचारी द्वारा आपराधिक विश्वासघात
- धारा 120B, 107, 24 – आपराधिक साजिश, उकसाना, दुर्भावना से कार्य करना
इन धाराओं के अंतर्गत अधिकतम सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है।
अगर रिया चक्रवर्ती अब कोर्ट में झूठा और भ्रामक हलफनामा दाखिल करती हैं, तो उन पर न्यायालय से धोखाधड़ी करने, झूठे दस्तावेज़ प्रस्तुत करने, और धारा 191–193 IPC के तहत कठोर कार्रवाई हो सकती है।
👥 इन लोगों पर हो सकती है आपराधिक कार्रवाई:
CBI रिकॉर्ड और अदालती दस्तावेज़ों के अनुसार, निम्नलिखित व्यक्तियों पर अभियोजन की कार्रवाई संभव है:
- रिया चक्रवर्ती
- आदित्य ठाकरे
- उद्धव ठाकरे
- अनिल देशमुख
- वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जो साक्ष्य छुपाने और मामले को मोड़ने में शामिल थे
📰 मीडिया की झूठी रिपोर्टिंग बेनकाब: रिया को नहीं मिला कोई ‘क्लीन चिट’
कुछ मीडिया हाउसेस ने झूठा प्रचार किया था कि CBI ने रिया चक्रवर्ती को “क्लीन चिट” दी है। CBI की रिपोर्ट में ऐसा कहीं नहीं कहा गया है। बल्कि इसके विपरीत, रिपोर्ट में FIR को झूठा, दुर्भावनापूर्ण और सबूतों से रहित बताया गया है।
यह मीडिया द्वारा जानबूझकर फैलाई गई भ्रांति अब न्यायिक जांच के दायरे में आ गई है।
🏛️ बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई: 18 अगस्त 2025
यह मामला अब माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष क्रिमिनल रिट पिटीशन संख्या 3109/2025 में लंबित है, जिसकी अगली सुनवाई 18 अगस्त 2025 को निर्धारित है।
माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि:
- CBI को जवाब दाखिल करना होगा, जिसमें यह बताया जाए कि कैसे रिया चक्रवर्ती, मीडिया हाउस और अन्य व्यक्तियों ने CBI के नाम पर झूठी और भ्रामक खबरें फैलाकर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित किया।
जिन लोगों पर मीडिया के ज़रिये झूठ फैलाने का आरोप है, उनमें शामिल हैं:
- आदित्य ठाकरे
- राजदीप सरदेसाई
- कुछ चुनिंदा मीडिया संस्थानों के संपादक व निदेशक
⚖️ SSR केस में न्याय की दिशा में निर्णायक मोड़
यह घटनाक्रम SSR केस में सच्चाई और न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह उन सभी ताकतों को बेनकाब करता है जिन्होंने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद राजनीतिक दबाव, मीडिया प्रचार और झूठे मुकदमे के ज़रिए सच्चाई को दबाने की कोशिश की।
अब देश की निगाहें 12 अगस्त और 18 अगस्त पर टिकी हैं, जब रिया का जवाब और CBI की रिपोर्ट से तय होगा कि सच्चाई को आखिरकार न्याय मिलेगा या नहीं।