दिशा सालियन मौतकांड में मीडिया पर कानून का डंडा!

टाइम्स ऑफ इंडिया, इंडिया टुडे को ₹1 लाख करोड़ की मानहानि नोटिस।
अधिवक्ता अनुष्का सोनवणे, तनवीर निज़ाम और ईश्वरलाल अग्रवाल की संयुक्त कानूनी कार्रवाई
टाइम्स ऑफ इंडिया समाचार समूह की पत्रकार सुश्री रोज़ी सेक्वेरा, एडिटर-इन-चीफ श्री डॅरिक बी. डिसा, तथा इंडिया टुडे / मुंबई तक समूह की पत्रकाराएँ कु. अनुजा धाक्रस, कु. माधवी देसाई, श्री अभिजीत करंडे और ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर श्रीमती कली पुरी को इस प्रकरण में कानूनी नोटिसें जारी की गई हैं।
मुंबई: स्व. दिशा सालियन की रहस्यमयी और संदिग्ध मृत्यु के मामले में बड़ा मोड़ आया है। पीड़िता के पिता श्री सतीश सालियन ने The Times of India, India Today – मुंबई तक, और TV9 मराठी जैसे प्रमुख मीडिया हाउस के खिलाफ ₹1,00,000 करोड़ (एक लाख करोड़) रुपये की मानहानि, अवमानना और आपराधिक साजिश का आरोप लगाते हुए तीन अलग-अलग कानूनी नोटिस जारी किए हैं।
यह सभी नोटिस सुप्रसिद्ध अधिवक्तागण अॅड. अनुष्का सोनवणे, अॅड. तनवीर निज़ाम और अॅड. ईश्वरलाल अग्रवाल के हस्ताक्षर से जारी किए गए हैं।
एक बड़ी कानूनी कार्यवाही के तहत, स्व. दिशा सालियन के पिता श्री सतीश सालियन ने, सह-याचिकाकर्ता श्री राशिद खान पठान एवं श्री मुरसलीन शेख के साथ मिलकर, देश के प्रमुख मीडिया संस्थानों को तीन सख्त और कठोर शब्दों में लिखित कानूनी नोटिसें जारी की हैं। ये नोटिसें इस आधार पर भेजी गई हैं कि इन मीडिया संस्थानों ने दिशा सालियन के सामूहिक बलात्कार और निर्मम हत्या से संबंधित बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के संदर्भ में जानबूझकर झूठी, मानहानिकारक और भ्रामक खबरें प्रकाशित की हैं।
नोटिस में यह आरोप लगाया गया है कि इन मीडिया संस्थानों ने न्यायालयीय रेकॉर्ड को दबाया, अभियुक्तों के पक्ष में तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा, और जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से एकतरफा रिपोर्टिंग की, जिससे न केवल याचिकाकर्ताओं की छवि धूमिल हुई, बल्कि न्याय प्रक्रिया को भी गंभीर क्षति पहुंची है।
क्या है मामला?
● 3 जुलाई 2025 को Times of India और अन्य मीडिया चैनलों ने “No foul play… Relief for Aaditya Thackeray” जैसी सुर्खियों के साथ एकतरफा और भ्रामक रिपोर्टिंग की।
● यह दावा किया गया कि दिशा सालियन की मौत में कोई साजिश नहीं और आदित्य ठाकरे को राहत मिली है।
● जबकि बॉम्बे हाईकोर्ट में मामला अब भी विचाराधीन है, और अदालत ने स्पष्ट रूप से यह टिप्पणी की थी कि राज्य सरकार की तरफ से पेश पुलिस अफसर का हलफनामा अस्वीकार्य और आदेश की अवहेलना है।
● दिशा के पिता द्वारा दायर याचिका में खोटे दस्तावेज, झूठे बयान और राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ स्पष्ट सबूत पेश किए गए हैं।
किन्हें भेजी गई हैं नोटिस?
🔹 पहली नोटिस — टाइम्स ऑफ इंडिया समूह को:
- श्री डॅरिक बी. डिसा (एडिटर-इन-चीफ)
- Bennett, Coleman & Co. Ltd.
- वरिष्ठ संवाददाता सुश्री रो़ज़ी सेक्वेरा
- The Economic Times
🔹 दूसरी नोटिस — इंडिया टुडे/मुंबई तक को:
- कु. अनुजा धाक्रस, कु. माधवी देसाई, श्री अभिजीत करंडे
- Mumbai Tak और India Today
- श्रीमती कली पुरी – वाइस चेयरपर्सन व ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर
- Living Media India Ltd. – मूल कंपनी
🔹 तीसरी नोटिस — TV9 मराठी को:
- संवाददाता श्री कृष्ण सोनरखेडकर
नोटिस की प्रमुख मांगें:
✅ 48 घंटों के भीतर झूठी खबरों का पूर्ण खंडन प्रकाशित करना।
✅ पीड़ित परिवार से बिना शर्त सार्वजनिक माफ़ी मांगना।
✅ डिजिटल व सोशल मीडिया से सभी आपत्तिजनक सामग्री हटाना।
✅ कोर्ट की 3 जुलाई की सुनवाई का वास्तविक और तथ्यपरक रिपोर्ट प्रकाशित करना।
✅ ₹1,00,000 करोड़ की मानहानि क्षतिपूर्ति देना।
यदि उक्त निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया तो सीधे फौजदारी मुकदमे, दीवानी हर्जाना दावा, अवमानना याचिका, और प्रेस काउंसिल व मीडिया नियामक एजेंसियों में शिकायतें दर्ज की जाएंगी।
अॅड. ईश्वरलाल अग्रवाल का कहना:
“यदि कोई मीडिया संस्थान अपनी हैसियत का उपयोग केवल सच को छिपाने और प्रभावशाली आरोपियों को बचाने के लिए करता है, तो यह केवल पत्रकारिता का दुरुपयोग नहीं, बल्कि लोकतंत्र के खिलाफ अपराध है। हम कानून के माध्यम से इसका जवाब देंगे।“
अॅड. तनवीर निज़ाम , अनुष्का सोनवणे की प्रतिक्रिया:
“श्री सतीश सालियन जैसे पिता को ‘राजनीतिक एजेंडे वाला याचिकाकर्ता’ दिखाना केवल अपमानजनक नहीं, बल्कि क्रूर और संवेदनहीन है। इस प्रकार की रिपोर्टिंग न केवल अवमानना है, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त न्याय के अधिकार पर सीधा प्रहार है।“
लोकमत का विशेष विश्लेषण:
यह मामला यह दर्शाता है कि जब शक्तिशाली आरोपियों को बचाने के लिए मीडिया का दुरुपयोग होता है, तो जनता के बीच न्याय की प्रक्रिया पर से विश्वास उठता है। श्री सतीश सालियन की लड़ाई अब केवल एक पिता की नहीं, बल्कि हर उस नागरिक की है जो न्याय चाहता है।