दिशा सालियन गैंगरेप-हत्या मामले में आरोपी आदित्य ठाकरे द्वारा “काला जादू और अघोरी पूजा” कर गिरफ्तारी से बचने का प्रयास — श्री रामदास कदम का ठाकरे परिवार पर सीधा हमला

यह जानकारी महाराष्ट्र राज्य के गृह राज्य मंत्री श्री योगेश कदम के पिता और शिवसेना के वरिष्ठ नेता श्री रामदास कदम द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों, विश्वसनीय मीडिया स्रोतों से प्राप्त तथ्यों और सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं के आधार पर तैयार की गई है।
दिनांक : २७ जून २०२५
1. श्री रामदास कदम का गंभीर आरोप
श्री रामदास कदम ने दावा किया है कि आदित्य ठाकरे ने हैदराबाद से एक विशेष तांत्रिक (मांत्रिक) को बुलवाकर काला जादू और अघोरी पूजा करवाई, ताकि दिशा सालियन की गैंगरेप–हत्या के मामले में उनकी गिरफ्तारी टाली जा सके।
राज्य के गृह राज्य मंत्री के पिता द्वारा लगाए गए इस आरोप का स्वरूप केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि कानूनी रूप से भी अत्यंत गंभीर है।
अब तक इस विषय में ना उद्धव ठाकरे, ना आदित्य ठाकरे और ना ही उनके पक्ष से किसी ने कोई जवाब या खंडन जारी किया है।
2. १४ जून २०२५ – अचानक दाखिल किया गया शपथपत्र
आदित्य ठाकरे ने क्रिमिनल रिट पिटीशन क्रि. डब्ल्यू.पी. 1612/2025 में दिनांक १४ जून २०२५ को एक अचानक और अप्रत्याशित नया शपथपत्र दाखिल किया।
इतने महीनों की चुप्पी के बाद ठीक सुशांत सिंह राजपूत की पुण्यतिथि (१४ जून २०२०) के दिन ही यह शपथपत्र हड़बड़ी में दाखिल किया जाना, खुद में संदेहास्पद माना जा रहा है।
3. सोशल मीडिया पर चर्चा : कथित तांत्रिक का निर्देश
सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से यह चर्चा चल रही है कि आदित्य ठाकरे को हैदराबाद से बुलाए गए तांत्रिक ने कथित रूप से यह आदेश दिया कि:
“सुशांत सिंह राजपूत की आत्मा का श्राप और कोर्ट केस की विपत्ति से मुक्ति चाहिए तो सुशांत सिंह राजपूत की पुण्यतिथि (१४ जून २०२०) के दिन ही अघोरी पूजा कराओ और उसी दिन के मुहूर्त में शपथपत्र पर हस्ताक्षर कर दाखिल करो, अन्यथा न्यायिक संकट और बढ़ेगा।“
4. शपथपत्र में प्रमुख ‘तांत्रिक’ विसंगतियाँ
१४ जून को दाखिल किए गए शपथपत्र में कुछ गंभीर और संदिग्ध बदलाव किए गए, जो कथित रूप से तांत्रिक की सलाह पर किए गए:
उम्र: असल में लगभग ३५ वर्ष होते हुए भी शपथपत्र में २८ वर्ष दर्ज किया गया।
कारण: २ + ८ = १० — न्यूमरोलॉजी (अंक ज्योतिष) में यह पूर्णांक ‘शुभ’ माना जाता है।
सरनेम का स्पेलिंग बदला गया: Thackeray को बदलकर Thackrey किया गया।
कारण: अंकशास्त्र के अनुसार ‘शत्रु दोष‘ और ‘कर्म दोष‘ कम करने के लिए अक्षरों का क्रम बदला गया।
पूर्व के शपथपत्र में मौजूद महत्वपूर्ण नाम हटाए गए:
श्री नारायण राणे
श्री नितेश राणे
भारतीय जनता पार्टी (BJP)
श्री राशिद खान पठान
एडवोकेट निलेश ओझा
कथित तांत्रिक ने कहा कि ये सभी व्यक्ति “दैविक रूप से बलशाली राशियों वाले हैं और इनके खिलाफ शपथपूर्वक आरोप लगाने पर प्रतिकूल परिणाम होंगे।”
इन सभी बदलावों से यह स्पष्ट होता है कि आदित्य ठाकरे का शपथपत्र कानूनी विवेक के बजाय अंधविश्वास और तांत्रिक सुझावों पर आधारित है, जो कि गंभीर कानूनी अपराध की श्रेणी में आता है।
5. काले जादू से संबंधित स्पष्ट कानूनी प्रावधान
महाराष्ट्र नरबलि, अमानवीय कृत्य और काला जादू उन्मूलन अधिनियम, २०१३ (Maharashtra Prevention and Eradication of Human Sacrifice and other Inhuman, Evil and Aghori Practices and Black Magic Act, 2013) के अनुसार:
“काला जादू, अघोरी क्रिया, तांत्रिक विधियाँ करना या कराने के लिए किसी व्यक्ति को बुलाना — दंडनीय अपराध है।”
संबंधित धाराएं: धारा ३, ५, ७
6. कानूनी और लोकतांत्रिक परिणा
अदालत में दाखिल होने वाले शपथपत्र की आधारशिला सत्य, विवेक और वैधानिक जिम्मेदारी पर टिकी होती है।
यदि वह किसी तांत्रिक आदेश या अंधविश्वास पर आधारित है, तो यह संविधान और न्यायपालिका का अपमान है।
एक जनप्रतिनिधि द्वारा ऐसी अघोरी और अंधश्रद्धा आधारित प्रथा का पालन करना, लोकतांत्रिक मूल्यों का सीधा हनन है और भारत के नागरिकों के विश्वास को खंडित करने जैसा है।
7. तत्काल कार्रवाई की माँग
1. मुंबई पुलिस आयुक्त तत्काल FIR दर्ज कर इस गंभीर मामले की निष्पक्ष जांच प्रारंभ करें।
2. बॉम्बे हाईकोर्ट १४ जून २०२५ और ११ अक्टूबर २०२३ को दाखिल किए गए दोनों शपथपत्रों की तुलना कर न्यायिक जांच करे।
3. स्वतंत्र SIT या CBI
तांत्रिक का विवरण, आर्थिक लेनदेन, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR), CCTV फुटेज को जब्त कर, स्वतंत्र और गहन जांच करे।
8. निष्कर्ष
१४ जून को दाखिल किया गया शपथपत्र केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि यह “तांत्रिक मुहूर्त में किए गए बचाव उपाय” का प्रमाण प्रतीत होता है।
“कानून के सामने सब समान हैं” — इस संवैधानिक सिद्धांत को त्वरित, निष्पक्ष और निष्कलंक रूप से लागू किया जाना अत्यावश्यक है;
अन्यथा अंधविश्वास भारत की न्यायिक नींव को खोखला कर देगा।
यदि इस प्रकरण में त्वरित व निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न केवल न्यायिक प्रक्रिया, बल्कि भारत के संविधान पर भी एक गहरा धब्बा होगा।