EVM मशीन मामले मे पुलीस के नामपर झूठी न्यूज फैलाकर निर्वाचन अधिकारी को बदनाम करने की साजिश में राहुल गाँधी और अन्य के खिलाफ के खिलाफ IPC 192, 193, 469, 500, 501,120(B),34,107 के तहत शिकायत दर्ज।
झूठ पकड़े जाने के बाद ‘मिड-डे’ समाचार पत्र ने मांगी माफ़ी।
‘लोकसेवक संविधानिक सुरक्षा समीती’ की ओर से ॲड. तनवीर निज़ाम, ॲड. निलेश ओझा ने दायर की शिकायत।
झूठी खबर चलाने वालो के खिलाफ सख्त करवाई के पुलीस के संकेत।
आरोपियों में राहुल गाँधी, उद्धव ठाकरे ,आदित्य ठाकरे, संजय राऊत, भास्कर जाधव, ‘मिड-डे’ और ‘सामना’ समाचार पत्र के पत्रकार, सम्पादक, प्रकाशक और मालिक सभी शामिल है.
आरोपी लोकप्रतिनिधीयो की सांसदी और विधायकी ख़ारिज कर के उनके पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है। साथ ही में आरोपी समाचार पत्रों को किसी भी प्रकार के सरकारी विज्ञापन ना देने और उनका पंजीकरण निरस्त करने की मांग की गई है।
मुंबई : विशेष संवाददाता:- हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में मुंबई से शिवसेना की ओरसे रविन्द्र वायकर सांसद जीतकर आये। उनकी जित का मार्जिन केवल ४८ मतों का था।
उस बारे में ठाकरे गुट की तरफ से कई तरह के आक्षेप लिए गये। उसमे एक आक्षेप यह भी था की रविन्द्र वायकर के प्रतिनिधि मतगणना के स्थान पर मोबाईल का इस्तेमाल कर रहे थे। इसपर तहसीलदार द्वारा दी गई शिकायत पर मुंबई के ‘वनराई पुलिस स्टेशन’ में शिकायत दर्ज की गई।
बाद में ‘मिड -डे’ और ‘दैनिक सामना’ इन दो समाचार पत्रों ने ऐसी झूठी खबर प्रकाशित की, उस पुलीस जाँच में यह पाया गया की, मतगणना के दिन निर्वाचन आयोग के कर्मचारी ने उनका एक मोबाईल रविन्द्र वायकर के रिश्तेदार को दिया। और उसी मोबाईल से OTP प्राप्त करके EVM मशीन को हैक किया गया और रविन्द्र वायकर के वोट बढ़ाये गये।
इस झूठी खबर को कांग्रेस और राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर खूब प्रसारित और प्रकाशित किया। लेकिन बाद में पुलिस द्वारा जारी किए गए ‘प्रेस नोट’ से यह साबित हो गया कि वह खबर झूठी थी। इसके अलावा, निर्वाचन अधिकारी श्रीमती वंदना सूर्यवंशी ने भी प्रेस कांफ्रेंस के जरिए इस खबर को झूठा बताया और स्पष्ट किया कि ईवीएम का मोबाइल से कोई कनेक्शन नहीं होता है और इसे शुरू करने के लिए कोई ओटीपी नहीं लगता है।
इसके बाद, ‘मिड डे‘ ने तुरंत अपना स्पष्टीकरण प्रकाशित करके माफी मांगी। लेकिन दैनिक ‘सामना‘ और खासदार राहुल गांधी तथा ठाकरे गुट के लोगों ने कोई माफी नहीं मांगी। दूसरे दिन अपनी गलती छुपाने के लिए ठाकरे गुट ने आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बातों को घुमाकर जनता को फिर से गुमराह करने का प्रयास किया और निर्वाचन अधिकारी तथा उप जिला मजिस्ट्रेट के खिलाफ कई आरोप लगाकर उन्हें धमकाने की कोशिश की।
इसके खिलाफ ‘लोकसेवक संविधानिक अधिकार सुरक्षा समिति’ ‘Forum For Protection of Constitutional Rights of Public Servants’ ने एडवोकेट तनवीर निजाम और एडवोकेट निलेश ओझा के माध्यम से एक शिकायत पुलिस कमिश्नर के पास दायर की गई है। स्वतंत्र रूप से यही शिकायत लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति, उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति, गृहमंत्री आदि के पास भी दायर की गई है। इस शिकायत में यह मांग की गई है कि:
1. आरोपियों के खिलाफ IPC की धाराएँ 192, 193, 469, 500, 501, 120(B), 34, 107 के तहत कार्रवाई की जाए।
2. गवाहों और अधिकारियों को धमकाने के मामले में आरोपियों के खिलाफ कोर्ट अवमानना कानून 1971 की धारा 2(c), (b), 12 के तहत कार्रवाई की जाए।
3. आरोपी सांसदों और विधायकों की सांसदी और विधायकी निरस्त करके उन्हें आजीवन किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई जाए।
4. आरोपी समाचारपत्र ‘मिड-डे‘ और ‘दैनिक सामना‘ को कोई भी सरकारी विज्ञापन न दिया जाए और उनका पंजीकरण निरस्त किया जाए।
5. गैरकानूनी और असंवैधानिक कार्य करने और उसे बढ़ावा देने के कारण कांग्रेस पार्टी और ठाकरे गुट की शिवसेना पार्टी का पंजीकरण निरस्त किया जाए। उनकी मान्यता रद्द की जाए। और उन सबके खिलाफ “मोक्का ” कानून के तहत कारवाई की जाए।
‘लोकसेवक संविधानिक अधिकार सुरक्षा समिति’ द्वारा हाल ही में नागपुर और अमरावती के आरटीओ विभाग के अधिकारी तथा धाराशिव जिले के उप जिला अधिकारी के खिलाफ गैरकानूनी एफआईआर में हस्तक्षेप करके उन्हें न्याय दिलाने में मदद की गई है और सरकारी विभाग के अधिकारियों में उनकी अच्छी पकड़ है।
लोकसेवक समिति ने अपनी शिकायत याचिका में यह भी बताया कि राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठी खबर फैलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के खिलाफ कोर्ट अवमानना की कार्रवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सार्वजनिक रूप से कोई भी बात कहने से पहले सावधानी बरतने का आदेश दिया था। राहुल गांधी ने उस शपथपत्र पर माफी मांगते हुए सुप्रीम कोर्ट में पेश किया था। इसके बावजूद उन्होंने फिर से ऐसी झूठी गलती की है, इसलिए अब उन्हें माफी देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। [Yashwant Sinha v. CBI, (2020) 2 SCC 338]
इसके अलावा, विधायक अनिल परब ने भी ऐसे ही कई झूठ बोले हैं और उनके तथा उद्धव ठाकरे और ठाकरे गुट के अन्य के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका प्रलंबित है।
आदित्य ठाकरे ने दिशा सालियान और सुशांत सिंह राजपूत की हत्या के मामले में मुंबई हाई कोर्ट में झुठा शपथपत्र देने के मामले मे कोर्ट दायर जनहित याचिका में हस्तक्षेप करने के लिए दिया गया शपथपत्र झूठा पाया गया। इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की याचिका हाई कोर्ट में प्रलंबित है। [I.A. No. 18784 of 2023 IN PIL (Crl. ) No. 17983 of 2023, Supreme Court and High Court Litigants Association Vs . CBI]
इसके अलावा, ठाकरे गुट के सांसद संजय राऊत ने कानून और संविधान को मानने से इनकार किया था। इसलिए उन्हें हाई कोर्ट ने फटकार लगाई थी और उनके साथ देने वाले अधिकारियों को दंडित भी किया था।[Kangana Ranaut v. Municipal Corporation of Greater Mumbai, 2020 SCC OnLine Bom 3132]
वह सारे सबूत शिकायत के साथ संलग्न किए जा चुके हैं। और झूठ फैलाने तथा कानून के साथ खिलवाड़ करने के गुनाह संगठित रूपसे बार बार करने के लिए आरोपियों के खिलाफ कठोर कारवाई की मांग की गई हैं।