STAY UPDATED WITH SC NEWS
मुर्सलीन शैख़ की और से ॲड. ईश्वरलाल अगरवाल ने भेजा १०,००० करो रुपये के मुआवजे का नोटिस।
लाईव्ह लॉ ने ३१ मार्च २०२३ को प्रकाशित एक खबर में यह कहा था की जस्टिस रेवती मोहिते डेरे के खिलाफ याचिका दाखिल करने की वजह से मुर्सलीन शैख़ के खिलाफ बार कौंसिल ऑफ़ महाराष्ट्र अँद गोवा ने ॲक्शन लिया है और आगे की कारवाई इन्क्वायरी DC कमिटी गठित की है।
लेकिन बार कौंसिल ने अपने लिखित जवाब में बताया है की मुर्सलीन शेख के खिलाफ ऐसी कोई समिति गठित नहीं की गई है।
इसलिए मुर्सलीन शेख ने अपने वकिल के द्वारा लाईव्ह लॉ कंपनी, उसके संपादक मनु सबास्टियन, एम. ए. रशीद और रिपोर्टर शरमीन हाकिम को कानूनी नोटीस जारी कर दिया है।
इससे पहले मुर्सलीन शैख़ ने लाईव्ह लॉ के एम. ए. रशीद, शरमीन हाकिम और दैनिक सकाल पेपर के संपादक के खिलाफ कोर्ट अवमानना कानून के तहत कार्रवाई कर उनका लाइसेंस ख़ारिज करने की याचिका दायर की हुई है। [I.A. No 11705 of 2023 in PIL No. 6900 of 2023]
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे के खिलाफ की याचिका की संक्षिप्त जानकारी।
जस्टिस डेरे ने आईसीआईसीआई बैंक की चेयरमैन श्रीमती चंदा कोचर को ३००० करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में जमानत देने के लिए हाई कोर्ट के रिकॉर्ड में हेराफेरी कर अपने आदेश में ऐसा झूठ लिखा की चंदा कोचर के खिलाफ केवल सात साल तक की सजा वाली ही धाराए लगाई गई है। जबकि सीबीआई ने चंदा कोचर के खिलाफ IPC ४०९ की धारा लगाई थी जिसमे उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।
इस वजह से मुर्सलीन शेख ने बॉम्बे हाय कोर्ट मे जनहित याचिका दायार कर जस्टीस रेवती मोहिते डेरे के खिलाफ IPC १९२, १९३, २१८, २१९, ४०९, ४६६, ४७१, १२०(बी), ३४ आदी धाराओ के तहत कारवाई करने की मांग की।
उस याचिका में मुर्सलीन शेख ने जस्टीस रेवती मोहिते डेरे द्वारा इसके पहले भी इसी तरह से पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार करके आरोपी को लाभ पहुंचाने के मामलो के सबूत पेश किये है।
उस याचिका के सबूतों के बारे मे ‘लाईव्ह लॉ’ ने कोई भी खबर प्रकाशीत नही की।
लेकिन याचिकाकर्ता पर दबाव बनाकर आरोपी जज को बचाने के लिए झूठी खबर प्रकाशीत की गई।
लाईव्ह लॉ ऐसी हरकते पहले भी कई बार कर चुका है और उसके सबूत याचिकाकर्ता के पास उपलब्ध है